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Saturday, February 15, 2025

मिल्कीपुर उपचुनाव 2025: बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, चंद्रशेखर आजाद की एंट्री से बढ़ी दिलचस्पी

मिल्कीपुर उपचुनाव 2025: बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, चंद्रशेखर आजाद की एंट्री से बढ़ी दिलचस्पी

मिल्कीपुर उपचुनाव 2025
मिल्कीपुर उपचुनाव 2025

मिल्कीपुर – मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव 2025 एक दिलचस्प मोड़ पर आ चुका है। यहां पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद थी, लेकिन भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद की एंट्री ने इस चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। इस लेख में हम इस उपचुनाव से जुड़ी प्रमुख बातें और इसमें शामिल होने वाली राजनीतिक दलों की रणनीतियों का विश्लेषण करेंगे।

मिल्कीपुर उपचुनाव का राजनीतिक महत्व

मिल्कीपुर उपचुनाव बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। पिछले कुछ महीनों में हुए उपचुनावों में बीजेपी ने जीत का सिलसिला जारी रखा है, लेकिन अब इस उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी की एंट्री ने मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है। यह चुनाव केवल एक सीट का नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर असर डालने वाला साबित हो सकता है।

बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला

इस उपचुनाव में सबसे बड़ी लड़ाई बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है। बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जो रुदौली से ताल्लुक रखते हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी ने अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है, जो खुद को स्थानीय उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे हैं। इस चुनाव में जातीय समीकरण भी अहम भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि दोनों प्रमुख उम्मीदवार एक ही समुदाय से आते हैं।

चंद्रशेखर आजाद की एंट्री से मुकाबला हुआ त्रिकोणीय

मिल्कीपुर उपचुनाव में दिलचस्प मोड़ तब आया जब भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने अपने समर्थक सूरज प्रसाद को आजाद समाज पार्टी से उम्मीदवार के रूप में उतारा। सूरज प्रसाद समाजवादी पार्टी के अंदर बगावत करके चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में शामिल हो गए हैं। यह स्थिति मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सूरज प्रसाद समाजवादी पार्टी और बीजेपी के वोटों को बराबर बांट पाएंगे या नहीं।

क्या चंद्रशेखर आजाद की पार्टी बीएसपी जैसी भूमिका निभाएगी?

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP) की भूमिका बहुजन समाज पार्टी (BSP) जैसी रहती है या वह समाजवादी पार्टी और बीजेपी के लिए एक नया सिरदर्द बन जाएगी। हाल के उपचुनावों में बीएसपी का प्रदर्शन कमजोर रहा है, लेकिन चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने मिल्कीपुर उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाई है।

स्थानीय बनाम बाहरी की बहस: चंद्रभान पासवान पर आरोप

मिल्कीपुर उपचुनाव में एक और बहस का मुद्दा बन रहा है – स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार। समाजवादी पार्टी के नेता अजीत प्रसाद चंद्रभान पासवान को बाहरी बताने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, चंद्रभान पासवान रुदौली के निवासी हैं और लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं। इस बहस से चुनावी माहौल और भी गर्मा सकता है।

बीजेपी की चुनावी रणनीति

बीजेपी इस उपचुनाव को हर हाल में जीतना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के अन्य नेता चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं। बीजेपी का मकसद केवल सीट जीतने का नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना भी है। बीजेपी ने हाल के उपचुनावों में कई सीटें जीती हैं, और अब उनकी नजर मिल्कीपुर पर है।

समाजवादी पार्टी की रणनीति

समाजवादी पार्टी इस उपचुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार है। पार्टी ने स्थानीय उम्मीदवार अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है और उनका जोर स्थानीय बनाम बाहरी की लड़ाई पर है। समाजवादी पार्टी का उद्देश्य यह है कि मिल्कीपुर की जनता को यह समझाने में सफलता मिले कि बीजेपी बाहरी उम्मीदवारों को ही मौका दे रही है।

मिल्कीपुर उपचुनाव 2025 के परिणाम न केवल इस सीट को प्रभावित करेंगे, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच यह मुकाबला और भी दिलचस्प बन गया है, खासकर चंद्रशेखर आजाद की एंट्री के बाद। यह चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में तब्दील हो चुका है, और इसका असर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा।

 

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