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Tuesday, July 8, 2025
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लखनऊ जिला कारागार में कार्यक्रम का हुआ आयोजन।

लखनऊ जिला कारागार में कार्यक्रम का हुआ आयोजन।
लखनऊ जिला कारागार में कार्यक्रम का हुआ आयोजन।
लखनऊ जिला कारागार में कार्यक्रम का हुआ आयोजन।
लखनऊ जिला कारागार में कार्यक्रम का हुआ आयोजन।

लखनऊ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर लखनऊ जिला कारागार में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जेल प्रशासन और कारागार कर्मियों द्वारा दोनों महापुरुषों के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का उद्देश्य महापुरुषों के सिद्धांतों और आदर्शों से बंदियों को प्रेरित करना था।

लखनऊ जेल में निरुद्ध बंदियों के बीच स्वच्छता पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन

कार्यक्रम के दौरान जेल में निरुद्ध बंदियों के बीच स्वच्छता पर आधारित निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें बंदियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। इस मौके पर विभिन्न सामाजिक संगठनों—इनर व्हील क्लब, लखनऊ फार्मर्स मार्केट, फिक्की फ्लो, लायंस क्लब, और बीइंग विमेन फाउंडेशन ने भी सहभागिता दिखाई। इन संगठनों की महिला सदस्यों ने जेल में बंद महिलाओं और उनके साथ रहने वाले छोटे बच्चों के बीच वस्त्र और खिलौनों का वितरण किया। इसके साथ ही महिला बंदियों को आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरित करते हुए हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया गया।

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लखनऊ जिला कारागार में महापुरषों के सिद्धांतों एवं आदर्शों से बंदियों को किया गया प्रेरित।
लखनऊ जिला कारागार में महापुरषों के सिद्धांतों एवं आदर्शों से बंदियों को किया गया प्रेरित।

लखनऊ जिला कारागार में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया

पुरुष बंदियों के लिए पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बंदियों को पौध तैयार करने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। ताकि वे समाज में लौटने के बाद पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय योगदान दे सकें।

जेल प्रशासन ने इस अवसर को प्रेरणादायक बनाते हुए महात्मा गांधी के जीवन और उनके अहिंसा के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। कैदियों को महापुरषों की शिक्षाओं का अनुसरण करने और उनके आदर्शों से प्रेरणा लेकर सुधार के पथ पर अग्रसर होने का संदेश दिया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बंदियों के मन में आत्मचिंतन और सुधार की भावना को जाग्रत करना था। ताकि वे जेल से बाहर निकलकर समाज के लिए सकारात्मक योगदान दे सकें।

कार्यक्रम में कारागार अधीक्षक बृजेन्द्र सिंह, जेलर ऋत्विक प्रियदर्शी, सुरेन्द्र मोहन सिंह, सुनील दत्त मिश्र, डिप्टी जेलर आशुतोष मिश्रा, वीरेन्द्र विक्रम सिंह, अजय कुलवंत और आरती पटेल सहित बड़ी संख्या में कारागार कर्मी उपस्थित थे।

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Helath tips : सर्दियों के सुपरफूड्स ,अक्टूबर में शामिल करें ये 5 चीजें

सर्दियों के सुपरफूड्स: अक्टूबर में शामिल करें ये 5 चीजें
सर्दियों के सुपरफूड्स: अक्टूबर में शामिल करें ये 5 चीजें

जैसे ही अक्टूबर का महीना आता है, सर्दियों की ठंड का अहसास होने लगता है। इस समय शरीर को अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है ताकि हम स्वस्थ रह सकें और सर्दियों की ठंड से सुरक्षित रह सकें। यहाँ हम आपके लिए पांच ऐसे सुपरफूड्स लेकर आए हैं, जिन्हें अक्टूबर में अपनी डाइट में शामिल करना फायदेमंद होगा। ये खाद्य पदार्थ न केवल आपकी इम्यूनिटी बढ़ाएंगे, बल्कि आपको सर्दियों में गर्म भी रखेंगे।

सर्दियों के सुपरफूड्स: अक्टूबर में शामिल करें ये 5 चीजें
सर्दियों के सुपरफूड्स: अक्टूबर में शामिल करें ये 5 चीजें

1. गाजर (  सर्दियों के सुपरफूड्स )

गाजर सर्दियों में सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है। यह बीटा-कैरोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो शरीर में विटामिन ए में परिवर्तित होता है। यह आपकी आँखों, त्वचा और इम्यून सिस्टम के लिए बहुत फायदेमंद है।

सेहत के फायदे:

  • इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद: गाजर में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
  • त्वचा के लिए फायदेमंद: सर्दियों में त्वचा सूखी हो सकती है, और गाजर खाने से आपकी त्वचा की चमक बनी रहती है।

कैसे खाएं: गाजर को कच्चा सलाद में, सब्जियों में, या गाजर का हलवा बनाकर खा सकते हैं।

