31.5 C
New Delhi
Tuesday, July 8, 2025
Home Blog Page 124

लोकसभा अध्यक्ष ने किया हर घर दुर्गा अभियान का शुभारम्भ।

महाराणा प्रताप के नाम पर आईटीआई का नामकरण
महाराणा प्रताप के नाम पर आईटीआई का नामकरण

लोकसभा अध्यक्ष बोले, बेटियां दुर्गा का रूप, अपनी शक्ति को पहचाने, आपको न कोई डरा सकता है न कोई हरा सकता है।

कुर्ला आईटीआई की पहचान अब महाराणा प्रताप के नाम पर, एडवांस लैब का भी उद्घाटन।

लोकसभा अध्यक्ष ने किया हर घर दुर्गा अभियान का शुभारम्भ।
लोकसभा अध्यक्ष ने किया हर घर दुर्गा अभियान का शुभारम्भ।

दिल्ली/मुंबई। महिलाएं समाज की रीढ़ होती हैं। जब हम बेटियों को सामर्थ्यवान बनाते हैं उसे शिक्षा व सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण देते हैं तो हम न केवल उसके जीवन को बदलते हैं बल्कि पूरे समाज को सशक्त बनाते हैं। भारत की बेटियां आज हर क्षेत्र में अपने नेतृत्व का लोहा मनवा रही है। हर बेटी दुर्गा का रूप है जिस दिन वो अपने भीतर की शक्ति को पहचान लेगी उसे न कोई डरा पाएगा और न हरा पाएगा। सोमवार को महाराष्ट्र सरकार के कौशल, रोजगार, उद्यमशीलता और नवाचार मंत्रालय द्वारा बेटियों आत्मरक्षा प्रशिक्षण देने की पहल हर घर दुर्गा अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह बात की। ओम बिरला ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री मंगल लोढ़ा की मौजूदगी में इस अभियान की शुरूआत की।

हौसलों को मिलेगी नई उड़ान

लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि नवरात्र पर्व पर सरकार द्वारा शुरू की जा रही यह पहल निश्चित रुप से पूरे राज्य की बेटियों को सशक्‍त, सुरक्षित व आत्‍मनिर्भर बनाएगी। यह पहल महिलाओं के कौशल विकास और उनके सशक्तीकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। मुझे पूरा विश्‍वास है कि ‘हर घर दुर्गा अभियान’ महाराष्‍ट्र प्रांत की नारी शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्‍थर साबित होगा। इस अभियान के तहत राज्य की सभी आईटीआई संस्‍थानों में पढ़ रही बालिकाओं को अपनी सुरक्षा करने और आपात स्थितियों से निपटने के कौशल सिखाए जाएंगे।

महाराणा प्रताप के नाम पर आईटीआई का नामकरण
महाराणा प्रताप के नाम पर आईटीआई का नामकरण

महाराणा प्रताप के नाम पर आईटीआई का नामकरण

महाराष्‍ट्र सरकार मुबंई के कुर्ला स्थित आईटीआई का महाराणा प्रताप गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट’ का नामकरण किया गया। कार्यक्रम के दौरान नामकरण पट्टिका का अनावरण किया गया।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप शक्ति, साहस और स्वाभिमान के प्रतीक है। उनके स्मरण मात्र से मातृभूमि के लिए प्रेम और समर्पण का भाव उत्पन्न होता है। ‘महाराणा प्रताप’ के नाम पर आईटीआई का नामकरण एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पहल है।

एडवांस्ड एचपी लैब का किया उद्घाटन

कार्यक्रम में बिरला ने स्‍वामी विवेकानंद अंतर्राष्‍ट्रीय कौशल विकास केंद्र में अत्‍याधुनिक तकनीकी से युक्‍त एचपी लैब का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यह न केवल कौशल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है बल्कि इससे हमारे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार की नई राह भी खुलेगी। आधुनिक लैब युवाओं को कुशल बनाएंगी, रोजगार के नए अवसर प्रदान करेंगी और उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में अग्रसर करेंगी।

 

यह भी पढ़ें –

उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रोजगार को लेकर दिए सख्त निर्देश।

उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रोजगार को लेकर दिए सख्त निर्देश।

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कराकर रोजगार अधिक से अधिक रोजगार सृजित किए जांय।

