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Tuesday, July 8, 2025
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प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि योजना के तहत 18वीं किसका किया गया भुगतान : कृषि मंत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शुक्रवार को लोकभवन में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को मिलने वाली 18वीं किश्त की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 05 अक्टूबर 2024 को महाराष्ट्र के वेगॉल (वाशिम) में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के 2,25,91,884 किसानों को कुल 4,985.49 करोड़ रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की जाएगी। इसके साथ ही 23.36 लाख लंबित किश्तों के 46.70 करोड़ रुपये का भुगतान भी किसानों के डेटा सुधार के बाद किया जाएगा।

मंत्री शाही ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह योजना किसानों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से दिसंबर 2018 में शुरू की गई थी। इसके अंतर्गत किसानों को प्रति वर्ष 6000 रुपये की सहायता राशि तीन किश्तों में दी जाती है। इस योजना के जरिए किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हर चार माह में 2000 रुपये की किश्त उनके खातों में सीधे स्थानांतरित की जाती है।


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शाही ने जानकारी दी कि योजना के आरंभ से जुलाई 2024 तक उत्तर प्रदेश में 17 किश्तों के माध्यम से कुल 74,492.71 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है जिससे प्रदेश के 2.76 करोड़ किसानों को कम से कम एक बार योजना का लाभ मिला है। उन्होंने बताया कि 17वीं किश्त का वितरण प्रधानमंत्री मोदी ने 18 जून 2024 को वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम में किया था। जिसमें 2,14,55,237 किसानों को 4,831.10 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी।

कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 05 अक्टूबर 2024 को पूरे देश के लगभग 9.51 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20,552 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की जाएगी। इस योजना से न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के किसानों को लाभ मिलेगा जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।

शाही ने कहा कि योगी सरकार किसानों के हित में पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और राज्य में कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेक कदम उठा रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ने प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। “हमारे किसानों के लिए यह योजना एक बड़ी राहत है और सरकार की प्राथमिकता है कि उन्हें समय पर सहायता मिले, ताकि वे कृषि कार्यों में निरंतर जुटे रहें और प्रदेश की कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दें।

अंत में उन्होंने उम्मीद जताई कि यह योजना किसानों के जीवन में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि लाने में और अधिक प्रभावी सिद्ध होगी। जिससे प्रदेश के विकास में भी अहम योगदान मिलेगा।

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परिवहन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा दीपावली के शुभ अवसर पर प्रदेश की जनता को परिवहन निगम की बसों को ट्रैक करने की सुविधा की सौगात दी जाएगी। इस सुविधा के पश्चात यात्रियों द्वारा निगम बसों को ट्रैक किया जा सकेगा।
यह जानकारी उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह ने आज दी। उन्होंने बताया कि किसी गंतव्य पर जाने वाली बसों की वास्तविक लोकेशन मैप पर देखी जा सकेगी। यात्रियों हेतु मार्गदर्शी ऐप भी लॉन्च किया जाएगा जिससे उपलब्ध डिजिटल पैनिक बटन के माध्यम से किसी आकस्मिकता की दशा में पुलिस सहायता प्राप्त की जा सकेगी।

परिवहन
परिवहन मंत्री ने बताया कि यह प्रोजेक्ट भारत सरकार के निर्भया फंड से प्राप्त अनुदान से संचालित की गई है। जिसमें महिला सुरक्षा के लक्ष्य के दृष्टिगत बसों में पैनिक बटन की स्थापना भी कराई गई है। उन्होंने बताया कि इनका इंटीग्रेशन पुलिस मुख्यालय के डायल 112 से भी कराया कराया गया है प्रमुख बस स्टेशन पर एलइडी डिस्पले स्क्रीन के माध्यम से बसों के आवागमन की समय सारणी की वास्तविक स्थिति ज्ञात की जा सकेगी। सेवा प्रदाता के स्तर से इन सभी फीचर्स की टेस्टिंग का कार्य गतिशील है तथा दीपावली से पूर्व प्रदेश की जनता को उपलब्ध कराया जाना लक्षित है।

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Health News : “चाय बनाम कॉफी , 5 कारण क्यों दूध वाली चाय है बेहतर विकल्प”

चाय

भारत में चाय और कॉफी दोनों ही पेय पदार्थों के रूप में लोकप्रिय हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चाय, विशेषकर दूध वाली चाय, भारतीय जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा है। चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि कैसे चाय कई मामलों में कॉफी से बेहतर साबित होती है।

