दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने राजधानी के आईएसबीटी स्थित मरघट बाबा मंदिर में पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की शुरुआत की। इस योजना के अंतर्गत मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने सम्मान राशि दी जाएगी। वहीं, इस योजना के उद्घाटन के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद मनोज तिवारी ने इस पर तीखा हमला किया है, और इसे केजरीवाल के झूठे वादों का हिस्सा करार दिया है।

पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा
अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को मरघट बाबा मंदिर जाकर खुद पुजारियों का रजिस्ट्रेशन किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस योजना की शुरुआत का उल्लेख करते हुए लिखा, “आज मरघट बाबा के मंदिर में दर्शन किए और पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना का शुभारंभ किया।” इस अवसर पर उन्होंने यहां के महंत जी के साथ उनका जन्मदिन भी मनाया।
केजरीवाल ने यह भी बताया कि बीजेपी ने रजिस्ट्रेशन रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन भक्तों को भगवान से मिलने से कोई नहीं रोक सकता। इस योजना के तहत दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी।
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का हमला
दिल्ली के इस विवादास्पद घटनाक्रम में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर के पुजारी के बयान को दिखाया गया था। इस वीडियो में पुजारी ने केजरीवाल की योजनाओं को लेकर सवाल उठाए और कहा कि यह केवल एक और घोषणाओं का हिस्सा है, जबकि असल समस्याएं जस की तस हैं।
पुजारी ने कहा कि “आप पहले यमुना की सफाई कराइए, क्योंकि आजकल यमुना के पुल से गुजरते हुए वहां की दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल हो जाता है।” उनका यह भी कहना था कि केजरीवाल ने जो वादा किया था कि वह यमुना को स्वर्ग बना देंगे, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ।
क्या है पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना?

अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा की थी। इसके अंतर्गत दिल्ली के मंदिरों में भगवान की पूजा करने वाले पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रुपये की राशि दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य धार्मिक समाज की अनदेखी को समाप्त करना और उनके योगदान को मान्यता देना है।
केजरीवाल ने कहा, “पुजारी हमारे सुख-दुख में हमेशा साथ रहते हैं। वे शादी हो, बच्चे का जन्म हो या कोई अन्य खुशी का मौका हो, हमेशा हमारी सेवा में रहते हैं। दुर्भाग्य से, आज तक किसी ने उनके योगदान को उचित सम्मान नहीं दिया।”
बीजेपी का विरोध और केजरीवाल का जवाब
पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा के बाद बीजेपी ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने वीडियो पोस्ट कर कहा कि इस योजना के पीछे केजरीवाल के दावे झूठे हैं। उन्होंने दावा किया कि जबकि केजरीवाल दिल्ली में धार्मिक समुदाय के लिए योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं, वहीं उनके द्वारा किए गए वादे पूरे नहीं हो रहे हैं।
पुजारी ने यह भी कहा कि उन्हें 18,000 रुपये की राशि की कोई आवश्यकता नहीं है, और अगर कोई बदलाव लाना है, तो वह पहले यमुना की सफाई और अन्य गंभीर मुद्दों पर ध्यान दें।
क्या है योजना का उद्देश्य?
पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना का उद्देश्य उन पुजारियों और ग्रंथियों का सम्मान करना है, जो लंबे समय से अपनी धार्मिक सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन कभी भी सरकार की तरफ से उन्हें कोई विशेष मान्यता नहीं मिली। अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि इस योजना का उद्देश्य पुजारियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना और उनके योगदान को समाज में महत्वपूर्ण स्थान दिलाना है।
यह योजना धार्मिक समुदाय के बीच अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की छवि को मजबूत करने के लिए भी मानी जा रही है, खासकर विधानसभा चुनावों के पहले।
मनोज तिवारी का आलोचना पर रुख
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने इस योजना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की घोषणाएं एक तरह से चुनावी पैंतरे के रूप में दिख रही हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पिछले पांच सालों में केजरीवाल सरकार ने यमुना की सफाई और अन्य बुनियादी समस्याओं को नजरअंदाज किया, उसी तरह इस योजना में भी कुछ नया नहीं है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और योजना का चुनावी प्रभाव
दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी इस योजना को अपनी एक नई चुनावी रणनीति के रूप में पेश कर रहे हैं। इस योजना का उद्देश्य धार्मिक समुदाय को अपनी ओर खींचना और बीजेपी को इस मुद्दे पर चुनौती देना है।

हालांकि, बीजेपी और अन्य विपक्षी पार्टियां इसे केवल एक राजनीतिक दांव मान रही हैं, और यह दावा कर रही हैं कि केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के आधारभूत ढांचे और समाजिक मुद्दों को नजरअंदाज किया है।
पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना के तहत अरविंद केजरीवाल ने धार्मिक समाज को एक नई दिशा देने का वादा किया है, लेकिन इसके साथ ही इसके राजनीति से जुड़े पहलुओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने इसके विरोध में कड़ा रुख अपनाया है। हालांकि, यह योजना दिल्ली के धार्मिक समुदाय में निश्चित रूप से एक चर्चा का विषय बन चुकी है, और इसके भविष्य के परिणाम आगामी विधानसभा चुनावों पर असर डाल सकते हैं।
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