लखनऊ। उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अधिक से अधिक इकाइयां स्थापित कराकर अधिक से अधिक रोजगार सृजित किए जांय। खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों की स्थापना के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए। इस क्षेत्र में लगाई जाने वाली यूनिटों को दी जा रही सब्सिडी की जानकारी आम जनमानस को दी जाए। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में लोगों को दिए जा रहे हैं प्रशिक्षण कार्यक्रमों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाए। केशव प्रसाद मौर्य ने यह भी निर्देश दिए हैं कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भी फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में ट्रेनिंग देने का प्लान तैयार किया जाय और उत्पादो की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए तथा पारदर्शिता बनाई रखी जाए। छोटी-छोटी यूनिटों की स्थापना को बढ़ावा दिया जाए तभी किसानो की भी आमदनी बढ़ेगी।

उप-मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खाद्य प्रसंस्करण विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाय। आयोग को भेजे गये अधियाचनों के सम्बन्ध में जहां जरूरी हो आयोग को अनुस्मारक भेजा जाय और निर्देश दिए हैं कि खाद्य प्रसंस्करण विभाग व उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की एक संयुक्त गोष्ठी आयोजित की जाय जिसमें खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों की स्थापना, यूपी एसआरएलएम के साथ प्रशिक्षण एवं नये प्रस्ताव प्राप्त करने पर विचार हो। यह भी निर्देश दिए हैं कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 के अन्तर्गत प्रसंस्करण इकाइयों को स्वीकृत अनुदान की धनराशि एवं एलओसी वितरण हेतु कार्यशाला का आयोजन किया जाय।

यह भी पढ़ें –

प्रधानमंत्री मोदी के “मन की बात” में छाया उत्तराखंड

Hair Care Mistakes: झड़ना बंद नहीं हो रहे हैं बाल? हो सकता है आप कर रहे हों ये 7 गलतियां!

बाल का झड़ना एक आम समस्या है, जिससे ज्यादातर लोग गुजरते हैं। कई बार, यह सिर्फ आनुवंशिक कारणों से होता है, लेकिन कई बार हमारी दिनचर्या और हेयर केयर प्रैक्टिस भी इसके पीछे जिम्मेदार होती हैं। यदि आपके बाल लगातार झड़ रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप अपनी आदतों पर ध्यान दें। यहां हम उन 5 सामान्य गलतियों पर चर्चा करेंगे, जो बालों के झड़ने का कारण बन सकती हैं।

1. गलत हेयर प्रोडक्ट्स का चयन
आपके बालों की जरूरतों के अनुसार सही प्रोडक्ट्स का चुनाव करना बेहद जरूरी है। अक्सर लोग अपने बालों की प्रकार और स्थिति को समझे बिना प्रोडक्ट्स का उपयोग करते हैं। जैसे, यदि आपके बाल सूखे और बेजान हैं, तो आपको मॉइश्चराइजिंग शैम्पू और कंडीशनर का इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरी ओर, अगर आपके बाल चिपचिपे और तेलीय हैं, तो हल्के फॉर्मूले का चयन करें। सही प्रोडक्ट्स का उपयोग करने से आपके बाल स्वस्थ रहेंगे और झड़ने की समस्या कम होगी।
2. अधिक हीट स्टाइलिंग
हीट स्टाइलिंग टूल्स जैसे कि हेयर ड्रायर, कर्लिंग आयरन और स्ट्रेटनर का अत्यधिक उपयोग बालों को नुकसान पहुंचा सकता है। गर्मी से बालों की नमी समाप्त हो जाती है, जिससे वे कमजोर और भंगुर हो जाते हैं। इससे बालों का टूटना और झड़ना बढ़ सकता है। यदि आप हीट स्टाइलिंग का उपयोग करते हैं, तो हमेशा हीट प्रोटेक्टेंट स्प्रे का इस्तेमाल करें और कोशिश करें कि इसे कम से कम उपयोग करें।
3. अनुचित धोने की आदतें
बालों को धोने की आदतें भी बालों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुत बार धोने से प्राकृतिक तेल हट जाते हैं, जो बालों को स्वस्थ बनाए रखते हैं। वहीं, बहुत कम धोने से गंदगी और तेल जमा हो जाते हैं, जिससे बालों का झड़ना बढ़ सकता है। सामान्यत: सप्ताह में 2-3 बार धोना एक अच्छा विकल्प है। इसके अलावा, हमेशा ठंडे या हल्के गर्म पानी से धोने की कोशिश करें, क्योंकि गर्म पानी बालों को नुकसान पहुंचा सकता है।