चाय

1. स्वास्थ्य लाभ
1.1 एंटीऑक्सीडेंट्स का समृद्ध स्रोत
चाय में विभिन्न प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जैसे कि कैटेचिन, फ्लावोनोइड्स, और पॉलिफेनॉल्स। ये शरीर में मुक्त कणों से लड़ने में मदद करते हैं, जो कैंसर और हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकते हैं। चाय पीने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है और ये दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है।

1.2 हृदय स्वास्थ्य में सुधार
अनुसंधान बताते हैं कि नियमित चाय का सेवन हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। चाय पीने से रक्तदाब नियंत्रित रहता है और हृदय के कार्यों में सुधार होता है। इसके विपरीत, कॉफी का अधिक सेवन कभी-कभी उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है।

1.3 वजन नियंत्रण
चाय, विशेषकर हरी चाय, वजन नियंत्रण में भी सहायक होती है। इसमें मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो शरीर के फैट को जलाने में मदद करते हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि चाय के नियमित सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है।

2. पाचन में सहायक
2.1 अदरक और मसाले
भारतीय दूध वाली चाय में अक्सर अदरक, इलायची, दालचीनी, और तुलसी जैसे मसाले मिलाए जाते हैं। ये सभी तत्व पाचन के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। अदरक गैस्ट्रिक समस्याओं में राहत प्रदान करता है, जबकि तुलसी तनाव और चिंता को कम करती है।

2.2 आंतों के स्वास्थ्य में सुधार
चाय का नियमित सेवन आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसमें मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व पेट के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके विपरीत, कॉफी का अधिक सेवन कभी-कभी पेट में जलन और एसिडिटी का कारण बन सकता है।

3. ऊर्जा का स्थायी स्रोत
3.1 कैफीन की मात्रा
जबकि कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है, चाय में कम मात्रा होती है। चाय में कैफीन धीरे-धीरे शरीर में अवशोषित होती है, जिससे ऊर्जा का स्तर स्थिर रहता है। इससे थकान जल्दी नहीं होती और दिनभर सक्रियता बनी रहती है।

3.2 मानसिक ताजगी
चाय में L-theanine नामक एक अमीनो एसिड पाया जाता है, जो मानसिक ताजगी और आराम प्रदान करता है। यह ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और मानसिक कार्यक्षमता को बढ़ाता है। कॉफी की उच्च कैफीन मात्रा कभी-कभी तनाव और घबराहट को बढ़ा सकती है।

4. मानसिक स्वास्थ्य
4.1 तनाव में कमी
चाय का सेवन मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। L-theanine मानसिक तनाव को कम करता है और आरामदायक अनुभव प्रदान करता है। इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी बढ़ती है।

4.2 खुशी का अनुभव
चाय पीने से शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है, जो खुशी और संतोष का अनुभव कराता है। यह कॉफी की तुलना में अधिक संतोषजनक होता है, जिससे तनाव कम होता है।

5. विविधता और प्रयोग
5.1 चाय के प्रकार
चाय की विविधता वास्तव में अद्वितीय है। काली चाय, हरी चाय, ऊलोंग चाय, सफेद चाय और जड़ी-बूटियों वाली चाय के अनेक प्रकार हैं। हर प्रकार की चाय का अपना खास स्वाद और स्वास्थ्य लाभ होता है। आप अपनी पसंद के अनुसार विभिन्न मसालों या मिठास के साथ इसे तैयार कर सकते हैं।

5.2 कॉफी की सीमाएँ
कॉफी के प्रकार सीमित होते हैं, जैसे कि ब्लैक कॉफी, कैपुचिनो, या लट्टे। इसमें आमतौर पर सीमित फ्लेवर होते हैं, जबकि चाय में आपको अनंत संभावनाएं मिलती हैं।

चाय के साथ सामाजिक जुड़ाव
चाय पीना सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक जुड़ाव का भी एक माध्यम है। दोस्तों और परिवार के साथ चाय का आनंद लेना एक सुखद अनुभव होता है, जो रिश्तों को मजबूत बनाता है। चाय के साथ बातचीत का माहौल बनता है, जो कभी-कभी कॉफी में नहीं मिलता।

कॉफी के नुकसान
हालांकि कॉफी के भी कई लाभ हैं, लेकिन इसके कुछ संभावित नुकसान भी हैं। कॉफी का अधिक सेवन घबराहट, अनिद्रा, और हृदय की धड़कन बढ़ाने का कारण बन सकता है। इसलिए, इसकी मात्रा को संतुलित रखना आवश्यक है।


