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Wednesday, March 26, 2025

एग्जाम में फेल छात्र को रीचेकिंग से मिले फर्स्ट क्लास अंक

गुजरात के सूरत शहर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक छात्र को एग्जाम में फेल घोषित किया गया, लेकिन रीचेकिंग में उसे फर्स्ट क्लास नंबर मिले। यह घटना सूरत के वीटी चोकसी कॉलेज की है, जहां एक बैचलर ऑफ लॉ (LLB) के छात्र को असफल घोषित किया गया था, लेकिन जब उसके परीक्षा परिणाम को फिर से देखा गया, तो वह पहले से बेहतर अंक प्राप्त कर गया। इस घटना ने शिक्षा व्यवस्था और मूल्यांकन तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

एग्जाम में फेल छात्र को रीचेकिंग से मिले फर्स्ट क्लास अंक

सूरत के वीटी चोकसी कॉलेज का मामला
यह मामला सूरत के वीटी चोकसी कॉलेज से जुड़ा हुआ है, जहां बैचलर ऑफ लॉ (LLB) प्रोग्राम की छठी सेमेस्टर की परीक्षा अप्रैल 2024 में आयोजित की गई थी। मई 2024 में जब परिणाम घोषित हुए, तो एक छात्र को असफल करार दिया गया। हालांकि, उस छात्र ने पुनर्मूल्यांकन (Rechecking) के लिए आवेदन किया, और परिणाम के पुनर्मूल्यांकन के बाद वह न केवल पास हुआ, बल्कि उसे फर्स्ट क्लास नंबर भी मिले।

मूल्यांकन में गलती का खुलासा
कॉलेज के चांसलर, किशोर सिंह चावड़ा ने बताया कि छात्र को कम अंक मिलने के पीछे एक मूल्यांकन त्रुटि (Evaluation Error) थी। छात्र ने विश्वविद्यालय में लिखित आवेदन दिया, जिसके बाद पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू की गई। इस प्रक्रिया के दौरान यह पाया गया कि छात्र असफल था क्योंकि परीक्षक ने गलती से उसके अंक कम दिए थे। गलती को सुधारने के बाद छात्र को पहले फर्स्ट क्लास नंबर मिल गए।

रीचेकिंग का महत्व

रीचेकिंग

रीचेकिंग क्यों कराई जाती है?
परीक्षाओं के परिणामों में कभी-कभी मानवीय त्रुटियाँ हो सकती हैं, और इन्हीं त्रुटियों को सुधारने के लिए छात्रों को रीचेकिंग की सुविधा दी जाती है। कई बार अंकपत्रों में छोटी-सी भूल या गलत गणना के कारण छात्रों के परिणाम प्रभावित होते हैं। इस मामले में भी, जब छात्र ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया, तो यह स्पष्ट हुआ कि उस पर अंकन में गलती की गई थी।

क्या है रीचेकिंग का प्रोसेस?
रीचेकिंग के दौरान, छात्र की कॉपी को फिर से देखा जाता है और परीक्षक की ओर से की गई किसी भी गलती को ठीक किया जाता है। यदि परीक्षा के दौरान कोई प्रश्न गलती से अंकित किया गया हो, तो उसे ठीक किया जाता है। इस प्रक्रिया में छात्र को असफल करने वाली गलती को सही किया गया, और परिणाम के बाद छात्र को पहले से ज्यादा अंक मिले।

वीएनएसजी यूनिवर्सिटी के परीक्षा तंत्र पर सवाल

यह घटना वीएनएसजी यूनिवर्सिटी के परीक्षा तंत्र पर सवाल उठाती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जब एक छात्र को फेल कर दिया गया और बाद में रीचेकिंग के बाद उसे फर्स्ट क्लास नंबर मिल गए, तो यह प्रदर्शित करता है कि मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है। कई छात्रों का मानना ​​है कि उन्हें भी मूल्यांकन में समान न्याय मिलना चाहिए।

क्या सुधार हो सकते हैं?
यह घटना दर्शाती है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अपने मूल्यांकन तंत्र में सुधार लाने की जरूरत है। छात्रों को बेहतर तरीके से मूल्यांकन करने के लिए नई तकनीकों और सख्त निगरानी की आवश्यकता है। इस प्रकार के मामलों से यह भी दिखता है कि छात्रों को सही परिणाम मिलने में कितनी परेशानियां आ सकती हैं।

क्या हो सकता था अगर रीचेकिंग नहीं कराई जाती?

यदि छात्र ने रीचेकिंग का विकल्प न लिया होता, तो उसे बिना किसी गलती के फेल घोषित किया गया होता। इसका सीधा असर उसके भविष्य पर पड़ सकता था, खासकर अगर उसने आगे की शिक्षा के लिए इस परिणाम पर निर्भर किया होता। इसलिए, रीचेकिंग का विकल्प छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे न केवल परिणाम सुधार सकते हैं, बल्कि छात्रों को एक सही और निष्पक्ष परिणाम भी मिलता है।

क्यों है यह घटना महत्वपूर्ण?
यह मामला इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है कि यह हमें यह याद दिलाता है कि परीक्षा परिणाम कभी-कभी त्रुटियों से प्रभावित हो सकते हैं। छात्रों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने परिणाम की समीक्षा करें और अगर उन्हें किसी गलती का संदेह हो, तो पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करें।

चांसलर ने की कार्रवाई की घोषणा

कॉलेज के चांसलर किशोर सिंह चावड़ा ने इस मामले में कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाएगा और मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियां न हों। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र को मिले फर्स्ट क्लास नंबर को वैध माना गया है और वह अब अपने परिणाम के आधार पर आगे की पढ़ाई के लिए आवेदन कर सकता है।

छात्र के लिए नया मौका
इस घटना से यह भी दिखता है कि छात्र को एक नया मौका मिला है, जो उसे पहले नहीं मिला था। अब उसे अपने शैक्षिक और पेशेवर जीवन में आगे बढ़ने के लिए सही परिणाम मिल चुके हैं। यह उदाहरण सभी छात्रों के लिए एक सीख बन सकता है कि अगर कभी किसी परीक्षा में गलती हो तो इसका सही समाधान ढूंढने का प्रयास करें।

छात्र को रीचेकिंग से मिले फर्स्ट क्लास अंक

सूरत के वीटी चोकसी कॉलेज का यह मामला हमें यह सिखाता है कि शिक्षा तंत्र में सुधार की आवश्यकता है और छात्रों को हर स्थिति में सही और निष्पक्ष मूल्यांकन मिलना चाहिए। साथ ही, रीचेकिंग का विकल्प छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिससे वे अपनी गलती को सुधार सकते हैं। इस घटना के बाद, शिक्षा संस्थानों को अपने मूल्यांकन तंत्र को फिर से परखने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे मामलों से बचा जा सके।

 

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