2. मूंगफली

मूंगफली सर्दियों में विशेष रूप से लोकप्रिय होती है। इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, और स्वस्थ वसा होती है। ये ऊर्जा देने के साथ-साथ शरीर को गर्म रखने में मदद करती हैं।

सेहत के फायदे:

  • ऊर्जा का अच्छा स्रोत: मूंगफली खाने से शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा मिलती है।
  • दिल के लिए फायदेमंद: मूंगफली में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड वसा दिल को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

कैसे खाएं: मूंगफली को भूनकर या मूंगफली का लड्डू बनाकर खा सकते हैं।

3. सरसों का साग

सरसों का साग सर्दियों में सबसे पसंदीदा हरी सब्जियों में से एक है। यह आयरन, कैल्शियम और विटामिन सी से भरपूर होता है, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है।

सेहत के फायदे:

  • हड्डियों को मजबूत बनाना: सरसों के साग में कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
  • पाचन में सुधार: इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।

कैसे खाएं: सरसों के साग को मक्की की रोटी के साथ खाएं या उसे पकोड़ों में इस्तेमाल करें।

4. अदरक

अदरक सर्दियों में इस्तेमाल होने वाला एक महत्वपूर्ण मसाला है। यह न केवल खाने में स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी हैं।

सेहत के फायदे:

  • सर्दी-जुकाम से राहत: अदरक का सेवन सर्दी और जुकाम में राहत दिलाने में मदद करता है।
  • पाचन में सुधार: अदरक पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और गैस, पेट दर्द को कम करता है।

कैसे खाएं: अदरक की चाय बनाकर या खाने में मसाले के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. तिल (तिल के बीज)

तिल के बीज सर्दियों में खासतौर पर खाने में शामिल किए जाते हैं। ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं।

सेहत के फायदे:

  • कैल्शियम का अच्छा स्रोत: तिल में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • एंटीऑक्सीडेंट गुण: तिल के बीज में मौजूद सेसामोलिन हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

कैसे खाएं: तिल को गुड़ के साथ लड्डू बनाकर या सलाद में मिलाकर खा सकते हैं।

सर्दियों में इन सुपरफूड्स को अपने भोजन में शामिल करके न केवल आप अपनी इम्यूनिटी को मजबूत कर सकते हैं, बल्कि सर्दी से भी सुरक्षित रह सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से न केवल आपके शरीर को गर्मी मिलेगी, बल्कि यह आपको स्वस्थ भी रखेगा। अक्टूबर में ही इन चीजों को अपने आहार में शामिल करें और सर्दियों का आनंद लें।

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Health Tips : एक महीने तक चाय छोड़ने के 5 फायदें , स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव

चाय, जिसे विश्वभर में कई लोग दिन की शुरुआत से लेकर अंत तक पीते हैं, एक ऐसा पेय है जो स्वास्थ्य पर कई प्रभाव डालता है। हालांकि, अगर आप एक महीने के लिए चाय पीना छोड़ दें, तो आपके शरीर में कई सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं। इस लेख में हम उन पांच प्रमुख फायदों की चर्चा करेंगे जो चाय छोड़ने से आपके स्वास्थ्य पर पड़ सकते हैं।

एक महीने तक चाय छोड़ने के 5 फायदें , स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव
एक महीने तक चाय छोड़ने के 5 फायदें , स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव

1. कैफीन की कमी से नींद में सुधार

चाय में प्राकृतिक रूप से कैफीन पाया जाता है, जो आपके नींद के चक्र को प्रभावित कर सकता है। जब आप चाय का सेवन करते हैं, तो कैफीन का यह उत्तेजक प्रभाव आपकी नींद की गुणवत्ता को कम कर सकता है। यदि आप एक महीने के लिए चाय छोड़ते हैं, तो आपको नींद में सुधार देखने को मिल सकता है। कैफीन की कमी से मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन बेहतर हो जाता है, जिससे आपकी नींद अधिक गहरी और आरामदायक हो जाती है। बेहतर नींद से आपका मानसिक स्वास्थ्य भी सुधरता है और आप दिन भर अधिक सक्रिय महसूस करते हैं।

2. चिंता और तनाव में कमी

चाय में मौजूद कैफीन मानसिक उत्तेजना को बढ़ाता है, जो कुछ लोगों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। जब आप एक महीने तक चाय नहीं पीते, तो आपको चिंता के स्तर में कमी देखने को मिल सकती है। इसके साथ ही, आप अपनी सोच को स्पष्टता से देख सकते हैं। तनाव के कम होने से आपके दिन का अनुभव बेहतर होता है और आप अधिक संतुलित मानसिक स्थिति में रहते हैं। इस समय आप योग, ध्यान या अन्य स्वस्थ गतिविधियों की ओर भी ध्यान दे सकते हैं, जिससे आपका मानसिक स्वास्थ्य और भी मजबूत होता है।