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चाय और कॉफी दोनों ही अपने स्थान पर अद्वितीय हैं, लेकिन चाय कई मामलों में कॉफी से बेहतर साबित होती है। इसके स्वास्थ्य लाभ, पाचन में सहायकता, ऊर्जा का स्थायी स्रोत, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, और विविधता चाय को एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं। अगली बार जब आप एक गर्म पेय की तलाश में हों, तो चाय के फायदों को ध्यान में रखें। चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जो आपको स्वास्थ्य और सुख प्रदान कर सकती है।यदि आप अभी तक चाय के विभिन्न प्रकारों को आजमाने का मौका नहीं मिले हैं, तो आज ही इसे अपने दैनिक रूटीन में शामिल करें। चाय आपके जीवन में नई ऊर्जा और खुशी का संचार कर सकती है। चाय की दुनिया में प्रवेश करें और इसके फायदों का अनुभव करें!

फूड पैकेजिंग में मिले ब्रेस्ट कैंसर के हानिकारक केमिकल्स: जानें कैसे बचें और सुरक्षित रहें

हाल ही में किए गए अध्ययनों से यह पता चला है कि कई प्रकार के फूड पैकेजिंग मटेरियल में ऐसे हानिकारक केमिकल्स मौजूद हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह जानकारी स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन गई है। इस लेख में, हम इन खतरनाक केमिकल्स, उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव, और उनसे बचने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

फूड पैकेजिंग मटेरियल में खतरनाक केमिकल्स

फूड पैकेजिंग में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के मटेरियल, जैसे प्लास्टिक, पेपर, और फॉइल, में कई प्रकार के केमिकल्स हो सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  1. फ्लोरोकेमिकल्स (PFAS): ये केमिकल्स पानी और तेल से बचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, यह कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं और शरीर में जमा हो सकते हैं।
  2. बिस्फेनोल ए (BPA): यह प्लास्टिक को मजबूत बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और कई अध्ययनों में इसे ब्रेस्ट कैंसर से जोड़ा गया है। BPA हार्मोन संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  3. फ्थालेट्स: ये केमिकल्स प्लास्टिक को लचीला बनाने के लिए उपयोग होते हैं। यह हार्मोन सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
  4. पैराबेंस: यह खाद्य पदार्थों और पैकेजिंग में संरक्षक के रूप में उपयोग होते हैं, लेकिन ये भी हार्मोनल असंतुलन के कारण ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर का बढ़ता खतरा

ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, और इसके मामलों में वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हाल के अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि फूड पैकेजिंग में मौजूद ये हानिकारक केमिकल्स कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। जब हम प्लास्टिक की पैकेजिंग में रखे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो ये केमिकल्स हमारे शरीर में समाहित हो सकते हैं। लंबे समय तक इनका सेवन करने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

अन्य स्वास्थ्य प्रभाव

ब्रेस्ट कैंसर के अलावा, इन केमिकल्स का अन्य स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इनमें शामिल हैं:

  1. हार्मोनल असंतुलन: ये केमिकल्स हार्मोन के उत्पादन और संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  2. प्रजनन समस्याएं: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि ये केमिकल्स प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।
  3. प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव: ये हानिकारक केमिकल्स प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
  4. पाचन तंत्र की समस्याएं: लंबे समय तक इन केमिकल्स के संपर्क में आने से पाचन तंत्र में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे गैस्ट्राइटिस और अन्य विकार।

बचने के उपाय

इन खतरनाक केमिकल्स से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

  1. ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ चुनें: जहाँ संभव हो, ऑर्गेनिक उत्पादों का चयन करें। ये आमतौर पर हानिकारक केमिकल्स से मुक्त होते हैं।
  2. प्लास्टिक का उपयोग कम करें: पैकेजिंग में प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए कांच, स्टेनलेस स्टील, या बांस के बर्तन का उपयोग करें।
  3. फूड स्टोरेज में सावधानी बरतें: खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक प्लास्टिक कंटेनरों में न रखें। कांच या स्टेनलेस स्टील के बर्तन का उपयोग करें।
  4. लेबल पढ़ें: जब आप पैकेज्ड खाद्य पदार्थ खरीदते हैं, तो लेबल पर मौजूद सामग्री की सूची पढ़ें। BPA और अन्य हानिकारक केमिकल्स से बचने के लिए ‘BPA-free’ या ‘phthalate-free’ उत्पाद चुनें।
  5. ताज़ा फल और सब्जियाँ खाएं: ताज़ा फल और सब्जियाँ खरीदें और इन्हें ताज़ा तरीके से पकाएं। यह आपको हानिकारक केमिकल्स से बचाने में मदद करेगा।
  6. फास्ट फूड से बचें: फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड में आमतौर पर अधिक मात्रा में हानिकारक केमिकल्स होते हैं। इससे बचें और घर पर स्वस्थ खाना बनाएं।

