अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने विदेशी छात्रों को लेकर एक ऐसा फैसला लिया है जिसके बाद हजारों छात्र के भविष्य पर संशय बना हुआ है। दरअसल हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय और विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगा दी गई है। इतना ही नहीं बल्कि ट्रंप प्रशासन ने विदेशी छात्रों को सिर्फ 72 घंटे का समय दिया है जिसमें उनके द्वारा दी गई शर्तों को पूरी करनी होगी वरना वे किसी और यूनिवर्सिटी से अपनी पढाई पूरी कर ले। तो चलिए जानते हैं अब आखिर हावर्ड में पढ़ने के लिए विदेशी छात्रों को क्या काम करना होगा?
विदेश छात्रों को नहीं मिल सकेगा एडमिशन
बता दें, डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच चल रहे तनाव का असर विदेशी छात्रों पर देखने को मिल रहा है। इस फैसले के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे विदेशी छात्रों में चिंता का माहौल है। यह जानकारी भी सामने आई है कि हावर्ड में अब F-1 और J-1 वीजा पर आए विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं मिल सकेगा। जी हां.. इसके बाद से ही यूनिवर्सिटी के करीब 800 भारतीय और 6800 विदेशी छात्रों के भविष्य पर खतरा देखने को मिल रहा है। इसी बीच ट्रंप प्रशासन ने इन छात्रों को केवल 72 घंटे का समय दिया है जिनमें से कुछ रिकॉर्ड तुरंत ही सबमिट करने होंगे। छात्रों को ये शर्तें बताई गई हैं जो इस प्रकार हैं।
ट्रंप सरकार की इन शर्तों को करना होगा पूरा
1. उन्होंने अपने निर्देश में कहा कि पिछले 5 सालों में किसी गैर आप्रवासी छात्र ने किसी सहपाठी या यूनिवर्सिटी के स्टाफ के अधिकारों का हनन किया है। इसका भी वीडियो प्रशासन को देना होगा। यूनिवर्सिटी के बाहर का है तब भी प्रशासन को इसकी जानकारी होनी चाहिए।
2. इसमें बताया गया है कि छात्रों को पिछले 5 साल के ऐसे वीडियो फुटेज जिसमें हिंसा दिख रही हो, उन्हें भी प्रशासन को सपना होगा यह वीडियो या ऑडियो कैंपस के है या नहीं।
3. इसके अलावा यह भी आदेश मिला है कि हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी सब्मिट होंगे जिसमें यूनिवर्सिटी के कर्मियों को धमकी देने से जुड़ी जानकारी हो।
4. इसके अलावा यूनिवर्सिटी में किसी तरह के विरोध प्रदर्शन से जुड़े दस्तावेजों को भी सरकार को सौंपना होगा।
5. इसके साथ ही किसी गैर प्रवासी छात्र की अनुशासनहीनता से जुड़ा दस्तावेज भी देना होगा।
स्टूडेंट्स को दिए 2 ऑप्शन
बता दें इस फैसले के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे विदेशी स्टूडेंट्स 2 ऑप्शन भी दिए है। कहना है कि, छात्र चाहें तो किसी अन्य संस्थान में एडमिशन लेकर पढ़ाई पूरी कर लें या फिर अमेरिका में अपना लीगल स्टेटस गंवा दें। खास बात ये है कि, भारतीय स्टूडेंट्स के पास अमेरिका के ही दूसरे संस्थान में एडमिशन का विकल्प रहेगा। लेकिन छात्र ये भी नहीं करते हैं तो फिर उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ेगा।
इन छात्रों को मिलेगी तनाव से राहत
इस तनाव भरी खबर के बीच ये सूचना भी मिली है कि, मौजूदा सत्र वाले स्टूडेंट्स हार्वर्ड से ग्रेजुएशन पूरा कर सकेंगे। जी हाँ… अमेरिकी के आंतरिक सुरक्षा विभाग (डीएचएस) की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड यूनिवर्स्टी को भेजे गए अपने पत्र में लिखा है कि, “मौजूदा सत्र वाले स्टूडेंट्स हार्वर्ड से ग्रेजुएशन पूरा कर सकेंगे। ट्रंप सरकार ने जो बदलाव किया है, वह 2025-26 के एकेडमिक ईयर से लागू होगा।” साफ़ तौर पर कहा जाए तो मौजूदा छात्रों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।
दुनियाभर में मशहूर है हॉवर्ड यूनिवर्सिटी
आपकी जानकारी के लिए बता दें, हॉवर्ड में हर साल 500 से 800 भारतीय स्टूडेंट्स एडमिशन लेते हैं। जबकि दुनियाभर से करीब 6800 छात्र यहां पढ़ाई करते हैं। रिपोर्ट की माने तो इसी साल 788 भारतीय स्टूडेंट्स ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। दरअसल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी दुनियाभर के स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय है। वहां पर पढाई करने के लिए हर छात्र का सपना होता है। बता दें, QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में इसे चौथे नंबर पर रखा गया है।
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