यह भी पढ़ें – 

प्रधानमंत्री मोदी के “मन की बात” में छाया उत्तराखंड

4. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य
मानसिक तनाव भी बालों के झड़ने का एक बड़ा कारण हो सकता है। जब आप तनाव में होते हैं, तो शरीर में कई प्रकार की हार्मोनल परिवर्तनों का अनुभव होता है, जो बालों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं। तनाव को नियंत्रित करने के लिए योग, ध्यान, और शारीरिक गतिविधियों को अपने दिनचर्या में शामिल करें। यह न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, बल्कि आपके बालों की सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
5. पोषण की कमी
सही पोषण न केवल आपके शरीर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके बालों के लिए भी आवश्यक है। बालों के स्वास्थ्य के लिए प्रोटीन, विटामिन (जैसे विटामिन E और B) और खनिज (जैसे जिंक और आयरन) की जरूरत होती है। यदि आपके आहार में इन पोषक तत्वों की कमी है, तो यह बालों के झड़ने का कारण बन सकता है। फल, सब्जियाँ, नट्स, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
6. नियमित बाल कटवाना
अधिकांश लोग सोचते हैं कि बालों को लंबे समय तक बढ़ाना ही अच्छा है, लेकिन यह सच नहीं है। नियमित रूप से बाल कटवाने से स्प्लिट एंड्स को रोका जा सकता है और बालों की ग्रोथ में मदद मिलती है। हर 6-8 सप्ताह में अपने बालों को ट्रिम करने से बाल स्वस्थ और चमकदार बने रहते हैं। यह बालों को झड़ने से भी बचाने में मदद कर सकता है।
7. गलत हेयर स्टाइलिंग तकनीकें
कई लोग बालों को बांधने या स्टाइल करने में गलत तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि बहुत कसकर बांधना। इससे बालों पर अत्यधिक तनाव पड़ता है, जिससे उनका टूटना और झड़ना बढ़ सकता है। कोशिश करें कि आप अपने बालों को ढीले ढंग से बांधें और विभिन्न हेयर स्टाइल का प्रयोग करें। इससे आपके बालों को आराम मिलेगा और झड़ने की समस्या कम होगी।
बालों का झड़ना एक सामान्य समस्या हो सकती है, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए सही उपाय अपनाना आवश्यक है। ऊपर बताई गई 7 सामान्य गलतियों को पहचानकर और उनसे बचकर, आप अपने बालों को स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं। यदि समस्या बनी रहती है, तो विशेषज्ञ से परामर्श करना न भूलें। सही देखभाल और पोषण के साथ, आप अपने बालों को फिर से चमकदार और स्वस्थ बना सकते हैं।

यह भी पढ़ें –

स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत राजभवन में एक विशेष बाइक रैली निकाली गई।

प्रधानमंत्री मोदी के “मन की बात” में छाया उत्तराखंड

नवरात्रि के शुभारंभ पर 3 अक्टूबर को 10 साल पूरे कर रहा प्रधानमंत्री का “मन की बात” कार्यक्रम

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव रहा है। प्रधानमंत्री के “मन की बात” कार्यक्रम में उत्तराखंड छाया रहा है। शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ पर आगामी तीन अक्टूबर को “मन की बात कार्यक्रम” दस वर्ष पूर्ण कर लेगा। इन दस वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार उत्तराखंड का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में महिलाओं, युवाओं और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अपने कार्यों से पूरे देश और समाज के सामने आदर्श मिसाल पेश की है। कई कार्यो को प्रेरणाजनक बताते हुए उन्होंने पूरे देश का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया।

हर गांव में शुरू हो धन्यवाद प्रकृति अभियान
मन की बात के 114वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनपद उत्तरकाशी के सीमांत गांव झाला का जिक्र किया। इस गांव के ग्रामीण हर रोज दो-तीन घंटे गांव की सफाई में लगाते हैं। गांव का सारा कूड़ा कचरा उठाकर गांव से बाहर निर्धारित स्थान पर रख दिया जाता है। ग्रामीणों ने इसे धन्यवाद प्रकृति अभियान नाम दिया है। प्रधानमंत्री ने ग्रामीणों की मुहिम की सराहना कर कहा कि देश के हर गांव में यह अभियान शुरू होना चाहिए।