फूड पैकेजिंग मटेरियल में मौजूद हानिकारक केमिकल्स, जैसे BPA, PFAS, और फ्थालेट्स, ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए, इनसे बचने के लिए जागरूकता और सावधानी बरतना आवश्यक है। स्वस्थ खाने की आदतों को अपनाकर और पैकेजिंग के विकल्पों में समझदारी से निर्णय लेकर हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं।

अंत में, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना और सही जानकारी के साथ निर्णय लेना न केवल ब्रेस्ट कैंसर, बल्कि अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचा सकता है। इस मुद्दे पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली सुनिश्चित कर सकें।

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मोबाइल फोन से कैंसर का खतरा कम, लेकिन क्या यह पूरी तरह सुरक्षित है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एक अध्ययन के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि मोबाइल फोन का उपयोग सीधे तौर पर कैंसर का कारण नहीं है। हालांकि, इस घोषणा ने कुछ हद तक लोगों के बीच के डर को कम किया है, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि मोबाइल फोन पूरी तरह से सुरक्षित हैं? इस लेख में हम मोबाइल फोन के स्वास्थ्य पर प्रभावों की गहराई से चर्चा करेंगे।

 मोबाइल फोन

मोबाइल फोन और कैंसर का संबंध

WHO की एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने कहा है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण को “संभावित कैंसरकारी” के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसका अर्थ है कि यह कैंसर के विकास का कारण बन सकता है, लेकिन इसके स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं। यह जानकारी इस धारणा को बल देती है कि मोबाइल फोन का उपयोग कैंसर का सीधा कारण नहीं है।

विकिरण (radiation) के प्रकार
मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण को गैर-आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) कहा जाता है। यह विकिरण आमतौर पर वेव्स की एक विशिष्ट सीमा में होता है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक नहीं माना जाता। इसके विपरीत, आयनकारी विकिरण जैसे कि एक्स-रे और गामा किरणें, अधिक हानिकारक होती हैं और कैंसर का कारण बन सकती हैं। इसलिए, मोबाइल फोन का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विकिरण का स्तर क्या है और इसका प्रभाव क्या हो सकता है।

अन्य स्वास्थ्य प्रभाव
हालांकि WHO ने कैंसर के संबंध में आश्वासन दिया है, लेकिन मोबाइल फोन के अन्य स्वास्थ्य प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यहाँ कुछ प्रमुख चिंताएँ हैं:

आँखों की समस्याएँ: लंबे समय तक मोबाइल फोन का उपयोग करने से आँखों में सूजन, थकान, और दृष्टि में कमी हो सकती है। स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से “डिजिटल आंखों की थकान” जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

मानसिक स्वास्थ्य: मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से चिंता और अवसाद के स्तर में वृद्धि हो सकती है। सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन गतिविधियों के माध्यम से लगातार संपर्क में रहना कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

नींद में परेशानी: मोबाइल फोन की नीली रोशनी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। रात को सोने से पहले फोन का उपयोग करने से नींद में कमी आ सकती है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

शारीरिक स्वास्थ्य: लगातार मोबाइल फोन का उपयोग करने से शारीरिक गतिविधि में कमी आ सकती है। यह मोटापे, हृदय रोग, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

सुरक्षा उपाय
यदि आप मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, तो कुछ सुरक्षा उपायों का पालन करना महत्वपूर्ण है:

इयरफ़ोन का उपयोग करें: फोन पर बात करते समय इयरफ़ोन या हैंड्स-फ्री का उपयोग करने से आपके सिर के करीब विकिरण की मात्रा कम हो जाती है।

दूरी बनाए रखें: मोबाइल फोन को अपने शरीर से दूर रखें, विशेषकर जब आप इसे चार्ज कर रहे हों। चार्जिंग के दौरान फोन अधिक गर्म हो सकता है, जिससे विकिरण का स्तर बढ़ सकता है।

कम समय बिताएं: फोन पर बात करने का समय सीमित करें और ज़रूरत पड़ने पर टेक्स्टिंग या अन्य तरीकों का उपयोग करें।

नींद से पहले फोन का उपयोग न करें: सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल फोन का उपयोग न करें। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

स्क्रीन टाइम को सीमित करें: दिन भर में स्क्रीन के सामने बिताए जाने वाले समय को सीमित करें और नियमित ब्रेक लें।

