Health Tips : कंप्यूटर पर काम करने से सर्वाइकल समस्या का बढ़ता खतरा

आज की डिजिटल दुनिया में, कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करना आम बात हो गई है। हालांकि, यह सुविधा कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है, जिनमें से एक प्रमुख है सर्वाइकल स्पॉंडिलाइटिस। यह स्थिति गर्दन में दर्द, कंधों में जकड़न, और अन्य कई लक्षणों का कारण बनती है। लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द उत्पन्न होता है। यदि इस समस्या की अनदेखी की जाती है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में विकसित हो सकती है

कंप्यूटर पर काम करने से सर्वाइकल समस्या का बढ़ता खतरा
कंप्यूटर पर काम करने से सर्वाइकल समस्या का बढ़ता खतरा

सर्वाइकल समस्या से बचने के लिए, नियमित रूप से कुछ योगासनों का अभ्यास करना बेहद फायदेमंद हो सकता है। योग न केवल मांसपेशियों को आराम देता है, बल्कि यह तनाव को भी कम करता है और शरीर को लचीला बनाता है। इस लेख में हम कुछ महत्वपूर्ण योगासनों के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें नियमित रूप से करने से सर्वाइकल की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

1. भुजंगासन (Cobra Pose)

भुजंगासन, जिसे कोबरा पोज भी कहा जाता है, सर्वाइकल समस्या के लिए एक बहुत ही प्रभावी आसन है। इसे करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है और गर्दन की मांसपेशियों को आराम मिलता है। इसके लिए, आप पेट के बल लेटें, फिर हाथों को कंधों के पास रखते हुए धड़ को ऊपर उठाएं। ध्यान दें कि आपकी गर्दन सीधी हो और शरीर के बाकी हिस्से को स्थिर रखें। इस स्थिति में कुछ सेकंड रुकें और फिर धीरे-धीरे वापस लौटें।

भुजंगासन करने से न केवल गर्दन का दर्द कम होता है, बल्कि यह मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। इसे रोजाना करने से रीढ़ की हड्डी की लचीलापन बढ़ता है और तनाव कम होता है, जिससे सर्वाइकल स्पॉंडिलाइटिस के लक्षणों में सुधार होता है।

2. चक्रासन (Wheel Pose)

चक्रासन, या व्हील पोज, एक उन्नत योगासन है, जो शरीर को पूर्ण लचीलापन प्रदान करता है। इसे करने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए बेहद लाभकारी होता है। इस आसन को करने के लिए, पीठ के बल लेटें और घुटनों को मोड़कर पैर के तलवों को जमीन पर रखें। फिर, हाथों को सिर के पीछे रखते हुए धड़ को ऊपर उठाएं।

यह आसन शरीर को तनावमुक्त करता है और खिंचाव को कम करता है। नियमित रूप से चक्रासन करने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव कम होता है, जिससे सर्वाइकल की समस्याओं में राहत मिलती है।

3. सर्वंगासन (Shoulder Stand)

सर्वंगासन, जिसे शोल्डर स्टैंड भी कहा जाता है, गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए एक बेहतरीन आसन है। इसे करने से रक्त संचार बेहतर होता है और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इस आसन के लिए, पीठ के बल लेटें और पैरों को ऊपर की ओर उठाएं। धीरे-धीरे कंधों के बल संतुलन बनाएं और पैरों को सीधा करें।

सर्वंगासन करने से गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। इसे नियमित रूप से करने से सर्वाइकल समस्या के लक्षणों में काफी राहत मिल सकती है।

 

4. त्रिकोणासन (Triangle Pose)

त्रिकोणासन, या ट्राइएंगल पोज, संपूर्ण शरीर को स्ट्रेच करता है और गर्दन के लिए भी फायदेमंद है। इसे करने के लिए, पैरों को फैलाकर खड़े हों और एक हाथ को नीचे की ओर झुकाएं, जबकि दूसरा हाथ ऊपर की ओर उठाएं। यह स्थिति गर्दन को स्ट्रेच करने में मदद करती है और कंधों को भी आराम देती है।

इस आसन को नियमित रूप से करने से मांसपेशियों में लचीलापन आता है और तनाव कम होता है। त्रिकोणासन से रक्त संचार भी बेहतर होता है, जो सर्वाइकल समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है।

5. शवासन (Corpse Pose)

शवासन, जिसे कॉर्प्स पोज भी कहा जाता है, योग के अंत में किया जाने वाला एक विश्राम आसन है। यह शरीर को पूरी तरह से आराम देता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। इसे करने के लिए, पीठ के बल लेटें और शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें। आँखें बंद करें और गहरी सांस लें।

शवासन से तनाव कम होता है और मानसिक थकान दूर होती है। यह विशेष रूप से सर्वाइकल दर्द से राहत पाने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मांसपेशियों को आराम देता है और संपूर्ण शरीर को संतुलित करता है।

कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने से सर्वाइकल समस्या बढ़ने का खतरा होता है, लेकिन नियमित योगाभ्यास से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। भुजंगासन, चक्रासन, सर्वंगासन, त्रिकोणासन, और शवासन जैसे आसन न केवल मांसपेशियों को मजबूत करते हैं, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करते हैं।

यदि आप इन आसनों को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करते हैं, तो आप न केवल सर्वाइकल स्पॉंडिलाइटिस के लक्षणों को कम कर सकते हैं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकते हैं। योगाभ्यास से ना केवल शरीर को, बल्कि मन को भी ताजगी मिलती है, जो आपको दिनभर ऊर्जावान बनाए रखता है।

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