मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निवारण में आयुष्मान आरोग्य मंदिर निभा रहा हैं महत्वपूर्ण भूमिका।
Sachin Chaudhary Lucknow स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से नई दिल्ली में दिनांक 15 एवं 16 फ़रवरी को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य टेलीमानस के लिए परामर्श देने वाले संस्थानों के साथ & साथ सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशेषज्ञों को एक मंच पर लाना है। जो देश में मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम में डॉ वी0के0 पॉल सदस्य नीति आयोग एवं अपूर्व चंद्र सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार एवं राजेश अग्रवाल सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय एवं डॉ बी0एन0 गंगाधर चेयरमैन नेशनल मेडिकल काउंसिल एवं एल0 एस0 चेंगसेन मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भारत सरकार एवं इंद्राणी कौशल इकोनॉमिक एडवाइज़र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार आदि अधिकारीगण उपस्थित रहें। उत्तर प्रदेश से डॉ0 पिंकी जोवल मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उ0प्र0 के नेतृत्व में डॉ0 अरविंद कुमार श्रीवास्तव राज्य नोडल अधिकारी मानसिक स्वास्थ्य एवं डॉ0 सी0पी0 मल्ल निदेशक मानसिक चिकित्सालय वाराणसी एवं डॉ0 अमरेन्द्र कुमार निदेशक मानसिक चिकित्सालय बरेली एवं प्रो डॉ दिनेश सिंह राठौर निदेशक मानसिक चिकित्सालय एवं संस्थान आगरा एवं डॉ0 नीतू शुक्ला उप महाप्रबंधक गैर संचारी रोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश द्वारा प्रतिभाग किया गया। डॉ0 पिंकी जोवल, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उ०प्र० ने कहा कि जीवन के प्रारंभ होने के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के विकास की यात्रा प्रारंभ हो जाती है। अतः गर्भवती माता एवं पैदा होने वाले बच्चे को परिवार और समाज के द्वारा प्रेम और देखभाल की आवश्यकता होती है। डॉ0 जोवल ने मानसिक रोग और मानसिक चिकित्सालय शब्द से जुड़े धारणाओं को समाप्त करते हुए मानस मन के विकास और शिक्षा हेतु चैतन्य मन के विकास पर जोर दिया तथा मानसिक शब्द के स्थान पर बौद्धिक जैसे शब्दों के प्रयोग का सुझाव दिया।चूंकि चैतन्य मन ही खुशहाल वातावरण का निर्माण करता है अतः यह आवश्यक है कि परिवार और समाज मिलकर व्यक्ति की विभिन्न अवस्थाओं जैसे शिशु, बाल एवं यौवन काल में उसको सहयोगात्मक वातावरण उपलब्ध कराएं जिससे वह परिवार, समाज और देश के लिए जिम्मेदार नागरिक की भूमिक अदा कर सके। अन्यथा की स्थिति में वर्तमान सामाजिक वातावरण में व्यक्ति का मन असामाजिक प्रवत्तियों से लिप्त होकर समाज में नकारात्मक प्रभाव निर्मित करेगा। अतः प्रसवोत्तर अवसाद के प्रारंभिक अवस्था में ही लक्षणों को पहचान कर जांच एवं रोकथाम आवश्यक है। आवश्यक यह भी है परिवार और समाज को बच्चों के विकास के दौरान लगने वाली विभिन्न लतों जैसे शराब, सिगरेट और मोबाइल इत्यादि पर नियंत्रण में सहयोग आवश्यक है। अन्यथा बच्चों का आपराधिक पृवत्ति की ओर पतन हो जाता है। इसके प्रारंभिक रोकथाम के लिए राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूलों में आर0के0एस0के0 काउंसलर, पियर एज्यूकेटर के साथ ही प्रशिक्षित आध्यापिका द्वारा प्रारंभिक अवस्था में लक्षणों की पहचान एवं व्यवहार परिवर्तन हेतु काउंसलिंग की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने साथ ही साथ पुनर्वास केन्द्रों के विकास पर भी जोर दिया तथा उपचार के पूर्णतः ठीक हुए व्यक्तियों को पुनः समाज में सकारात्मक रूप से सम्मिलित करा सकें। मिशन निदेशक, एन0एच0एम0 उ0प्र0 ने इस बात पर बल दिया कि मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्ति को औषधि के साथ-साथ परिवार एवं समाज के साथ एवं सहयोग की आवश्यकता होती है। डॉ० जोवल ने कार्यशाला में कहा कि प्रदेश सरकार मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराये जाने हेतु संकल्पबद्ध है। प्रदेश में 04 टेलीमानस सेल की स्थापना की जा चुकी है, जहां 24 घंटे मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायें जाने का कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एन0एच0एम0 उ0प्र0, कार्यशाला के अंतर्गत प्राप्त निर्देशों एवं सुझावों के अनुरूप एक रूपरेखा तैयार कर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से संबंधित एक मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तैयार करने पर कार्य किया जाएगा। कार्यशाला में टेलीमानस हेल्पलाइन, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम आदि विषयों पर चर्चा हुई। उल्लेखनीय है कि हाल ही में टेली मानस कार्यक्रम में अच्छा प्रदर्शन किए जाने के लिए प्रदेश को भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है। टेलीमानस हेल्प लाइन नंबर 14416 पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु 24 घंटे निःशुल्क काउंसलिंग की सुविधा प्रदान की जाती हैं।