भविष्य की शोध की आवश्यकता
हालांकि WHO ने मोबाइल फोन के कैंसर से संबंधित डर को कुछ हद तक कम किया है, लेकिन इसके स्वास्थ्य प्रभावों पर अधिक शोध की आवश्यकता है। नई तकनीकों और मोबाइल उपकरणों के विकास के साथ, यह महत्वपूर्ण है कि वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस विषय पर निरंतर अध्ययन करें।

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Health tips : नवरात्रि में व्रत रखने के 10 स्वास्थ्य लाभ

WHO द्वारा दी गई जानकारी ने मोबाइल फोन के उपयोग को लेकर कुछ चिंताओं को कम किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि मोबाइल फोन का उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। यह स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, सावधानी बरतना आवश्यक है। मोबाइल फोन का उपयोग करते समय जागरूकता और जिम्मेदारी अपनाना महत्वपूर्ण है, ताकि हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकें।

यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि मोबाइल फोन आज की आधुनिक जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं, और इन्हें पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता। इसीलिए, सावधानी और सही उपयोग के साथ हम मोबाइल फोन के लाभों का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं, जबकि संभावित हानियों से भी सुरक्षित रह सकते हैं।

Health tips : नवरात्रि में व्रत रखने के 10 स्वास्थ्य लाभ

नवरात्रि, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दौरान भक्त लोग व्रत रखते हैं, जो न केवल आध्यात्मिक शुद्धता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। यहां हम नवरात्रि में व्रत रखने के दस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभों के बारे में चर्चा करेंगे।
नवरात्रि

1. शरीर का Detoxification

नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से शरीर का प्राकृतिक रूप से डिटॉक्सिफिकेशन होता है। जब हम व्रत रखते हैं, तो हम अस्वास्थ्यकर और तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते। यह शरीर को शुद्ध करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का एक अच्छा मौका प्रदान करता है। फल, दूध, और साबुत अनाज जैसे हल्के और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर को ताजगी और ऊर्जा देता है।

नवरात्रि

2. वजन प्रबंधन

नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से वजन नियंत्रित करने में मदद मिलती है। बहुत से लोग इस समय विशेषकर हल्का और पौष्टिक भोजन करते हैं, जैसे फल, नट्स, और साबुत अनाज। यह शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हुए कैलोरी का सेवन कम करता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है। व्रत का यह तरीका शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ावा देता है।

3. मानसिक स्पष्टता और ध्यान

व्रत रखने से मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है। जब हम भोजन का ध्यान रखते हैं, तो हमारा मन भी अधिक केंद्रित और शांति की स्थिति में होता है। नवरात्रि के दौरान ध्यान और पूजा करने से मानसिक तनाव कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।

4. पाचन तंत्र का सुधार

व्रत रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है। जब हम भारी भोजन का सेवन नहीं करते, तो पाचन तंत्र को सही तरीके से कार्य करने का अवसर मिलता है। फल और सब्जियों में फाइबर की अधिकता होती है, जो पाचन को सुगम बनाती है। इसके अलावा, व्रत के दौरान पानी का अधिक सेवन करना भी पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

5. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

नवरात्रि में व्रत रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है। फल, दूध और सूखे मेवे जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से शरीर को आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं। ये तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं और विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।

6. आत्म-नियंत्रण और अनुशासन

व्रत रखने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह आत्म-नियंत्रण और अनुशासन को बढ़ावा देता है। जब हम अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखते हैं, तो यह हमें मानसिक शक्ति और संकल्प प्रदान करता है। यह केवल खान-पान पर नहीं, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी अनुशासन लाने में मदद करता है। नवरात्रि के व्रत के माध्यम से हम अपनी इच्छाओं को नियंत्रित कर सकते हैं और सकारात्मक आदतों को विकसित कर सकते हैं।

नवरात्रि के दौरान व्रत रखना न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक लाभदायक है। शरीर को detoxify करना, वजन प्रबंधन में सहायता करना, मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देना, पाचन तंत्र को सुधारना, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, और आत्म-नियंत्रण विकसित करना—ये सभी लाभ हमें इस पवित्र पर्व के दौरान व्रत रखने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए, नवरात्रि के इस अवसर पर, हम सभी को इस परंपरा का पालन करना चाहिए और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहिए।

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गोविंदा अस्पताल से छुट्टी लेकर घर लौटे, फैंस ने ली राहत की सांस

प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा, जो कि ‘दीवाना में दीवाना’, ‘लूट’, ‘पार्टनर’ और ‘राजा भैया’ जैसी हिट फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में एक दुर्घटना का शिकार हो गए। चार दिन पहले, एक अप्रिय घटना में गलती से उन्होंने अपने पैर में रिवॉल्वर चला दिया, जिसके कारण उन्हें गंभीर चोटें आईं। इस घटना के बाद, गोविंदा को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार, 10 अक्टूबर को, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जिससे उनके फैंस ने राहत की सांस ली।