3. पाचन में सुधार

चाय में टैनिन की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन में रुकावट डाल सकती है। कई लोग चाय का अधिक सेवन करने से गैस, सूजन या अन्य पाचन समस्याओं का सामना करते हैं। यदि आप एक महीने तक चाय छोड़ते हैं, तो आपको पाचन में सुधार देखने को मिल सकता है। बिना चाय के, आप फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों की ओर ध्यान देंगे, जिससे कब्ज और अपच जैसी समस्याएं कम हो सकती हैं। इसके अलावा, पानी या अन्य हाइड्रेटिंग पेय का सेवन बढ़ाने से आपकी पाचन क्षमता भी सुधर सकती है।

4. कैफीन की लत से छुटकारा

कैफीन एक आदत बनाने वाला उत्तेजक है, जो कुछ लोगों को बार-बार चाय या कॉफी पीने के लिए प्रेरित करता है। चाय छोड़ने से, आप धीरे-धीरे कैफीन की लत से मुक्त हो सकते हैं। यह प्रक्रिया शुरुआती दिनों में कठिन हो सकती है, लेकिन एक महीने के बाद, आपका शरीर कैफीन की आदत को छोड़ देता है। इससे सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और अन्य नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है। इस दौरान, आप ऊर्जा के लिए अन्य प्राकृतिक स्रोतों, जैसे फलों और नट्स का सेवन कर सकते हैं।

5. हाइड्रेशन स्तर में सुधार

चाय, खासकर काली चाय, मूत्रवर्धक होती है, जिससे आपके शरीर में से तरल पदार्थ की कमी हो सकती है। जब आप चाय का सेवन बंद कर देते हैं, तो आप अधिक पानी या हाइड्रेटिंग पेय पीने लगते हैं। इससे आपके शरीर में हाइड्रेशन का स्तर बढ़ता है, जो आपकी त्वचा, पाचन और समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। हाइड्रेटेड रहने से आप थकान को कम कर सकते हैं और ऊर्जा स्तर को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, यह आपकी त्वचा को भी तरोताजा और चमकदार बनाए रखता है।

6. मानसिक स्पष्टता में सुधार

चाय छोड़ने के बाद, आप मानसिक स्पष्टता में सुधार महसूस कर सकते हैं। कैफीन की अनुपस्थिति से आपके दिमाग की सक्रियता में कमी नहीं आती, बल्कि आपके ध्यान और स्मृति में सुधार होता है। एक महीने के बाद, आप पाएंगे कि आप निर्णय लेने में अधिक सक्षम हैं और आपके विचार अधिक संतुलित हैं। मानसिक स्वास्थ्य में सुधार से आपकी उत्पादकता भी बढ़ सकती है, जिससे आप अपने कार्यों में अधिक सफल हो सकते हैं।

7. नई स्वादों का अनुभव

चाय छोड़ने से, आप अन्य पेय पदार्थों का स्वाद लेने का मौका पा सकते हैं। जैसे कि फलों के रस, हर्बल चाय, या अदरक-नींबू पानी। नए स्वादों का अनुभव करने से आपका आहार और भी विविधता में आ जाता है। इससे आप स्वस्थ और संतुलित आहार की ओर बढ़ सकते हैं। इस प्रक्रिया में, आप नए नुस्खों और पौधों के सेवन से भी परिचित हो सकते हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।


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8. सामाजिक परिवर्तन

चाय केवल एक पेय नहीं है; यह सामाजिक संपर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। जब आप चाय छोड़ते हैं, तो आपको अपने सामाजिक जीवन में बदलाव का अनुभव हो सकता है। चाय की जगह अन्य पेय पदार्थों का चुनाव करना, आपको दोस्तों और परिवार के साथ नए तरीके से समय बिताने का मौका देता है। इससे आपकी सामाजिक परस्पर क्रियाएँ और भी रोमांचक हो सकती हैं, और आप नए अनुभवों का सामना कर सकते हैं।

एक महीने के लिए चाय छोड़ने से आपके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य में कई सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। यह एक कठिन प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इसके परिणाम बेहद फायदेमंद होते हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम महत्वपूर्ण हैं। अगर आप चाय पीने की आदत को छोड़ने का निर्णय लेते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद कर सकता है।

सांसदों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जी.एम.सी. बालयोगी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

सांसदों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जी.एम.सी. बालयोगी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
सांसदों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जी.एम.सी. बालयोगी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जी.एम.सी. बालयोगी की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।

सांसदों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जी.एम.सी. बालयोगी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
सांसदों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जी.एम.सी. बालयोगी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इस अवसर पर संसद सदस्यों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी बालयोगी को पुष्पांजलि अर्पित की।

लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह और लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों ने बालयोगी को श्रद्धांजलि दी।