जखोली में महिलाओं ने जलस्रोत किए पुनर्जीवित
रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली ब्लॉक की ग्राम पंचायत लुठियाग में महिलाओं ने जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय पहल की है। चाल-खाल (छोटी झील) बनाकर बारिश के पानी का संरक्षण किया। इस मुहिम से गांव में सूख चुके प्राकृतिक जलस्रोत पुनर्जीवित होने से पेयजल की किल्लत काफी हद तक दूर हो गई है और सिंचाई के लिए भी पानी मिलने लगा है। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के प्रयासों की सराहना कर इसे अनुकरणीय बताया। यहां ग्रामीणों को पानी के लिए तीन किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता था।

रोज 5-7 किमी पैदल सफर तय कर लगाए कोरोना के टीके
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कोरोना काल में बेहतर काम करने वाली बागेश्वर की एएनएम पूनम नौटियाल की खूब सराहना की। कोरोना का टीका लगाने के लिए पूनम ने रोज पांच से सात किमी का पैदल सफर तय किया। जो लोग वैक्सीन लगाने से डर रहे थे, उन्हें भी पूनम जागरूक किया। पीएम ने स्वयं भी पूनम से बात की। पीएम ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र होने से वैक्सीनेशन का सारा सामान इन्हें खुद ही अपने कंधे पर उठाकर ले जाना होता था।

स्वच्छता अभियान में जुटे सुरेंद्र
गुप्तकाशी के सुरेंद्र प्रसाद बगवाड़ी स्वच्छता अभियान में जुटे हैं। उन्होंने रुद्रप्रयाग के तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को गदेरे की सफाई करते देखा तो उन्होंने भी सफाई में जुटने का फैसला किया। वह केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित हैं।

बोली-भाषा को बचाने के लिए काम कर रहा रं समाज
प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात में धारचूला के रं समाज का जिक्र किया। अपनी बोली-भाषा को बचाने के लिए रं समाज द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रधानमंत्री ने जमकर तारीफ की और इसे पूरी दुनिया को राह दिखाने वाली पहल बताया। पीएम ने कहा कि उन्होंने धारचूला में रं समाज के लोगों द्वारा अपनी बोली को बचाने के प्रयास की कहानी एक किताब में पढ़ी।

पवित्र स्थलों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने में जुटे मनोज
रुद्रप्रयाग के मनोज बैंजवाल पवित्र स्थलों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने में जुटे हैं। पीएम ने उनकी सराहना की है। जो घाट गंदगी से पटे थे, उन्होंने वहां सफाई कर आरती शुरू कर दी। अन्य लोगों को भी इससे जोड़ा। अब लोगों ने वहां गंदगी फैलाना बंद कर दिया। उन्होंने तुंगनाथ, बासुकीताल आदि बुग्यालों को कचरे से मुक्त करने के लिए अभियान चलाया। अब वह स्कूलों में छात्रों को जागरूक कर रहे हैं।

गायत्री ने रिस्पना की पीड़ा बताई
देहरादून के दीपनगर निवासी छात्रा गायत्री ने रिस्पना नदी की पीड़ा को प्रधानमंत्री के सामने रखा था। उन्होंने बताया कि यह नदी अब लगभग सूख चुकी है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग पूरे देश को सुनाई थी।

घोड़ा लाइब्रेरी से दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच रही किताबें
नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री ने इस कार्य की सराहना की है। इस लाइब्रेरी की खासियत है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं और यह सेवा बिल्कुल निशुल्क है। अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को कवर किया गया है। बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में मदद करने के लिए स्थानीय लोग भी खूब आगे आ रहे हैं।

स्कूल परिसर में उगाई हरियाली
राजकीय इंटर कालेज कोटद्वार में गणित के शिक्षक संतोष नेगी की ओर से जल संरक्षण के लिए किए गए प्रयोग को प्रधानमंत्री ने सराहा था। संतोष नेगी ने कॉलेज परिसर में दो सौ गड्ढे बनाकर उनमें बारिश के पानी का संचय किया, जिससे पूरा परिसर हरियाली से भर गया।

दस साल से सूखा नाला हुआ पुनर्जीवित
पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लाक के उफ्रेखाल निवासी रिटायर्ड शिक्षक सचिदानंद भारती ने वर्ष 1989 में उफ्रेखाल में चाल खाल बनाकर बारिश के जल का संरक्षण किया। उन्होंने 30 हजार से अधिक चाल-खाल बनाकर बांज और बुरांश के पेड़ लगाए। इसका परिणाम हुआ कि 10 साल से सूखा नाला पुनर्जीवित हो उठा। उन्होंने अपने अभियान को पाणी राखो नाम दिया है।