गोविंदा की  अस्पताल से छुट्टी

गोविंदा की पत्नी, सुनीता, ने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें कम से कम छह सप्ताह तक आराम करने की सलाह दी है। 60 वर्षीय गोविंदा अस्पताल से बाहर निकलते समय अपने परिवार के सदस्यों के साथ नजर आए। उनके बाएं पैर पर पलस्तर लगा हुआ था, जो इस बात का संकेत था कि उनकी चोट कितनी गंभीर थी। इस दौरान, गोविंदा ने हाथ जोड़कर मीडिया और अपने प्रशंसकों का अभिवादन किया।

गोविंदा ने इस अवसर पर कहा, “मैं प्रेस के सदस्यों, अधिकारियों और मेरे प्रशंसकों का धन्यवाद करता हूं जो मुझे प्यार करते हैं। उनकी शुभकामनाएं मुझे सुरक्षित रखने में मददगार साबित हुई हैं।” डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनके पैर में 8 से 10 टांके लगे हैं, और फिलहाल उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होगी।

गोविंदा की पत्नी सुनीता की चिंता

गोविंदा की पत्नी सुनीता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “उन्हें आज छुट्टी मिल गई है। मैं उन्हें घर लाऊंगी, लेकिन उन्हें खड़े होने में दिक्कत होगी। वह ठीक हैं और मुझे उम्मीद है कि कुछ दिनों में वह फिर से डांस करना शुरू कर देंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि वे ज्यादा लोगों को मिलने की अनुमति नहीं देंगी क्योंकि गोविंदा को संक्रमण होने का खतरा है। यह सुनकर उनके फैंस ने चिंता जाहिर की और उनके जल्द ठीक होने की कामना की।

पुलिस की जांच
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय पुलिस ने मामले में जांच शुरू की है। हालांकि, पुलिस ने बताया कि अभी तक इस मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है। गोविंदा ने इस घटना के बाद एक ऑडियो नोट भी जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने प्रशंसकों और परिवार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मेरे प्रशंसकों, मेरे माता-पिता और भगवान के आशीर्वाद से मैं अब बेहतर हूं। मुझे गोली लगी थी, जिसे अब निकाल दिया गया है।”

गोविंदा का करियर और फैंस का समर्थन
गोविंदा भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक बड़े नाम हैं। उन्होंने 1980 और 1990 के दशक में कई हिट फिल्मों में काम किया और आज भी उनके प्रशंसक उनकी अदाकारी के दीवाने हैं। उनकी फिल्मों में न केवल शानदार कॉमेडी होती थी, बल्कि उनके डांस मूव्स भी दर्शकों को आकर्षित करते थे। ऐसे में, उनके फैंस ने सोशल मीडिया पर उनके जल्दी ठीक होने की दुआ मांगी और उनकी सेहत के लिए प्रार्थना की।

गोविंदा के प्रशंसकों ने उनके प्रति अपना समर्थन दिखाते हुए ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर #GetWellSoonGovinda ट्रेंड कराया। उनके फैंस ने लिखा कि वे उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और जब वह ठीक हो जाएंगे, तो उन्हें फिर से डांस करते हुए देखना चाहते हैं।

गोविंदा का परिवार
गोविंदा का परिवार उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उनकी पत्नी सुनीता हमेशा उनकी देखभाल करती हैं, और उनकी बेटी टीना भी इस कठिन समय में उनके साथ है। सुनीता ने कहा कि वे गोविंदा को अधिक से अधिक आराम करने का समय देंगी ताकि वह जल्दी ठीक हो सकें। उनके परिवार का यह समर्थन न केवल गोविंदा के लिए, बल्कि उनके प्रशंसकों के लिए भी एक राहत की बात है, क्योंकि वे जानते हैं कि गोविंदा को ऐसे कठिन समय में एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम मिला है।

गोविंदा की हाल की दुर्घटना ने उनके प्रशंसकों को चिंता में डाल दिया था, लेकिन अब जब वह अस्पताल से छुट्टी लेकर घर लौट चुके हैं, तो सभी ने राहत की सांस ली है। उनकी पत्नी और परिवार का समर्थन उन्हें जल्दी ठीक होने में मदद करेगा। इस कठिन समय में, गोविंदा के प्रशंसकों ने एकजुट होकर उनके लिए प्रार्थना की है, और सभी को उम्मीद है कि वह जल्द ही अपने पुराने रंग में लौटेंगे।