बालयोगी बारहवीं लोकसभा के अध्यक्ष थे और उन्हें पुनः तेरहवीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया था। वह दसवीं लोकसभा के सदस्य भी रहे। इससे पहले वह आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य और आंध्र प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। बालयोगी का निधन 3 मार्च 2002 को आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुआ था।

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स्वास्थ्य अलर्ट: Dengue और Malaria के बढ़ते मामले – लक्षणों में समानता और पहचान के 3 तरीके

देशभर में इन दिनों dengue और malaria के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो न केवल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए चुनौती प्रस्तुत कर रही है, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। ये दोनों बीमारियाँ मच्छरों द्वारा फैलती हैं, और उनके लक्षण भी काफी हद तक समान होते हैं, जिससे पहचान में कठिनाई होती है। इस लेख में हम dengue और malaria के बीच के अंतर को समझेंगे, दोनों की पहचान और रोकथाम के उपायों पर चर्चा करेंगे, और यह जानेंगे कि कैसे सावधान रह सकते हैं।

dengue और malaria
स्वास्थ्य अलर्ट: डेंगू और मलेरिया के बढ़ते मामले – लक्षणों में समानता और पहचान के तरीके

डेंगू और मलेरिया

डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और त्वचा पर दाने शामिल हैं। दूसरी ओर, मलेरिया एक परजीवी संक्रमण है, जो एनाफ़ेलीज मच्छर द्वारा फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, कमजोरी और उल्टी शामिल हैं। दोनों बीमारियों की गंभीरता बढ़ सकती है और समय पर इलाज न मिलने पर यह जानलेवा भी हो सकती हैं।

लक्षणों का विश्लेषण

डेंगू और मलेरिया के लक्षणों में भले ही समानताएं हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं। डेंगू का बुखार अचानक आता है और इसमें मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द होता है, जबकि मलेरिया में बुखार नियमित अंतराल पर आता है और उसमें ठंड लगना और पसीना आना सामान्य है। डेंगू में दाने और रक्तस्राव के लक्षण भी हो सकते हैं, जबकि मलेरिया में आमतौर पर ऐसे लक्षण नहीं होते हैं। इस प्रकार, लक्षणों के आधार पर डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है।

निदान की प्रक्रिया

यदि किसी व्यक्ति को डेंगू या मलेरिया के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। डॉक्टर आमतौर पर रक्त परीक्षण करवाने की सलाह देते हैं। डेंगू के लिए डेंगू NS1 एंटीजन परीक्षण या डेंगू IgM और IgG एंटीबॉडी परीक्षण किया जाता है। मलेरिया के लिए, रक्त की सूक्ष्म परीक्षा की जाती है, जिसमें परजीवियों की पहचान की जाती है। निदान के बाद ही सही उपचार शुरू किया जा सकता है।

उपचार के उपाय

डेंगू का कोई विशेष antiviral उपचार नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए पेरासिटामोल और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन आवश्यक होता है। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है। वहीं, मलेरिया का उपचार एंटीमलेरियल दवाओं से किया जाता है, जैसे कि आर्टेमिसिनिन या क्विनिन। समय पर उपचार प्राप्त करने से दोनों बीमारियों के गंभीर होने की संभावना कम हो जाती है।

रोकथाम के उपाय

dengue और malaria दोनों से बचाव के लिए मच्छरों से सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए मच्छरदानी का उपयोग करें, शरीर पर मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं, और घर के आसपास पानी जमा न होने दें। सरकारी स्वास्थ्य विभाग भी समय-समय पर फागिंग और मच्छर प्रबंधन कार्यक्रम चलाते हैं, जिनमें भाग लेना आवश्यक है। इसके अलावा, यदि आप मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में जा रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेकर एंटीमलेरियल दवाएं लेना न भूलें।


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सामुदायिक जागरूकता

डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए सामुदायिक जागरूकता बहुत जरूरी है। लोगों को इन बीमारियों के लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में शिक्षित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। स्कूलों, कॉलेजों और समुदाय के अन्य स्थानों पर कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए, जिससे कि लोग अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के प्रति जागरूक हो सकें।

डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए जागरूकता और सतर्कता आवश्यक है। लक्षणों के प्रति सजग रहकर, समय पर उपचार और रोकथाम के उपायों को अपनाकर हम इन बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग और समुदाय का सहयोग भी इस दिशा में महत्वपूर्ण है। अंततः, सही जानकारी और सावधानी बरतने से हम इन जानलेवा बीमारियों से लड़ने में सफल हो सकते हैं।

स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। इसलिए, अपने और अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए सभी आवश्यक कदम उठाना जरूरी है। जागरूकता, सावधानी और सामुदायिक प्रयास ही हमें इन बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं।


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दुबले-पतले लोगों के लिए 8 प्रभावी उपाय , ताकत और वजन बढ़ाने के सरल तरीके

