पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच तीखी राजनीतिक खींचतान देखने को मिल रही है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रही हैं। इस बीच, आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को कांग्रेस को चुनौती दी है कि अगर वह अपने दिल्ली के नेताओं के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाती, तो वह इंडिया गठबंधन से उसे बाहर करने के लिए अन्य दलों से बातचीत करेंगे। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, और इससे पहले ही सियासी माहौल गरमाया हुआ है। तो आइए जानते हैं कि क्यों केजरीवाल कांग्रेस के खिलाफ इस प्रकार के कदम उठा रहे हैं।
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ToggleAAP से अलग होने के बाद कांग्रेस ने बदली रणनीति
आम आदमी पार्टी के दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद, कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पहले आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच मुकाबला माना जाता था, लेकिन अब कांग्रेस ने दिल्ली में अपनी राजनीतिक पहचान फिर से स्थापित करने की कोशिश शुरू कर दी है।
कांग्रेस, जो 1998 से 2013 तक दिल्ली की राजनीति पर हावी थी, हाल के चुनावों में तीसरे स्थान पर सिमट गई थी। लेकिन 11 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल के एक ट्वीट के बाद कि उनकी पार्टी अब कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी, कांग्रेस ने अपने रास्ते खुद तय करने की दिशा में कदम बढ़ाया। इसके जवाब में कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाया है और अब भाजपा को टारगेट करने के बजाय, कांग्रेस का मुख्य ध्यान AAP को चुनौती देना है।
कांग्रेस ने AAP पर यह आरोप भी लगाया है कि वह मतदाताओं को धोखा देने के लिए योजनाओं का वादा कर रहे हैं। इसके अलावा, कांग्रेस ने AAP पर वोटरों की निजी जानकारी चोरी करने का भी आरोप लगाया है। कांग्रेस ने AAP और भाजपा सरकारों की आलोचना करते हुए एक श्वेत पत्र जारी किया है, जो पार्टी की आलोचनाओं के साथ-साथ एक प्रकार का घोषणापत्र भी है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि AAP के साथ गठबंधन एक गलती थी
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता अब अपने AAP के साथ गठबंधन को एक बड़ी रणनीतिक गलती मान रहे हैं। 2013 में AAP के साथ गठबंधन करने के बाद कांग्रेस धीरे-धीरे दिल्ली की राजनीति में अपनी स्थिति खोती गई और अब यह गठबंधन कांग्रेस के लिए बोझ बनता जा रहा है।
कांग्रेस नेता अजय माकन ने इस गठबंधन की आलोचना की और कहा कि 2013 में AAP को समर्थन देना कांग्रेस की बड़ी गलती थी, जिसका असर आज भी दिल्ली की राजनीति में दिखता है। उनका मानना है कि इस निर्णय ने AAP को मजबूत किया और कांग्रेस को हाशिए पर धकेल दिया। इस बयानी से साफ है कि कांग्रेस अब इस गठबंधन को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
दिल्ली में राजनीतिक दिग्गजों को टिकट दे रही है कांग्रेस
दिल्ली में पिछले 10 सालों में AAP के शासन के दौरान एंटी-इंकम्बेंसी का माहौल देखने को मिल रहा है, जबकि कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर से हासिल करने के प्रयास में जुटी है। कांग्रेस ने पहले दो उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें 47 उम्मीदवार शामिल हैं।
कांग्रेस का उद्देश्य AAP के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना है और इसके लिए पार्टी ने अपनी पार्टी के पुराने नेताओं को टिकट दिया है। उदाहरण के तौर पर, शीला दीक्षित के बेटे को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से चुनावी मुकाबले में उतारा गया है। इसके अलावा, कांग्रेस ने अन्य मजबूत नेताओं को भी मैदान में उतारा है। कांग्रेस का लक्ष्य AAP की पुरानी पकड़ को तोड़ने और दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी फिर से मजबूत स्थिति बनाना है।
दलित और मुस्लिम वोटों की शिफ्टिंग AAP के लिए बड़ी चिंता
दिल्ली में दलित और मुस्लिम समुदाय के वोटरों का खास प्रभाव है, जो कुल मतदाता संख्या का लगभग 30% बनाते हैं। इन समुदायों का प्रभाव दिल्ली की 12 SC आरक्षित सीटों पर अधिक है, जिन पर पिछले दस वर्षों से AAP का कब्जा है।
कांग्रेस को लगता है कि 2020 के उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों के बाद AAP इन समुदायों के बीच विश्वास खो रही है, जिससे कांग्रेस को इन सीटों पर अपना प्रभाव फिर से बढ़ाने का मौका मिल सकता है। अगर दलित और मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ओर मुड़ते हैं, तो AAP की स्थिति काफी कमजोर हो सकती है, जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है।
अगर कांग्रेस मजबूत होती है तो BJP को लाभ होगा
आम आदमी पार्टी ने लगातार दो चुनावों में जीत दर्ज की है, लेकिन इन जीतों के पीछे कांग्रेस का कमजोर विपक्ष था। अब अगर कांग्रेस अपनी रणनीति को फिर से सशक्त करती है और मजबूत उम्मीदवारों को सामने लाती है, तो दिल्ली में चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय बन सकता है।
यह स्थिति BJP के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि AAP और कांग्रेस के बीच विभाजित विरोधी वोट BJP के पक्ष में जा सकते हैं। इसलिए, AAP के लिए कांग्रेस का मजबूत होना सिर्फ एक बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि यह चुनावी गणित में BJP के पक्ष में भी जा सकता है। अगर कांग्रेस अपनी ताकत को सही दिशा में लगाती है, तो दिल्ली विधानसभा चुनाव इस बार काफी दिलचस्प हो सकता है।
कांग्रेस और AAP के बीच बढ़ती तकरार दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले सियासी मैदान को और भी गर्म कर रही है। जहां एक तरफ कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ AAP अपने विरोधियों को कमजोर करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। यह चुनाव निश्चित ही दिलचस्प होगा और आने वाले समय में दिल्ली की राजनीति पर इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।