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धामी सरकार ने तीन साल में शुरु किए दो मेडिकल कॉलेज

आखिरकार, गोविंदा की वापसी का इंतजार उनके लाखों फैंस कर रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह जल्द ही अपने फैंस को फिर से अपनी अदाकारी से कैसे प्रभावित करते हैं।

धामी सरकार ने तीन साल में शुरु किए दो मेडिकल कॉलेज

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तीन साल के कार्यकाल के दौरान उत्तराखण्ड में दो नए मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं। धामी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2022 में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुका है और अब इसी सत्र से हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू होने जा रहा है। दोनों जगह की कुल 200 नई सीटें जुड़ने से उत्तराखण्ड में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़कर 625 हो गई है।


पुष्कर सिंह धामी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने से पहले प्रदेश में श्रीनगर, देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज ही संचालित हो रहे थे। हालांकि तब तक अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज पर भी काम शुरू हो चुका था। कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल बाद प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ ही एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ाने के संकल्प के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन दोनों मेडिकल कॉलेजों को प्राथमिकता पर शुरू करने के निर्देश दिए। जिसके बाद दोनों मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर पूरा किया गया। जिसमें से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज का निर्माण पहले पूरा होने पर यहां 2022 से ही मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। अब इसी क्रम में हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का भी निर्माण कार्य पूरा होने से इसी शैक्षिक सत्र से यहां भी एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है।

मेधावी छात्रों को मौका

केंद्र सरकार ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 मौजूदा शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए 100 सीटें मंजूर कर दी हैं। इसके लिए अब काउंसिलिंग शुरू की जा रही है। इससे प्रदेश के और अधिक बच्चों को एमबीबीएस करने का मौका मिलेगा, इसके लिए उन्हें सरकारी फीस ही चुकानी है।

उत्तराखंड में सरकारी मेडिकल कॉलेज और सीटें
देहरादून – 150
हल्द्वानी -125
श्रीनगर – 150
अल्मोड़ा – 100
हरिद्वार -100
—————–
कुल 625

हमारी सरकार नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के जरिए जहां स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर रही है वहीं इससे मेधावी छात्रों को भी अपने प्रदेश में ही मेडिकल की पढ़ाई सस्ती दरों पर करने का मौका मिलेगा। हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए जल्द पहले बैच की काउंसिलिंग शुरू होगी जल्द ही पिथौरागढ़ और रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा करते हुए जरूरी मान्यता दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने स्वच्छता अभियान का किया आयोजन

स्वच्छता सेवा पखवाड़ा-2024 के अंतर्गत राजभवन में ‘स्वच्छता प्रभात फेरी‘ एवं ‘विशेष सफाई अभियान‘ का हुआ आयोजन . राजभवन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पूरे राजभवन परिसर की सफाई कर स्वच्छता का दिया संदेश .

राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने स्वच्छता अभियान का किया आयोजन
राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने स्वच्छता अभियान का किया आयोजन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा और मार्गदर्शन में ‘स्वच्छता ही सेवा पखवाड़-2024‘ के अंतर्गत आज राजभवन में ‘स्वच्छता प्रभात फेरी‘ एवं एक ‘विशेष सफाई अभियान‘ का आयोजन किया गया।

‘स्वच्छता प्रभात फेरी‘ में राजभवन के कार्मिकों ने अत्यंत उत्साह के साथ लिया भाग

‘स्वच्छता प्रभात फेरी‘ में राजभवन के कार्मिकों ने अत्यंत उत्साह के साथ भाग लिया। ‘स्वच्छता प्रभात फेरी‘ की शुरुआत राजभवन पोर्टिको से हुई और यह पूरे राजभवन प्रांगण से होकर हजरतगंज चौराहा और फिर मेफेयर तिराहा से यू-टर्न लेकर पुनः राजभवन पोर्टिको पर समाप्त हुई। इस फेरी का नेतृत्व परिसहाय राज्यपाल पुनीत द्विवेदी ने किया।

प्रभात फेरी के दौरान प्रतिभागियों ने ‘हर मर्ज की एक दवाई, आओ मिलकर करें सफाई और ‘मेरी मिट्टी, मेरी शान, मेरा देश, मेरा अभिमान‘ जैसे स्लोगन लगाए और स्वच्छता के महत्व को प्रभावी ढंग से उजागर किया गया। इस प्रभात फेरी का उद्देश्य स्वच्छता का संदेश फैलाना और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना था जिसे सभी सदस्यों ने सफलतापूर्वक पूरा किया।