दुबले-पतले लोगों के लिए 8 प्रभावी उपाय
दुबले-पतले लोगों के लिए 8 प्रभावी उपाय

दुबले-पतले लोग अक्सर अपनी शरीर की कमज़ोरी से चिंतित रहते हैं और वजन बढ़ाने के उपाय खोजते रहते हैं। वजन बढ़ाने के लिए सही आहार और जीवनशैली अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम कुछ ऐसे उपायों का जिक्र करेंगे, जो दुबले-पतले लोगों को ताकतवर बनाने और वजन बढ़ाने में मदद करेंगे।

दुबले-पतले लोगों के लिए 8 प्रभावी उपाय
दुबले-पतले लोगों के लिए 8 प्रभावी उपाय

1. प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ

प्रोटीन शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। दुबले-पतले लोगों के लिए, अंडे, चिकन, मछली, दालें और नट्स जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन आवश्यक है। प्रोटीन मांसपेशियों के विकास और मरम्मत में मदद करता है। शोधों के अनुसार, प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन करने से मांसपेशियों का विकास तेज़ी से होता है और वजन भी बढ़ता है।

2. कैलोरी युक्त स्नैक्स

कैलोरी युक्त स्नैक्स जैसे बादाम, काजू, पीनट बटर और सूखे मेवे आपके आहार में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। इन स्नैक्स का सेवन करने से आप आसानी से अपनी कैलोरी इनटेक बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही, ये स्नैक्स ऊर्जा प्रदान करते हैं और आपके शरीर के पोषण में भी सहायक होते हैं।

3. कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन

जटिल कार्बोहाइड्रेट्स जैसे ब्राउन राइस, क्विनोआ, ओट्स और साबुत अनाज आपके ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। ये कार्बोहाइड्रेट्स शरीर में ग्लीकोजन के रूप में संग्रहित होते हैं, जो मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, ये लंबे समय तक भूख को नियंत्रित रखते हैं।

4. स्वस्थ वसा का सेवन

स्वस्थ वसा जैसे एवोकाडो, जैतून का तेल, और फैटी फिश आपके वजन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। ये वसा कैलोरी का अच्छा स्रोत होते हैं और मांसपेशियों की वृद्धि में भी सहायक होते हैं। स्वस्थ वसा का सेवन करने से हार्मोन संतुलित रहते हैं, जो मांसपेशियों के विकास में मददगार होते हैं।

5. व्यायाम और वजन प्रशिक्षण

सिर्फ आहार ही नहीं, बल्कि नियमित व्यायाम और वजन प्रशिक्षण भी महत्वपूर्ण हैं। सप्ताह में कम से कम तीन बार वजन उठाने से मांसपेशियों का विकास होता है। यह न केवल आपके शरीर को मजबूत करेगा, बल्कि आपकी शक्ति और सहनशक्ति को भी बढ़ाएगा।

6. हाइड्रेशन

पानी की कमी वजन बढ़ाने में बाधा डाल सकती है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और पोषक तत्वों का अवशोषण सही तरीके से होता है। इसके अलावा, पानी पीने से भूख नियंत्रित रहती है, जिससे नियमित रूप से खाने में मदद मिलती है।

 

7. पर्याप्त नींद

नींद का प्रभाव भी वजन पर पड़ता है। सही नींद मांसपेशियों के विकास और सुधार के लिए आवश्यक है। अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि पर्याप्त नींद लेने वाले लोग अधिक मांसपेशियों का विकास करते हैं। इसलिए, दुबले-पतले लोगों को 7-9 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है।

8. तनाव प्रबंधन

तनाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। तनाव के समय शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो मांसपेशियों के विकास को रोक सकता है। इसलिए ध्यान, योग, और अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें।

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दुबले-पतले लोगों को अपने वजन और ताकत को बढ़ाने के लिए सही आहार, व्यायाम और जीवनशैली के उपाय अपनाने की आवश्यकता है। प्रोटीन, कैलोरी युक्त स्नैक्स, कार्बोहाइड्रेट्स, और स्वस्थ वसा के साथ-साथ पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। सही मार्गदर्शन और संकल्प के साथ, आप निश्चित रूप से अपनी फिटनेस लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 सीटों की मंजूरी – मुख्यमंत्री धामी

हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 सीटों की मंजूरी - मुख्यमंत्री धामी
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 सीटों की मंजूरी - मुख्यमंत्री धामी

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा का आभार व्यक्त किया।

हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 सीटों की मंजूरी - मुख्यमंत्री धामी
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 सीटों की मंजूरी – मुख्यमंत्री धामी

उत्तराखंड। हरिद्वार जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार की दिशा में राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विशेष प्रयासों से जल्द हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का संचालन शुरू होने जा रहा है। बताया गया कि मेडिकल कॉलेज के लिए 100 मेडिकल सीट आवंटित की गई हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का आभार व्यक्त किया है।

