अजीत डोभाल का चीन दौरा: क्या सीमा विवाद सुलझेगा?
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पिछले कई वर्षों से तनाव का कारण बना हुआ है। इस विवाद को हल करने के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल चीन के दौरे पर जा रहे हैं। इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन मंगलवार को होगा।
पिछले पांच साल से यह वार्ता रुकी हुई थी, लेकिन कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद इस प्रक्रिया को फिर से शुरू किया गया है।
विशेष प्रतिनिधि वार्ता: क्या है उद्देश्य?
भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि वार्ता (SR Talks) का मकसद सीमा विवाद को हल करना और दोनों देशों के बीच सामान्य संबंध बहाल करना है।
- अजीत डोभाल भारत के विशेष प्रतिनिधि हैं।
- चीन की ओर से इस वार्ता का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी करेंगे।
पांच साल बाद फिर से हो रही वार्ता
भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि वार्ता की पिछली बैठक दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुई थी। इसके बाद पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण यह वार्ता रुक गई।
1. पूर्वी लद्दाख विवाद:
- मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में सैन्य झड़प शुरू हुई थी।
- गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया।
2. कजान बैठक में बनी सहमति:
23 अक्टूबर को कजान में प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद विशेष प्रतिनिधि वार्ता को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी।
अजीत डोभाल का चीन दौरा: बैठक की मुख्य बातें
सूत्रों के अनुसार, अजीत डोभाल मंगलवार को चीन पहुंचेंगे और अगले दिन बीजिंग में इस महत्वपूर्ण वार्ता में शामिल होंगे।
- बैठक में भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा होगी।
- बैठक का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना है।
- 3488 किलोमीटर की सीमा को हल करने के लिए SR तंत्र की 23वीं बैठक होगी।
पिछली बैठकों का इतिहास
विशेष प्रतिनिधि वार्ता (SR Talks) को 2003 में शुरू किया गया था। इसके तहत अब तक कुल 22 बैठकें हो चुकी हैं।
- पिछली बार यह बैठक 2019 में हुई थी।
- इसके बाद पूर्वी लद्दाख सैन्य गतिरोध के चलते कोई वार्ता नहीं हुई।
भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीद
भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास की मुख्य वजह सीमा विवाद और सैन्य झड़पें हैं।
- गलवान घाटी झड़प के बाद दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी आई थी।
- हालांकि, हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच संबंध सुधार के संकेत मिले हैं।
मुख्य चुनौतियां:
- पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी।
- सीमा विवाद का हल निकालना।
- द्विपक्षीय व्यापार और अन्य सहयोग को सामान्य करना।
क्या होगा इस बैठक का नतीजा?
अजीत डोभाल और वांग यी के बीच होने वाली यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
- भारत-चीन सीमा विवाद के हल की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
- पांच साल के लंबे अंतराल के बाद दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की उम्मीद बढ़ी है।
- द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की दिशा में मजबूत कदम उठाए जा सकते हैं।
अजीत डोभाल का चीन दौरा भारत-चीन के बीच लंबे समय से अटकी हुई विशेष प्रतिनिधि वार्ता को एक नई दिशा दे सकता है। यह बैठक सीमा विवाद को हल करने और संबंध सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
भारत और चीन के बीच इस वार्ता के नतीजे आने वाले दिनों में दोनों देशों के रिश्तों को नई गति देंगे। अब देखना यह है कि क्या इस बैठक से सीमा विवाद का कोई समाधान निकल पाता है या नहीं।
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