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Sunday, March 16, 2025

लक्ष्य, निष्ठा व गुरुभक्ति के प्रतीक एकलव्य से सीखने की जरूरत – डा.आनन्द गोंड (सांसद)

वीर एकलव्य निषाद चेतना संस्थान के तत्वाधान में जालिमनगर स्थित नाथू बाबा स्थान पर आयोजित हुआ एकलव्य जयन्ती समारोह

लक्ष्य, निष्ठा व गुरुभक्ति के प्रतीक एकलव्य
लक्ष्य, निष्ठा व गुरुभक्ति के प्रतीक एकलव्य

मिहींपुरवा, बहराइचतहसील क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम जालिमनगर स्थित श्री नाथू बाबा के स्थान पर मंगलवार को महानधनुर्धर वीर एकलव्य जयंती का आयोजन किया गया । वीर एकलव्य निषाद चेतना संस्थान के तत्वाधान मे आयोजित एकलव्य जयंती समारोह मे मुख्य अतिथि सांसद बहराइच डा. आनन्द गोंड द्वारा वीर एकलव्य व श्री नाथूबाबा के मुर्ति पर माल्यार्पण कर किया । इस अवसर पर संस्थान के पदाधिकारियो द्वारा सांसद डा. आनन्द गोंड को संयुक्त रूप से माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया गया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डा. आनंद कुमार गौड़ ने महान धनुर्धर वीर एकलव्य के जीवन पर विस्तार से चर्चा करते हुए उनके गुरु के प्रति निष्ठा अपने लक्ष्य के प्रति निष्ठा और संघर्षों से प्रेरणा लेने की बात कही । कार्यक्रम को भाजपा जिला उपाध्यक्ष रणविजय सिंह, भाजपा नेता जवाहर लाल धीवर, संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष रमाशंकर गोंड, परमदेव निषाद, केशव राम निषाद आदि ने भी सम्बोधित किया ।

वीर एकलव्य की प्रेरणा: लक्ष्य और निष्ठा

एकलव्य जयंती पर विशेष संदेश

एकलव्य के जीवन में हमें जो सबसे महत्वपूर्ण बात मिलती है, वह है उनके लक्ष्य के प्रति निष्ठा और अपने गुरु के प्रति सम्मान। इस अवसर पर मुख्य अतिथि, सांसद डा. आनन्द गोंड ने वीर एकलव्य के जीवन को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज के युवाओं को एकलव्य से प्रेरणा लेनी चाहिए। एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा लेने का सपना देखा था, और बिना किसी औपचारिक शिक्षा के, केवल अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और निष्ठा से महान धनुर्धर बने।

सांसद डा. आनन्द गोंड ने बताया कि एकलव्य ने अपने गुरु से दूर रहकर भी उनकी प्रतिमा के सामने धनुष का अभ्यास किया और अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष किया। इस संघर्ष और कड़ी मेहनत से यह साबित हुआ कि यदि किसी में सच्ची निष्ठा और समर्पण हो तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

एकलव्य का जीवन: संघर्ष और सफलता

एकलव्य के संघर्षों से प्रेरणा

वीर एकलव्य का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। उनका सबसे बड़ा संघर्ष था गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा को पूरा करना। हालांकि, उन्हें गुरु के द्वारा शिक्षा लेने का अवसर नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से यह साबित कर दिया कि आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्प से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

उनकी यह प्रेरणा हमें यह सिखाती है कि जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए हमें न केवल मेहनत करनी चाहिए, बल्कि अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण और निष्ठा भी दिखानी चाहिए। वीर एकलव्य की तरह हमें भी हर परिस्थिति में अपनी मेहनत और कड़ी निष्ठा से अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।

समारोह में आयोजित कार्यक्रम

कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य व्यक्ति

इस कार्यक्रम में बहराइच के सांसद डा. आनन्द गोंड ने वीर एकलव्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और अपने संबोधन में उनके जीवन की महानता पर प्रकाश डाला। इस मौके पर वीर एकलव्य निषाद चेतना संस्थान के पदाधिकारियों ने सांसद डा. आनन्द गोंड का स्वागत किया और उन्हें माल्यार्पण कर सम्मानित किया।

