भारत के युवा ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने हाल ही में इतिहास रचते हुए वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप जीतकर दुनिया के सबसे युवा चेस चैंपियन बनने का खिताब हासिल किया। उनकी इस ऐतिहासिक जीत के बाद उन्हें एक शानदार इनाम मिला, जिसमें 25 लाख डॉलर यानी लगभग 11.45 करोड़ रुपये शामिल थे। लेकिन, इस इनाम की रकम पर भारी टैक्स की देनदारी है, जिससे गुकेश को अंत में कम रकम मिल पाई। आइए जानते हैं, उनके इनाम पर कैसे और क्यों टैक्स की रकम कटने के बाद केवल 7.36 करोड़ रुपये ही उनके पास बच पाए।
डी गुकेश को मिला 11.45 करोड़ रुपये का इनाम
डी गुकेश की चैंपियनशिप जीत के बाद उन्हें 25 लाख डॉलर का पुरस्कार मिला था। इसमें से 13 लाख डॉलर यानी 11.45 करोड़ रुपये गुकेश के हिस्से में आए, जो कि उनके शानदार प्रदर्शन और तीन मैचों में जीत के साथ प्राप्त 5.04 करोड़ रुपये को भी शामिल करते हैं। हालांकि, उन्हें इस पूरी राशि पर टैक्स देना पड़ा, जिससे उनकी कुल पुरस्कार राशि में से लगभग 4.09 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में कट गए।
कैसे होता है इनाम पर टैक्स का गणना?
भारत में जब भी किसी व्यक्ति को इनाम के तौर पर कोई बड़ी राशि मिलती है, तो उस पर विशेष तरह के टैक्स नियम लागू होते हैं। इस मामले में, डी गुकेश की प्राइज मनी पर भारत के टैक्स कानून के मुताबिक, ‘अन्य स्रोत से आय’ के तहत 30% की दर से टैक्स लगता है। इसके अलावा, आय में 1 करोड़ रुपये से अधिक होने पर 15% का सरचार्ज और 4% का हेल्थ एंड एजुकेशनल सेस भी लगाया जाता है।
1. बेसिक टैक्स (30%):
11.45 करोड़ रुपये × 30% = 3.43 करोड़ रुपये
2. सरचार्ज (15%):
3.43 करोड़ रुपये × 15% = 50.52 लाख रुपये
3. हेल्थ और एजुकेशनल सेस (4%):
3.43 करोड़ रुपये × 4% = 13.74 लाख रुपये
इस प्रकार, कुल टैक्स देनदारी ₹4.09 करोड़ रुपये हो गई है। इसके बाद, डी गुकेश के पास सिर्फ ₹7.36 करोड़ रुपये बचते हैं।
भारत के टैक्स नियम: इनाम पर टैक्स का गणना कैसे होता है?
भारत में प्राइज मनी पर टैक्स लगाने का तरीका थोड़ा अलग होता है। भारतीय आयकर अधिनियम के तहत, पुरस्कार राशि को ‘अन्य स्रोत से आय’ माना जाता है, जिस पर 30% की टैक्स दर लागू होती है। इसके अतिरिक्त, 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की आय होने पर 15% का सरचार्ज और 4% का हेल्थ और एजुकेशनल सेस भी लगाया जाता है।
यहां पर विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि गुकेश को इनाम सिंगापुर में मिला था, जबकि वह एक भारतीय निवासी हैं। ऐसे में भारत और सिंगापुर के बीच दोहरे टैक्स से बचाव समझौते (DTAA) से कोई खास राहत नहीं मिल सकती है। अतः उनके इनाम पर मुख्य रूप से भारतीय टैक्स नियमों के तहत टैक्स लगाया गया।
डी गुकेश की टैक्स देनदारी: मुख्यमंत्री का पुरस्कार भी है टैक्स के दायरे में
डी गुकेश को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से भी 5 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिला था। यह राशि भी टैक्स के दायरे में आती है, क्योंकि यह आयकर अधिनियम की धारा 10(17A) के तहत छूट के योग्य नहीं है। इस पुरस्कार पर भी टैक्स गणना का तरीका कुछ इस प्रकार होगा:
1. बेसिक टैक्स (30%):
₹5 करोड़ × 30% = ₹1.5 करोड़ रुपये
2. सरचार्ज (37%):
₹1.5 करोड़ × 37% = ₹55.5 लाख रुपये
3. हेल्थ और एजुकेशनल सेस (4%):
4% (₹1.5 करोड़ + ₹55.5 लाख) = ₹8.2 लाख रुपये
इस तरह से इस पुरस्कार पर कुल टैक्स देनदारी ₹2.14 करोड़ रुपये होती है। इस राशि के बाद गुकेश के पास ₹2.86 करोड़ रुपये की शुद्ध राशि बचती है।
कुल मिलाकर टैक्स देनदारी: डी गुकेश की पुरस्कार राशि पर भारी टैक्स
अगर हम दोनों पुरस्कारों को जोड़कर देखें, तो गुकेश को कुल ₹11.45 करोड़ और ₹5 करोड़ की पुरस्कार राशि पर लगभग ₹6.23 करोड़ का टैक्स देना पड़ा है। इसके बाद उनकी शुद्ध राशि ₹10.22 करोड़ ही बच पाई।
इस टैक्स गणना से यह स्पष्ट होता है कि एक बड़े इनाम पर टैक्स की देनदारी कितनी भारी हो सकती है, खासकर जब पुरस्कार की राशि इतनी बड़ी हो। यह इस बात का भी संकेत है कि भारत में इनाम की राशि पर टैक्स का नियम और गणना कैसे की जाती है।
इनाम और टैक्स का गणित
डी गुकेश की चैंपियनशिप जीत के बाद मिलने वाली भारी पुरस्कार राशि पर टैक्स का गणित थोड़ा जटिल था। हालांकि, गुकेश के लिए यह एक बड़ा सम्मान और ऐतिहासिक उपलब्धि है, लेकिन इस पर टैक्स की कटौती ने उनकी कुल राशि को कम कर दिया। फिर भी, उनका यह कदम भारत के लिए गर्व की बात है और यह दर्शाता है कि किस प्रकार भारत में टैक्स के नियम इनाम की राशि पर प्रभाव डालते हैं।
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