भोजनमाता भी कर रही स्वच्छता के प्रति जागरूक
गुप्तकाशी के देवरगांव की चंपा देवी स्कूल में भोजन माता है और लोगों को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही हैं। उन्होंने बंजर भूमि पर पेड़ लगाकर उसे हराभरा बनाया है।

भोजपत्र पर कलाकृतियां बना रही चमोली की महिलाएं
उत्तराखंड के चमोली जिले के उच्च हिमालय क्षेत्र में उगने वाले दुर्लभ भोजपत्र की छाल पर महिलाएं अपनी कलम चलाकर पुरातन संस्कृति की याद दिला रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बद्रीनाथ दौरे के दौरान सीमांत नीति माणा घाटी की महिलाओं ने उन्हें भोजपत्र पर लिखा एक अभिनंदन पत्र भेंट किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने भोजपत्र के सोवियत बनाने को लेकर अपने मन की बात कार्यक्रम में महिलाओं की इस पहल की सराहना की।

युवाओं ने बनाया घड़ियालों पर नजर रखने वाला ड्रोन
रुड़की क्षेत्र में स्थित रोटर कंपनी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वन्य जीव संरक्षण और इको टूरिज्म के लिए नए-नए इनोवेशन युवा सामने ला रहे हैं । रुड़की में रोटर प्रीसिश़न ग्रुप ने वन्य जीव संस्थान की मदद से ऐसा ड्रोन तैयार किया हैं, जिससे नदी में घड़ियालों पर नजर रखने में मदद मिल रही है।

लोक संस्कृति के संरक्षण में जुटे हैं पूरण सिंह
जनपद बागेश्वर के रीमा गांव के निवासी पूरण सिंह उत्तराखंड की लोक संस्कृति के संरक्षण में जुटे हैं। उत्तराखंड की लोक विधा जागर, न्योली, हुड़का बोल, राजुला मालूशाही लोकगाथा के गायन में उन्होंने खास पहचान बनाई है। पूरण सिंह की बचपन मे ही दोनों आंखें खराब हो गई थी। वह पहाड़ी गीत झोड़ा, छपेली, चाचरी, न्यौली, छपेली, जागर आदि सुना करते थे। आंखें खराब होने से वह पढ़ाई नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने बाल्यावस्था से ही गायन शुरू कर दिया।

प्रधानमंत्री के दिल में बसता है उत्तराखंड : धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तराखंड से अगाध प्रेम है। उत्तराखंड उनके दिल में बसता है। यह उनके देवभूमि से असीम लगाव को ही प्रदर्शित करता है कि प्रधानमंत्री ने “मन की बात” कार्यक्रम में देवतुल्य जनता, प्राकृतिक संपदा, रीति-नीति और लोक परंपराओं का अक्सर जिक्र किया है। इस कार्यक्रम ने छोटे से छोटे स्तर पर काम करने वालों को भी देश-दुनिया मे पहचान दी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नवरात्रि के शुभारंभ पर आगामी तीन अक्टूबर को “मन की बात” कार्यक्रम के 10 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। दस वर्षों में इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने सामाजिक संगठनों और लोगों द्वारा जनहित में किए गए अनेक कार्यों का जिक्र कर लोगों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया है कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए हम सबको अपना योगदान देना है।

यह भी पढ़ें –

स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत राजभवन में एक विशेष बाइक रैली निकाली गई।

स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत राजभवन में एक विशेष बाइक रैली निकाली गई।

‘स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा-2024‘ के अंतर्गत स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आज राजभवन से एक विशेष स्वच्छता बाइक रैली निकाली गयी।

 

लखनऊ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा और मार्गदर्शन में ‘स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा-2024‘ के अंतर्गत आज राजभवन से एक विशेष स्वच्छता बाइक रैली निकाली गयी। रैली को अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस रैली में राजभवन के समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया।
रैली की शुरुआत राजभवन के पोर्ट से हुई जो बंदरिया बाग चौराहा गोल्फ क्लब 1090 चौराहा तथा समता मूलक चौराहा होते हुए यू-टर्न लेकर वापस राजभवन पोर्ट पर समाप्त हुई। इस रैली का उद्देश्य समाज में स्वच्छता का संदेश फैलाना और लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करना था।