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करने के किये राज्य सरकार संकल्पित है। देहरादून, श्रीनगर, हल्द्वानी में राजकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद अब हरिद्वार में भी मेडिकल कॉलेज का संचालन होने जा रहा है। दरअसल, मैदानी जनपद होने के बावजूद हरिद्वार में चिकित्सकों की कमी थी। ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के विशेष प्रयासों से हरिद्वार में मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। स्वास्थय सचिव डॉ आर राजेश कुमार के विशेष प्रयासों से अल्प समय में इसका भवन बनकर तैयार हो गया। विगत माह एनएमसी की टीम ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया जिसमें कुछ कमियां इंगित की गई जिन्हें बाद में दूर कर लिया गया। अब बताया जा रहा है हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए शुरुआती चरण में 100 एमबीबीएस सीटों को मंजूरी मिली है।


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हरिद्वार की लाखों की आबादी को मिलेगा लाभ

इस कॉलेज के निर्माण से हरिद्वार जनपद की लाखों की आबादी को लाभ होगा। दरअसल इस जनपद की आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ऋषिकेश एम्स व देहरादून के विभिन्न अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन मेडिकल कॉलेज बनने से यहां के लोगों को आने वाले दिनों में काफी राहत मिलेगी।

राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए हमारी सरकार सतत रूप से कार्य कर रही है। हम पर्वतीय जनपदों के साथ ही मैदानी जनपदों में चिकित्सा सेवाओं को सुलभ बनाना चाहते हैं। हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के निर्माण को तेजी से पूरा किया गया है। निश्चित ही भविष्य में लोगों को इस अस्पताल के खुलने से बड़ा लाभ होगा। उन्हें वहीं रहकर चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी।

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Health Tips : कंप्यूटर पर काम करने से सर्वाइकल समस्या का बढ़ता खतरा

आज की डिजिटल दुनिया में, कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करना आम बात हो गई है। हालांकि, यह सुविधा कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है, जिनमें से एक प्रमुख है सर्वाइकल स्पॉंडिलाइटिस। यह स्थिति गर्दन में दर्द, कंधों में जकड़न, और अन्य कई लक्षणों का कारण बनती है। लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द उत्पन्न होता है। यदि इस समस्या की अनदेखी की जाती है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में विकसित हो सकती है

कंप्यूटर पर काम करने से सर्वाइकल समस्या का बढ़ता खतरा
कंप्यूटर पर काम करने से सर्वाइकल समस्या का बढ़ता खतरा

सर्वाइकल समस्या से बचने के लिए, नियमित रूप से कुछ योगासनों का अभ्यास करना बेहद फायदेमंद हो सकता है। योग न केवल मांसपेशियों को आराम देता है, बल्कि यह तनाव को भी कम करता है और शरीर को लचीला बनाता है। इस लेख में हम कुछ महत्वपूर्ण योगासनों के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें नियमित रूप से करने से सर्वाइकल की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

1. भुजंगासन (Cobra Pose)

भुजंगासन, जिसे कोबरा पोज भी कहा जाता है, सर्वाइकल समस्या के लिए एक बहुत ही प्रभावी आसन है। इसे करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है और गर्दन की मांसपेशियों को आराम मिलता है। इसके लिए, आप पेट के बल लेटें, फिर हाथों को कंधों के पास रखते हुए धड़ को ऊपर उठाएं। ध्यान दें कि आपकी गर्दन सीधी हो और शरीर के बाकी हिस्से को स्थिर रखें। इस स्थिति में कुछ सेकंड रुकें और फिर धीरे-धीरे वापस लौटें।

भुजंगासन करने से न केवल गर्दन का दर्द कम होता है, बल्कि यह मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। इसे रोजाना करने से रीढ़ की हड्डी की लचीलापन बढ़ता है और तनाव कम होता है, जिससे सर्वाइकल स्पॉंडिलाइटिस के लक्षणों में सुधार होता है।

2. चक्रासन (Wheel Pose)

चक्रासन, या व्हील पोज, एक उन्नत योगासन है, जो शरीर को पूर्ण लचीलापन प्रदान करता है। इसे करने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए बेहद लाभकारी होता है। इस आसन को करने के लिए, पीठ के बल लेटें और घुटनों को मोड़कर पैर के तलवों को जमीन पर रखें। फिर, हाथों को सिर के पीछे रखते हुए धड़ को ऊपर उठाएं।

यह आसन शरीर को तनावमुक्त करता है और खिंचाव को कम करता है। नियमित रूप से चक्रासन करने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव कम होता है, जिससे सर्वाइकल की समस्याओं में राहत मिलती है।

3. सर्वंगासन (Shoulder Stand)

सर्वंगासन, जिसे शोल्डर स्टैंड भी कहा जाता है, गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए एक बेहतरीन आसन है। इसे करने से रक्त संचार बेहतर होता है और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इस आसन के लिए, पीठ के बल लेटें और पैरों को ऊपर की ओर उठाएं। धीरे-धीरे कंधों के बल संतुलन बनाएं और पैरों को सीधा करें।

