भारत-चीन संबंध: एलएसी पर सेनाओं की वापसी के बाद तनाव कम करने पर फोकस
एलएसी पर सैनिकों की वापसी पूरी, क्या रिश्तों में आएगा सुधार?
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी तनाव के बीच चीनी और भारतीय सेनाओं की वापसी का काम पूरा हो चुका है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब दोनों देशों का ध्यान सीमा पर तनाव कम करने पर है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल सेनाओं की वापसी से संबंध अपने पुराने स्वरूप में नहीं लौट सकते।
सैनिकों की वापसी पर विदेश मंत्री का बयान
सेनाओं की वापसी को जयशंकर ने बताया ‘एक कदम’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा कि सेनाओं की वापसी सिर्फ एक कदम है, न कि कोई समाधान। उन्होंने कहा,
“मैं सेनाओं की वापसी को केवल उनके पीछे हटने के रूप में देखता हूं, इससे अधिक कुछ नहीं।”
उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच सहमति बनने के बाद सेनाओं की वापसी का यह अंतिम चरण था। इसके बाद अब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के उपायों पर काम होगा।
चार साल बाद शुरू हुई गश्त
डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में गश्ती गतिविधियां बहाल
करीब साढ़े चार साल के अंतराल के बाद डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में गश्त शुरू हो चुकी है। दोनों देशों के सैनिकों ने विवाद के बाद गश्ती गतिविधियां रोक दी थीं। अब यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का संकेत माना जा रहा है।
सीमा विवाद के असर
जयशंकर ने यह भी कहा कि एलएसी पर सैनिकों के असहज रूप से करीब होने के कारण तनाव बढ़ा। ऐसे में सेनाओं की वापसी से इस समस्या को हल करने में मदद मिली है।
भारत-चीन संबंध: क्या होंगे अगले कदम?
तनाव कम करना प्राथमिकता
जयशंकर ने कहा कि सेनाओं की वापसी के बाद अब मुख्य लक्ष्य तनाव कम करना है।
“यह कहना उचित होगा कि इस कदम के बाद संबंधों में कुछ सुधार की उम्मीद की जा सकती है,”
उन्होंने कहा। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि मौजूदा संबंधों की स्थिति किसी भी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचती।
क्या संबंध पुराने स्वरूप में लौट सकते हैं?
विदेश मंत्री ने कहा कि संबंधों का पुराने स्वरूप में लौटना मुश्किल है। चीन के साथ भारत का रिश्ता जटिल है, और इसे सुधारने के लिए लंबा समय लग सकता है।
दुनिया में भारत की स्थिरता पर नजर
लोकतंत्र में लगातार तीसरी बार जीत
जयशंकर ने भारत की राजनीतिक स्थिरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में, जब अधिकांश देश राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं, भारत की स्थिरता सराहनीय है। उन्होंने यह भी कहा,
“लोकतंत्र में लगातार तीसरी बार निर्वाचित होना साधारण बात नहीं है। यह जनता के सरकार में विश्वास को दर्शाता है।”
भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीद
एलएसी पर सेनाओं की वापसी दोनों देशों के संबंध सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। तनाव कम करने और विश्वास बहाली के प्रयास आने वाले समय में भारत-चीन संबंधों को नई दिशा दे सकते हैं।
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