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Toggleउप-राष्ट्रपति और राज्यपाल ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई

लखनऊ/कानपुर। आईआईटी कानपुर में आयोजित “भारत के विकास में नवाचार की भूमिका” कार्यक्रम में भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शिरकत की। यह कार्यक्रम भारत के तकनीकी क्षेत्र में नवाचार के महत्व और उसकी भूमिका को रेखांकित करने के लिए आयोजित किया गया था। इस दौरान छात्रों, शिक्षकों, और शोधकर्ताओं को प्रेरित करने वाले विचार साझा किए गए।
उप-राष्ट्रपति ने नवाचार के महत्व पर दिया जोर
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि “भारत के विकास में नवाचार की भूमिका” बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने आईआईटी कानपुर को नवोन्मेषी सोच और उत्कृष्टता का केंद्र बताया। उन्होंने कहा, “आईआईटी कानपुर ने दुनिया भर में बदलाव लाने वाले विचारकों और टेक्नोलॉजिस्ट्स को तैयार किया है।”
उन्होंने आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्रों के वैश्विक प्रभाव, विशेषकर सिलिकॉन वैली जैसे क्षेत्रों में, का उल्लेख करते हुए भारत की प्रगति में तकनीकी योगदान को रेखांकित किया। धनखड़ ने छात्रों को बुनियादी ढांचे और वैश्विक मान्यता के मामले में भारत की उपलब्धियों का लाभ उठाने की प्रेरणा दी।
कृषि क्षेत्र में नवाचार का आह्वान
उप-राष्ट्रपति ने किसानों के सशक्तिकरण के लिए तकनीकी नवाचार का आह्वान किया। उन्होंने आईआईटी कानपुर से आग्रह किया कि वह कृषि क्षेत्र में तकनीकी समाधान प्रदान करने के लिए मिशन-मोड प्रोजेक्ट्स पर काम करे। उन्होंने कहा, “नवाचार के जरिए कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाकर हम लाखों किसानों की आजीविका सुधार सकते हैं और भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।”
कॉर्पोरेट जगत से नवाचार में निवेश की अपील
धनखड़ ने कॉर्पोरेट सेक्टर से अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा, “अगर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है, तो नवाचार के क्षेत्र में उद्योगों को आगे आना होगा।” आईआईटी कानपुर की भूमिका को सराहते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान ने 400 से अधिक स्टार्टअप्स को समर्थन देकर उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किया है। इनमें से कई स्टार्टअप्स महिलाओं के नेतृत्व में हैं, जो देश में सामाजिक और आर्थिक बदलाव ला रहे हैं।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का संबोधन

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नवाचार को समाज की जरूरतों के समाधान का माध्यम बताया। उन्होंने कहा, “नवाचार का अर्थ सिर्फ नई तकनीकों का निर्माण नहीं है, बल्कि यह उन विचारों को लागू करना है जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।”
उन्होंने स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा क्षेत्रों में भारत की प्रगति को नवाचार का परिणाम बताया और कहा कि आईआईटी कानपुर जैसे संस्थान इन क्षेत्रों में परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
राज्यपाल ने 2047 तक भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नवाचार को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों से कहा, “आपकी शिक्षा और नवाचार भारत के भविष्य की दिशा तय करेंगे।”
आईआईटी कानपुर की भूमिका और प्रतिबद्धता
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने संस्थान की तकनीकी उत्कृष्टता और सामाजिक लाभ की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा, “आईआईटी कानपुर नवाचार के माध्यम से समाज की बेहतरी के लिए काम कर रहा है। उप-राष्ट्रपति का यह दौरा हमारे मिशन के लिए प्रेरणादायक है।”
आईआईटी कानपुर के इनक्यूबेशन सेंटर के जरिए उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि संस्थान ने अब तक सैकड़ों स्टार्टअप्स को सफलतापूर्वक सहायता दी है।
नवाचार और आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य
कार्यक्रम में “भारत के विकास में नवाचार की भूमिका” विषय पर गहन चर्चा हुई। इस चर्चा में विशेष रूप से टिकाऊ और स्मार्ट समाधान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि नवाचार को ऐसी दिशा में ले जाना चाहिए, जो वास्तविक समस्याओं का समाधान प्रदान कर सके और साथ ही देश को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करे।
तकनीकी शिक्षा में आईआईटी कानपुर का योगदान
कार्यक्रम के दौरान आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्रों की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया गया। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि संस्थान ने वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी और नवाचार में अपना योगदान दिया है। यह न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को भी मजबूत करता है।
कार्यक्रम में अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, उत्तर प्रदेश सरकार के खादी, ग्रामोद्योग, रेशम उत्पादन और कपड़ा मंत्री राकेश सचान, आईआईटी कानपुर के उप निदेशक प्रो. ब्रज भूषण और अन्य फैकल्टी मेंबर्स तथा छात्र उपस्थित थे।
नवाचार से भारत का भविष्य उज्जवल

आईआईटी कानपुर में आयोजित यह कार्यक्रम तकनीकी शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ। छात्रों और शिक्षकों को प्रेरणा देते हुए उप-राष्ट्रपति और राज्यपाल ने नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि भारत का भविष्य नवाचार और तकनीकी प्रगति पर निर्भर है। “भारत के विकास में नवाचार की भूमिका” कार्यक्रम ने छात्रों को नवाचार और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित किया, जो एक विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायक होगा।