सर्वंगासन करने से गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। इसे नियमित रूप से करने से सर्वाइकल समस्या के लक्षणों में काफी राहत मिल सकती है।

 

4. त्रिकोणासन (Triangle Pose)

त्रिकोणासन, या ट्राइएंगल पोज, संपूर्ण शरीर को स्ट्रेच करता है और गर्दन के लिए भी फायदेमंद है। इसे करने के लिए, पैरों को फैलाकर खड़े हों और एक हाथ को नीचे की ओर झुकाएं, जबकि दूसरा हाथ ऊपर की ओर उठाएं। यह स्थिति गर्दन को स्ट्रेच करने में मदद करती है और कंधों को भी आराम देती है।

इस आसन को नियमित रूप से करने से मांसपेशियों में लचीलापन आता है और तनाव कम होता है। त्रिकोणासन से रक्त संचार भी बेहतर होता है, जो सर्वाइकल समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है।

5. शवासन (Corpse Pose)

शवासन, जिसे कॉर्प्स पोज भी कहा जाता है, योग के अंत में किया जाने वाला एक विश्राम आसन है। यह शरीर को पूरी तरह से आराम देता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। इसे करने के लिए, पीठ के बल लेटें और शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें। आँखें बंद करें और गहरी सांस लें।

शवासन से तनाव कम होता है और मानसिक थकान दूर होती है। यह विशेष रूप से सर्वाइकल दर्द से राहत पाने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मांसपेशियों को आराम देता है और संपूर्ण शरीर को संतुलित करता है।

कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने से सर्वाइकल समस्या बढ़ने का खतरा होता है, लेकिन नियमित योगाभ्यास से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। भुजंगासन, चक्रासन, सर्वंगासन, त्रिकोणासन, और शवासन जैसे आसन न केवल मांसपेशियों को मजबूत करते हैं, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करते हैं।

यदि आप इन आसनों को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करते हैं, तो आप न केवल सर्वाइकल स्पॉंडिलाइटिस के लक्षणों को कम कर सकते हैं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकते हैं। योगाभ्यास से ना केवल शरीर को, बल्कि मन को भी ताजगी मिलती है, जो आपको दिनभर ऊर्जावान बनाए रखता है।

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Health Tips : 5 सरल उपाय सुनने की क्षमता बनाए रखने और बहरेपन से करें बचाव

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सुनने की क्षमता का सही तरीके से बनाए रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आजकल की जीवनशैली में कई ऐसी गलत आदतें हैं, जो कम उम्र में ही सुनने की समस्या उत्पन्न कर सकती हैं। इनमें से प्रमुख है उच्च ध्वनि स्तर पर संगीत सुनना या कानों में हेडफोन्स का अत्यधिक उपयोग करना। लगातार उच्च आवाज में संगीत सुनने से आंतरिक कान की कोशिकाएं धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं, जिससे सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, बाहरी शोर जैसे कि ट्रैफिक, निर्माण कार्य, या भीड़-भाड़ वाले स्थानों में रहने से भी कानों पर दबाव पड़ता है।

5 सरल उपाय सुनने की क्षमता बनाए रखने के लिए गलत आदतों से बचें और बहरेपन से करें बचाव
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सुनने की समस्या को रोकने के लिए हमें अपनी आदतों में सुधार करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, हेडफोन का इस्तेमाल करते समय वॉल्यूम को सीमित रखना चाहिए। सामान्यत: 60/60 नियम अपनाना सही रहता है—60% वॉल्यूम पर 60 मिनट से अधिक न सुनें। इसके अलावा, नियमित अंतराल पर कानों को आराम देना भी आवश्यक है। इस प्रकार की सावधानियों से हम सुनने की क्षमता को बेहतर बना सकते हैं और कम उम्र में बहरेपन के जोखिम को भी कम कर सकते हैं।

कानों की सफाई और स्वच्छता का ध्यान
कान की सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखना भी सुनने की क्षमता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। कई लोग बिना समझे अपने कानों में चीजें डालते हैं, जिससे संक्रमण और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कभी-कभी, कान में जमा वैक्स भी सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, कान की सफाई को लेकर सजग रहना आवश्यक है। आप किसी विशेषज्ञ की मदद से या डॉक्टर के सलाह से कानों की सफाई करा सकते हैं।

साथ ही, हमें कानों की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक उपायों को अपनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी ऐसे स्थान पर हैं, जहां शोर बहुत ज्यादा है, तो कानों के लिए सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना चाहिए। यह कानों को गंभीर नुकसान से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा, गर्म पानी और साबुन से कानों की बाहरी सतह को धोना भी एक अच्छा उपाय है, जिससे कानों में संक्रमण का खतरा कम होता है।

