उमर अब्दुल्लाhttps://en.wikipedia.org/wiki/Omar_Abdullah ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का यह बयान केवल मोदी की सराहना नहीं था, बल्कि एक नए राजनीतिक समीकरण का इशारा भी था। उमर के इन बयानों में एक ऐसा संदेश छिपा हुआ है, जो जम्मू-कश्मीर की राजनीति को पूरी तरह से प्रभावित कर सकता है। आइए जानते हैं, उमर अब्दुल्ला के इस बयान का क्या मतलब है और इसका क्या असर हो सकता है।

उमर अब्दुल्ला का मोदी की तारीफ में बयान
उमर अब्दुल्ला ने सोनमर्ग टनल के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने का वादा पूरा किया है। उमर ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर राज्य का दर्जा देने का वादा किया था, जो जल्द ही पूरा होगा। उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार के प्रति अपनी सराहना को स्पष्ट करता है।
जम्मू-कश्मीर में मोदी के योगदान को स्वीकार करते हुए उमर का बयान
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो वादा किया था, वह उसे निभाने में सफल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्वक चुनाव कराए जाने का श्रेय उन्होंने मोदी सरकार को दिया। यह बयान न केवल मोदी के प्रति उमर की आस्थाओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी इशारा करता है कि वे अब बीजेपी के साथ सहमति की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
उमर अब्दुल्ला के बयान से क्या संकेत मिल रहे हैं?
उमर अब्दुल्ला का यह बयान बहुत कुछ बयान करता है। पहले तो यह दिखाता है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं का समर्थन करने में झिझक नहीं रहे हैं। साथ ही, वे यह भी बता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए मोदी सरकार के साथ सहयोग करने की संभावना है। यह वही बयान है, जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय में जम्मू-कश्मीर के नेताओं द्वारा दिए गए थे।
क्या यह मोदी-उमर गठबंधन की ओर इशारा कर रहा है?
यह माना जा सकता है कि उमर अब्दुल्ला मोदी की नीतियों का समर्थन करने के साथ-साथ कश्मीर की राजनीति में एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। उनके बयान से यह संकेत मिलता है कि वे आगामी चुनावों में बीजेपी के साथ सहयोग कर सकते हैं। यह बयान विपक्षी दलों के लिए एक चुनौती हो सकता है, खासकर राहुल गांधी जैसे नेताओं के लिए, जिनके खिलाफ उमर का यह अप्रत्यक्ष हमला प्रतीत होता है।
उमर अब्दुल्ला और राहुल गांधी का अप्रत्यक्ष टकराव
उमर अब्दुल्ला ने मोदी की तारीफ करते हुए कांग्रेस सरकार के कामकाज की आलोचना की। उन्होंने खासतौर पर सोनमर्ग टनल प्रोजेक्ट की ओर इशारा किया, जो 2012 में शुरू हुआ था लेकिन यूपीए सरकार के दौरान पूरा नहीं हो पाया था। उमर ने यह भी कहा कि यह प्रोजेक्ट मोदी सरकार के तहत पूरा हुआ है, और अब कश्मीर में टूरिज्म के नए अवसर खुल रहे हैं। यह बयान स्पष्ट रूप से कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के लिए एक कटाक्ष है।
सोनमर्ग टनल के उद्घाटन का राजनीतिक महत्व
सोनमर्ग टनल का उद्घाटन सिर्फ एक बुनियादी ढांचा परियोजना का हिस्सा नहीं था, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार की उपलब्धियों को दर्शाता था। उमर अब्दुल्ला ने इस प्रोजेक्ट को बीजेपी सरकार की सफलता के रूप में पेश किया, जबकि यूपीए सरकार इसे पूरा नहीं कर सकी थी। यह बयान जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ा संदेश देता है और यह विपक्ष के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।
उमर अब्दुल्ला के बयान के पीछे क्या छिपा है?
उमर अब्दुल्ला के बयान को विपक्षी दलों द्वारा संजीदगी से लिया जाएगा। जहां एक ओर वे मोदी सरकार की तारीफ कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके बयानों में यह भी संकेत छिपा है कि वह कश्मीर की राजनीति में एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। उनके इस बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि कश्मीर में बीजेपी के साथ उनका गठबंधन या सहमति आगामी चुनावों में देखने को मिल सकती है।
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक समीकरण
उमर अब्दुल्ला का यह बयान जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है। जहां एक ओर वे मोदी की तारीफ कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने राज्य के लिए और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए मोदी सरकार के साथ सहयोग की संभावना जताई है। यह बयान इस बात की ओर भी इशारा कर रहा है कि वे अब बीजेपी के खिलाफ नहीं, बल्कि उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की सोच रहे हैं।
उमर अब्दुल्ला की उम्मीदें और मोदी से आशाएं
उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी से यह भी कहा कि उन्होंने जो वादा किया था, वह जल्द पूरा होगा और जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर राज्य का दर्जा मिल जाएगा। यह संकेत देता है कि उमर मोदी से उम्मीदें रखते हैं और जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। उनके बयान से यह भी समझा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग अब मोदी से वही उम्मीदें रखते हैं, जो अटल बिहारी वाजपेयी से रखते थे।

उमर अब्दुल्ला का यह बयान भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री की नीतियों का समर्थन किया है, बल्कि यह भी इशारा किया है कि वे कश्मीर में बीजेपी के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। उनका यह बयान विपक्षी दलों, खासकर राहुल गांधी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश हो सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
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