संत रविदास जयंती 2025: जानिए महान संत की जयंती का महत्व और उनकी शिक्षाएं
रामगांव, बहराइच। महान समाज सुधारक और संत शिरोमणि संत रविदास जयंती 2025 धूमधाम से मनाई गई। रामगांव थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत काशा खसहा मोहम्मदपुर के मजरा अम्बेडकर नगर में इस आयोजन का नेतृत्व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि दिलीप कुमार यादव और संस्थापक सामजीत चक्रवर्ती ने किया।
इस शुभ अवसर पर “मन चंगा तो कठौती में गंगा” वाक्य को चरितार्थ करते हुए भक्तों ने संत रविदास की शिक्षाओं को आत्मसात किया और लड्डू खिलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
संत रविदास जयंती का महत्व
संत रविदास जयंती 2025 का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन सामाजिक समानता और भक्ति आंदोलन के अग्रदूत संत रविदास को समर्पित है। संत रविदास ने जातिवाद, भेदभाव और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाई थी।
“मन चंगा तो कठौती में गंगा” का अर्थ और संदेश
संत रविदास का प्रसिद्ध कथन “मन चंगा तो कठौती में गंगा” यह दर्शाता है कि यदि मन पवित्र और निष्कलंक हो, तो बाहरी आडंबर और तीर्थयात्राओं की आवश्यकता नहीं होती। इस शिक्षाप्रद विचार को आज भी लोग अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा लेते हैं।
संत रविदास की प्रमुख शिक्षाएं
1. समानता और भाईचारा
संत रविदास ने समाज में जाति और ऊंच-नीच की भावना को समाप्त करने का संदेश दिया। उनका मानना था कि सभी इंसान समान हैं।
2. आत्मशुद्धि और भक्ति मार्ग
उन्होंने भक्ति मार्ग को अपनाने पर जोर दिया और कहा कि मन को पवित्र रखने से ही मोक्ष प्राप्ति संभव है।
3. कर्म और सच्चाई का महत्व
संत रविदास ने हमेशा सत्य बोलने और ईमानदारी से कर्म करने की प्रेरणा दी। उनका कहना था कि बिना सच्चाई और मेहनत के सफलता संभव नहीं है।
संत रविदास जयंती 2025 का आयोजन और सुरक्षा व्यवस्था
इस साल संत रविदास जयंती 2025 के अवसर पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। रामगांव थाना प्रभारी हरेंद्र नाथ राय, उप निरीक्षक हरि नाथ यादव और अन्य पुलिस अधिकारी पूरे आयोजन स्थल पर गश्त करते रहे ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
संत रविदास जयंती 2025 सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, जो हमें समानता, भक्ति और सदाचार का मार्ग दिखाती है। संत रविदास की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को दिशा देने का कार्य कर रही हैं।
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