समारोह में भाजपा जिला उपाध्यक्ष रणविजय सिंह, भाजपा नेता जवाहर लाल धीवर, संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष रमाशंकर गोंड, परमदेव निषाद, केशव राम निषाद और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान इन नेताओं ने वीर एकलव्य के जीवन को संजीव कुमार, राम दयाल कुशवाहा, और अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।

एकलव्य की शिक्षा और गुरु भक्ति

गुरु के प्रति निष्ठा

एकलव्य की गुरु भक्ति ने उन्हें महान बनाया। उन्होंने अपने गुरु से कभी कोई शिक्षा प्राप्त नहीं की, फिर भी उनकी निष्ठा और समर्पण ने उन्हें एक महान धनुर्धर बना दिया। यह दिखाता है कि यदि हमारा समर्पण सच्चा हो, तो हम किसी भी बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

डा. आनन्द गोंड ने कहा कि आज के समय में जब कई लोग किसी भी चुनौती का सामना करने से डरते हैं, तब हमें एकलव्य से प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ निश्चय और निष्ठा के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम अपनी निष्ठा और समर्पण से कार्य करें तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।

निषाद समाज और वीर एकलव्य की भूमिका

निषाद समाज का योगदान

निषाद समाज की संस्कृति और वीर एकलव्य के जीवन से जुड़ी अनगिनत प्रेरणाएँ हमें उनके संघर्षों और सिद्धांतों से मिलती हैं। आज भी निषाद समाज अपने संघर्ष और सच्चे समर्पण के प्रतीक के रूप में एकलव्य को मानता है। वीर एकलव्य निषाद चेतना संस्थान ने इस अवसर पर निषाद समाज के योगदान को भी महत्वपूर्ण बताया और कहा कि समाज के सभी लोग एकलव्य के जीवन से प्रेरित होकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

अंत में: एकलव्य से प्रेरित होकर जीवन को बदलें

समारोह का महत्व

लक्ष्य, निष्ठा व गुरुभक्ति के प्रतीक एकलव्य

समारोह का उद्देश्य केवल वीर एकलव्य की जयंती मनाना नहीं था, बल्कि समाज को उनके जीवन के महत्व को समझाना था। एकलव्य की तरह हमें भी अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए निष्ठा और संघर्ष से काम करना चाहिए।

समारोह में उपस्थित लोगों ने वीर एकलव्य की प्रेरणा को स्वीकार करते हुए अपनी जिम्मेदारी महसूस की कि वे अपने समाज और देश के लिए कुछ बड़ा और अच्छा करने की दिशा में काम करेंगे।

कार्यक्रम का संचालन बलराम निषाद ने किया । इस अवसर पर शिव कुमार शुक्ला, श्रवण कुमार मदेशिया, साकेत पाण्डेय, धीरज गोंड, संजीव गोंड, राम दयाल कुशवाहा, अमित चौधरी, वेद प्रकाश निषाद, राम जियावन बहेलिया, चिन्ताराम कश्यप, डा. कैलाश निषाद, दीपक गुप्ता, रामू निषाद, लायकराम निषाद सहित काफी संख्या में वीर एकलव्य निषाद चेतना संस्थान के पदाधिकारी कार्यकर्ता व क्षेत्रीय जन समुदाय मौजूद रहे।

समारोह के समापन के बाद, सभी उपस्थित जन समुदाय और वीर एकलव्य निषाद चेतना संस्थान के पदाधिकारी यह संकल्प लेकर अपने घर लौटे कि वे अपने जीवन को वीर एकलव्य की तरह गुरु के प्रति निष्ठा और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण से भरपूर बनाएंगे।

वीर एकलव्य की प्रेरणा आज भी हमारे समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उनके जीवन से यह सिखने को मिलता है कि यदि किसी में सच्ची निष्ठा, समर्पण और संघर्ष की भावना हो, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। वीर एकलव्य की तरह हमें भी अपने गुरु और लक्ष्य के प्रति निष्ठावान होकर जीवन में सफलता प्राप्त करनी चाहिए।

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