जातीय जनगणना रिपोर्ट पर विवाद: तेजस्वी यादव की राजनीति पर सवाल
बिहार में जातीय जनगणना रिपोर्ट को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे ‘फर्जी’ बताया है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। इस बयान का असर न केवल महागठबंधन पर पड़ा है, बल्कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की राजनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
जातीय जनगणना रिपोर्ट और तेजस्वी यादव की भूमिका
बिहार में 2023 में जातीय जनगणना कराई गई थी। तत्कालीन महागठबंधन सरकार, जिसमें आरजेडी और कांग्रेस शामिल थे, ने इसका श्रेय लिया था। तेजस्वी यादव ने इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा था कि उनके दबाव में नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया।
हालांकि, राहुल गांधी के बयान के बाद अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या तेजस्वी यादव इस रिपोर्ट को अपनी सफलता के रूप में पेश कर पाएंगे।
राहुल गांधी का बयान और राजनीतिक विवाद
राहुल गांधी ने हाल ही में पटना में हुए संविधान सुरक्षा सम्मेलन में कहा कि 2023 में कराई गई जातीय जनगणना रिपोर्ट फर्जी है। उनके इस बयान ने महागठबंधन में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। कांग्रेस और आरजेडी के बीच इस मुद्दे पर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं।
तेजस्वी यादव के लिए नई चुनौती
राहुल गांधी के बयान से तेजस्वी यादव के लिए विधानसभा चुनाव के पहले मुश्किलें बढ़ गई हैं।
- आरक्षण विवाद: 2023 में पारित बिहार आरक्षण (संशोधन) अधिनियम को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया था। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
- महागठबंधन में असमंजस: राहुल गांधी के बयान से महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जातीय राजनीति पर असर
बिहार जैसे राज्य में, जहां जाति आधारित राजनीति हावी है, जातीय जनगणना रिपोर्ट पर विवाद बड़े प्रभाव डाल सकता है। अगर कांग्रेस और आरजेडी के बीच मतभेद बढ़ते हैं, तो इसका सीधा फायदा विपक्षी दलों को मिलेगा।
महागठबंधन की रणनीति पर सवाल
महागठबंधन में कंफ्यूजन की स्थिति है। जहां आरजेडी इस रिपोर्ट को अपनी उपलब्धि बताने पर जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस इसे फर्जी करार दे रही है। विधानसभा चुनाव से पहले यह विरोधाभास तेजस्वी यादव की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
जातीय जनगणना रिपोर्ट पर विवाद ने बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। राहुल गांधी का बयान न केवल महागठबंधन के लिए चुनौती है, बल्कि तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़े करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन इस विवाद को किस तरह संभालता है।
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