राजभवन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पूरे राजभवन परिसर की सफाई कर स्वच्छता का दिया संदेश
राजभवन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पूरे राजभवन परिसर की सफाई कर स्वच्छता का दिया संदेश

इसी क्रम में आज राजभवन में एक और विशेष स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजभवन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पूरे राजभवन परिसर की सफाई की और स्वच्छता का संदेश दिया।

इस सफाई अभियान ने स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के उद्देश्यों को और भी सशक्त बनाया जिसमें स्वच्छता के महत्व को समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने का संदेश निहित था।

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यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने स्वच्छता कार्यक्रम में लिया भाग।

उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने 02 अक्टूबर को प्रयागराज में सिविल लाइन स्थित हनुमान जी के मंदिर के फर्श की की धुलाई व संगम घाट पर लगाया झाडू।

यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने स्वच्छता कार्यक्रम में लिया भाग।
यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने स्वच्छता कार्यक्रम में लिया भाग।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितम्बर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर 2024 तक चले स्वच्छता सेवा पखवाड़ा के अन्तर्गत सिविल लाइन प्रयागराज में हनुमान जी के मंदिर के फर्श की धुलाई कर स्वच्छता एवं तत्पश्चात संगम घाट पर झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया। उन्होंने सिविल लाइन स्थित हनुमान मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चना भी की।

हमारे विचारों, आदतों और कार्यशैली में भी स्वच्छता का प्रतिबिंब दिखना चाहिए – केशव प्रसाद मौर्य

उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि स्वच्छता सेवा पखवाड़ा केवल एक अभियान नहीं बल्कि हमारे समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है। स्वच्छता न केवल हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी है बल्कि यह हमारे जीवन की गुणवत्ता और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अनिवार्य है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में स्वच्छ भारत अभियान ने देशभर में जागरूकता की एक नई लहर पैदा की है। आज यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस प्रयास को और आगे बढ़ाएँ। स्वच्छता केवल सड़कों और गलियों की सफाई तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे विचारों, आदतों और कार्यशैली में भी इसका प्रतिबिंब दिखना चाहिए।

स्वच्छता हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गंदगी और कूड़े-कचरे के कारण कई गंभीर बीमारियाँ फैलती हैं। इसलिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से स्वच्छता के प्रति सजग रहना चाहिए। हमें न केवल अपने घर और आसपास के क्षेत्रों की सफाई पर ध्यान देना है। बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए भी कदम उठाने होंगे। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि सभी लोग अपने-अपने क्षेत्रों में स्वच्छता का प्रसार करें।

स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों पर साफ-सफाई बनाए रखें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।हमें यह समझना होगा कि स्वच्छता केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं है यह हम सभी की जिम्मेदारी है। हमारे सामूहिक प्रयासों से ही हम एक स्वच्छ, स्वस्थ और उन्नत समाज का निर्माण कर सकते हैं। सभी लोग स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम अपने देश व प्रदेश को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहें।

इस अवसर पर उप-मुख्यमंत्री ने मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करतेे हुए कहा कि प्रयागराज के लोग साक्षी है मैं भी साक्षी हूं। जिन्होंने कुम्भ-2019 के भव्य एवं दिव्य आयोजन को देखा है। आगामी महाकुम्भ-2025 का आयोजन ऐतिहासिक, दिव्य, भव्य व स्वच्छ होगा। उन्होंने कहा कि कुम्भ-2019 में जहां लगभग 24 करोड़ लोग आये थे वहीं इस महाकुम्भ मेले में यह संख्या दोगुनी होने की उम्मीद है। देश भर में महाकुम्भ मेले को लेकर उत्साह है। उन्होंने कहा कि मेले से सम्बंधित सभी तैयारियां समय से पूर्ण कर ली लायेगी।

उप-मुख्यमंत्री ने बालसन चौराहे पर स्थित महापुरूषों की मूर्तियों पर माल्यार्पण भी किया।

उन्होंने प्रयागराज के बालसन चौराहा पर स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। साथ ही मेडिकल कॉलेज चौराहे पर लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया।

जनपद प्रयागराज में मेजा की पूर्व विधायक नीलम करवरिया के निधन की सूचना प्राप्त हुई थी उप-मुख्यमंत्री ने उनके परिजनों के आवास पहुंच कर उनके स्मृति चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा परिजनों से मिलकर शोक संवेदना व्यक्त किया। उन्होंने एक अन्य महत्वपूर्ण स्वच्छता सेवा संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर महापौर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी राजेंद्र मिश्रा व अन्य जनप्रतिनिधिगण के अलावा भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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