संतुलित आहार का महत्व
सुनने की क्षमता को बनाए रखने में संतुलित आहार का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। विटामिन A, C, और E, ओमेगा-3 फैटी एसिड, और जिंक जैसे पोषक तत्व सुनने की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स, और मछली इन पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा, एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ भी कानों की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

कुछ अध्ययन बताते हैं कि जो लोग संतुलित आहार का पालन करते हैं, उनमें सुनने की समस्याएं कम होती हैं। इसलिए, हमें अपने भोजन में फलों, सब्जियों और साबुत अनाज को शामिल करना चाहिए। इससे न केवल सुनने की क्षमता में सुधार होगा, बल्कि समग्र स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। इस प्रकार, स्वस्थ आहार का पालन करके हम न केवल बहरेपन के खतरे को कम कर सकते हैं, बल्कि अपनी जीवनशैली को भी संतुलित रख सकते हैं।

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नियमित स्वास्थ्य जांच का महत्व
सुनने की समस्याओं को समय पर पहचानने और उनका उपचार करने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच आवश्यक है। कई बार, सुनने में कमी के लक्षण धीरे-धीरे उत्पन्न होते हैं और लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए, हर साल कानों की जांच कराना चाहिए, खासकर उन लोगों के लिए जो ध्वनि प्रदूषण वाले वातावरण में रहते हैं या जिनका पारिवारिक इतिहास बहरेपन का है।

डॉक्टर द्वारा की गई नियमित जांच से आप किसी भी समस्या का समय पर पता लगा सकते हैं। इसके अलावा, सुनने की क्षमता की समस्याओं के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और उनका इलाज कराना महत्वपूर्ण है। अगर आपको लगता है कि आप किसी भी प्रकार की सुनने में कमी का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह बेहतर होगा कि आप समय-समय पर अपने कानों की सेहत का ध्यान रखें ताकि किसी भी प्रकार की समस्या से पहले ही निपटा जा सके।

तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव
सुनने की क्षमता पर तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का भी गहरा प्रभाव पड़ता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारा शरीर कोर्टिसोल जैसे हार्मोनों का उत्पादन करता है, जो हमारे सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। उच्च स्तर का तनाव या चिंता न केवल सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि यह कानों में बजने (टिनिटस) जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।

इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ध्यान, योग, और नियमित व्यायाम तनाव को कम करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए समय निकालना चाहिए और अपने लिए कुछ आरामदायक गतिविधियाँ करना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद भी ली जा सकती है। इस तरह, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखकर हम न केवल सुनने की क्षमता को बनाए रख सकते हैं, बल्कि अपनी समग्र भलाई को भी सुधार सकते हैं।

सुनने की क्षमता का सही तरीके से ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी है। गलत आदतों से बचकर, संतुलित आहार अपनाकर, नियमित स्वास्थ्य जांच कराकर और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखकर हम बहरेपन के खतरे को कम कर सकते हैं। यदि हम इन सावधानियों का पालन करते हैं, तो हम न केवल अपनी सुनने की क्षमता को बनाए रख सकते हैं, बल्कि अपने जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बना सकते हैं। अपनी आदतों में सुधार लाकर, हम एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

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श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव की फिल्म ‘स्त्री 2’ ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है। इसने अपने ऐतिहासिक प्रदर्शन से नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। फिल्म अब छह हफ्तों का सफर पूरा कर सातवें हफ्ते में प्रवेश कर चुकी है। अमर कौशिक के निर्देशन में बनी यह फिल्म 47वें दिन भी दर्शकों को सिनेमाघरों तक आकर्षित कर रही है।

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‘स्त्री 2’ 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज हुई थी और इसने ओपनिंग डे पर कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। महज 60 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस फिल्म ने प्री-पेड प्रीव्यू में 8.5 करोड़ रुपये और पहले दिन 51.8 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। पहले हफ्ते में फिल्म ने 291.65 करोड़ रुपये कमाए। दूसरे हफ्ते में इसकी कमाई 141.4 करोड़ रुपये रही।

तीसरे हफ्ते में भी फिल्म ने दर्शकों का ध्यान खींचा, जब इसने 70.2 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। चौथे हफ्ते में इसकी कमाई 36.1 करोड़ रुपये रही, जबकि पांचवे हफ्ते में यह 24.65 करोड़ रुपये और छठे हफ्ते में 18.6 करोड़ रुपये का कारोबार करने में सफल रही।

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46वें दिन भी फिल्म ने 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया, और अब 47वें दिन तक यह 45 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है।

‘स्त्री 2‘ हिंदी की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हॉरर-कॉमेडी फिल्म बन गई है और यह भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल होने की राह पर है। फिलहाल, फिल्म ने कुल 588.55 करोड़ रुपये का कारोबार किया है और यह 600 करोड़ रुपये के क्लब में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रही है।

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