आईएससी क्राइम ब्रांच ने पैरोल जंपर को किया गिरफ्तार
बाहरी उत्तरी जिले के थाना नरेला के अपहरण, फिरौती और हत्या के एक संगीन मामले में दोषी करार दिए गए और 2016 से फरार पैरोल जंपर किरण को आईएससी क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी डीसीपी संजय कुमार सैन के नेतृत्व में हुई। आरोपी किरण, जो कि आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, पैरोल पर रिहा होने के बाद से फरार था।
2016 से फरार था आरोपी किरण
2016 से फरार किरण ने खुद को पकड़ से बचाने के लिए कई बार अपनी पहचान और स्थान बदला। आरोपी ने अपने नाम के साथ-साथ अपने ठिकाने को भी नियमित रूप से बदलते हुए खुद को पुलिस और कानून से छिपाया।
2004 का मामला: अपहरण, फिरौती और हत्या
दिनांक 04 फरवरी 2004 को शिकायतकर्ता राधेश्याम ने अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाना नरेला में दर्ज कराई। कुछ समय बाद शिकायतकर्ता को एक फोन आया जिसमें उसके बेटे की रिहाई के लिए ₹2 लाख की फिरौती मांगी गई। मामले ने तब और गंभीर रूप ले लिया जब लापता बच्चे का शव मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश में एक चीनी के डिब्बे में मिला।
आरोपी किरण को सजा और पैरोल
सुनवाई पूरी होने के बाद, रोहिणी कोर्ट के माननीय न्यायालय ने किरण को अन्य आरोपियों के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 25 जनवरी 2016 को आरोपी को दो सप्ताह की पैरोल दी गई थी, लेकिन 9 फरवरी 2016 को जेल में आत्मसमर्पण करने के बजाय वह फरार हो गया।
आईएससी की रणनीति और जांच
आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए आईएससी क्राइम ब्रांच की टीम ने गहन प्रयास किए। टीम ने पुलिस और न्यायिक रिकॉर्ड की जांच की, जिसमें आरोपी का पुलिस फाइल, जेल रिकॉर्ड, और एससीआरबी डेटा शामिल था।
तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी
आरोपी के ठिकाने का पता लगाने के लिए टीम ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर छापेमारी की। पुलिस ने आरोपी के रिश्तेदारों से पूछताछ की और पाया कि वह अजीबोगरीब समय पर अपने पैतृक गांव मुजफ्फरनगर आता-जाता था। आरोपी की ताजा तस्वीर हासिल कर खुफिया जानकारी को विकसित किया गया।
टीम के प्रयासों का नतीजा: गिरफ्तारी
इंस्पेक्टर शिवराज सिंह बिष्ट और एसीपी रमेश लांबा के नेतृत्व में गठित टीम ने मुजफ्फरनगर में आरोपी किरण के संभावित ठिकानों पर छापेमारी की। एसआई संजय कुमार द्वारा दी गई विशेष जानकारी के आधार पर आरोपी को अंततः मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया गया।
पैरोल जंपर की गतिविधियां और जीवनशैली
बार-बार ठिकाने बदलता रहा आरोपी
पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि वह नगीना, मेरठ, सहारनपुर, जनसठ और मीरापुर (उत्तर प्रदेश) और मोगा व लुधियाना (पंजाब) में मजदूरी करता रहा।
परिवार के साथ संपर्क
पैरोल पर फरार होने के बाद आरोपी ने अपने बच्चों की शादी कर दी और गुप्त रूप से अपने परिवार से मिलता-जुलता रहा।
आजीविका का साधन
आरोपी ईंट भट्टों पर मजदूरी कर प्रतिदिन ₹500-600 कमाता था और कहीं भी एक वर्ष से अधिक समय तक नहीं रहता था।
आईएससी की उपलब्धि: कुशल संचालन का परिणाम
आईएससी क्राइम ब्रांच की टीम के अथक प्रयासों और तकनीकी निगरानी के कारण यह गिरफ्तारी संभव हुई। डीसीपी संजय कुमार सैन ने टीम की सराहना करते हुए इसे पुलिस की एक बड़ी उपलब्धि बताया।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने आसपास किसी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें। यह सफलता न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत करती है बल्कि अपराधियों को यह संदेश भी देती है कि वे कानून से बच नहीं सकते।
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