राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है। इस निर्णय को देते हुए हरिवंश ने इस नोटिस को तथ्यों से परे और संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि यह नोटिस जल्दबाजी में तैयार किया गया था, जिसका मकसद केवल उपराष्ट्रपति की छवि खराब करना था।

क्या कहा उपसभापति हरिवंश ने?
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष के इस नोटिस को खारिज करते हुए इसे कई खामियों से भरा बताया। उन्होंने कहा:
- VP के नाम की स्पेलिंग गलत: नोटिस में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के नाम की स्पेलिंग गलत थी।
- एड्रेस का उल्लेख नहीं: नोटिस में संबोधित व्यक्ति का नाम तक नहीं था।
- मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित: नोटिस को बिना किसी प्रमाणिकता के केवल मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर तैयार किया गया था।
- दस्तावेज संलग्न नहीं: इस नोटिस के साथ कोई भी प्रमाणिक दस्तावेज संलग्न नहीं किए गए थे।
अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के कारण
राज्यसभा उपसभापति ने संविधान के अनुच्छेद 90(सी) का हवाला देते हुए बताया कि इस तरह के प्रस्ताव के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना आवश्यक है। लेकिन संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा था, और इस अवधि में प्रस्ताव को चर्चा में लाना संभव नहीं था।
अन्य खामियां:
- फॉर्मेट की त्रुटियां: नोटिस उचित फॉर्मेट में नहीं था।
- जल्दबाजी में तैयार किया गया: उपसभापति ने इसे उपराष्ट्रपति की छवि धूमिल करने के लिए जल्दबाजी में तैयार किया गया बताया।
- त्रुटिपूर्ण जानकारी: नोटिस में दी गई जानकारी तथ्यों से परे थी।
विपक्ष का आरोप: धनखड़ पक्षपातपूर्ण बर्ताव करते हैं

विपक्ष ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर सदन में पक्षपातपूर्ण बर्ताव करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह नोटिस विपक्षी नेताओं के अपमान के खिलाफ आवाज उठाने का एक प्रयास था।
किन-किन दलों ने किया हस्ताक्षर?
- कांग्रेस
- आम आदमी पार्टी (AAP)
- समाजवादी पार्टी (SP)
- तृणमूल कांग्रेस (TMC)
- शिवसेना (UBT)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)
- डीएमके (DMK)
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)
60 से अधिक सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे।
कांग्रेस का दावा: सरकार सदन नहीं चलने देना चाहती
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर राज्यसभा की कार्यवाही में बाधा डाली। जयराम रमेश ने दावा किया कि फ्लोर लीडर्स की बैठक में किरेन रिजिजू ने कहा कि जब तक विपक्ष लोकसभा में अडानी का मुद्दा उठाता रहेगा, सत्ता पक्ष राज्यसभा नहीं चलने देगा।
विपक्ष का नोटिस क्यों खारिज हुआ?
उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष के नोटिस को खारिज करते हुए कहा:
- संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ: संविधान के प्रावधानों के तहत 14 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है, लेकिन यह नहीं दिया गया।
- त्रुटिपूर्ण दस्तावेज: नोटिस में कई त्रुटियां थीं, जैसे उपराष्ट्रपति का नाम गलत, एड्रेस का उल्लेख नहीं, और कोई प्रमाणिक दस्तावेज नहीं।
- जल्दबाजी में तैयार किया गया: यह नोटिस केवल उपराष्ट्रपति की छवि खराब करने के इरादे से तैयार किया गया था।
- मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित: बिना किसी ठोस प्रमाण के मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर आरोप लगाए गए।
संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा पर हमला
राज्यसभा के उपसभापति ने इस नोटिस को संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को कम करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास न केवल अनुचित हैं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए हानिकारक भी हैं।
विपक्ष और सरकार के बीच टकराव

यह मामला सरकार और विपक्ष के बीच लगातार बढ़ते टकराव को दिखाता है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार उनके मुद्दों को उठाने से रोकने के लिए राज्यसभा की कार्यवाही में बाधा डाल रही है। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा कर रहा है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव न केवल संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करता है, बल्कि विपक्ष की रणनीति पर भी सवाल खड़े करता है। उपसभापति हरिवंश ने इसे खारिज करते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। यह मामला सरकार और विपक्ष के बीच संवाद की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
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