रैली को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने कहा कि स्वच्छता अभियान देश को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैै। इस तरह के आयोजनों से समाज में जागरूकता बढ़ती है।

रैली में शामिल सभी सदस्यों ने स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने और उसे बढ़ावा देने का संकल्प लिया। राज्यपाल के मार्गदर्शन में आयोजित यह रैली स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा-2024 के अंतर्गत आयोजित की गई गतिविधियों का एक प्रमुख हिस्सा रही है जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना और स्वच्छ भारत के लक्ष्य को साकार करना है।

इस अवसर पर विशेष सचिव राज्यपाल श्रीप्रकाश गुप्ता, परिसहाय राज्यपाल पुनीत द्विवेदी सहित राजभवन के समस्त अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

यह भी पढ़ें – 

World Rabies Day 2024: 5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज , जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!

“एसिडिटी की छुट्टी: 7 शक्तिशाली खाद्य पदार्थ जो पेट की जलन से राहत दिलाते हैं “

केला: एक प्राकृतिक एंटी-एसिड
केला: एक प्राकृतिक एंटी-एसिड

एसिडिटी ,  जिसे आमतौर पर पेट की जलन कहा जाता है, एक सामान्य समस्या है जो कई लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होती है जब पेट में अतिरिक्त एसिड बनने लगता है, जो पाचन तंत्र में जलन और discomfort का कारण बनता है। इस समस्या से राहत पाने के लिए सही आहार का चुनाव करना अत्यंत आवश्यक है। इस लेख में, हम उन खाद्य पदार्थों के बारे में चर्चा करेंगे जो पेट की जलन से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं।

केला: एक प्राकृतिक एंटी-एसिड
     केला: एक प्राकृतिक एंटी-एसिड

1. केला: एक प्राकृतिक एंटी-एसिड
केला पेट की जलन को कम करने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह पोटैशियम से भरपूर होता है, जो पेट में एसिड के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। केला खाने से पेट में एक प्राकृतिक protective layer बनती है, जिससे एसिडिटी की समस्या कम होती है। यह फाइबर से भी भरपूर है, जो पाचन को सही रखने में मदद करता है। आप सुबह के नाश्ते में या स्नैक्स के रूप में केला शामिल कर सकते हैं।

अदरक: पाचन में सुधार
अदरक: पाचन में सुधार

2. अदरक: पाचन में सुधार
अदरक एक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और पाचन सुधारक है। यह पेट की जलन को कम करने में मदद करता है और एसिडिटी से राहत देता है। अदरक की चाय या अदरक का एक छोटा टुकड़ा चबाने से तुरंत आराम मिल सकता है। इसे सलाद या विभिन्न व्यंजनों में भी शामिल किया जा सकता है। अदरक का नियमित सेवन पेट के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और एसिडिटी के लक्षणों को कम करता है।

ओट्स: फाइबर का स्रोत
ओट्स: फाइबर का स्रोत

3. ओट्स: फाइबर का स्रोत
ओट्स या जई एक बेहतरीन फाइबर स्रोत हैं, जो पेट के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। फाइबर पेट में एसिड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचन को बेहतर बनाता है। सुबह के नाश्ते में ओट्स खाने से आपको लंबे समय तक तृप्ति का अनुभव होता है, जिससे आप अनियोजित स्नैक्सिंग से बच सकते हैं। ओट्स को दूध या दही के साथ मिलाकर या फलों के साथ सेवन किया जा सकता है।

हर्बल चाय: आराम की एक और विधि
हर्बल चाय: आराम की एक और विधि

यह भी पढ़ें –

World Heart Day : “हृदय स्वास्थ्य का संकल्प , जीवन में लाएं खुशहाली और सुरक्षा”


4. हर्बल चाय: आराम की एक और विधि
हर्बल चाय, जैसे कि कैमोमाइल और पिपरमिंट चाय, एसिडिटी से राहत पाने का एक अच्छा तरीका हैं। ये चाय न केवल आरामदायक होती हैं, बल्कि इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। ये पेट की मांसपेशियों को शांत करने में मदद करती हैं, जिससे जलन कम होती है। हर्बल चाय को दिन में एक बार पीना फायदेमंद होता है, खासकर भोजन के बाद।

दही: प्रोबायोटिक्स का लाभ
दही: प्रोबायोटिक्स का लाभ

5. दही: प्रोबायोटिक्स का लाभ
दही एक स्वस्थ और प्राकृतिक प्रोबायोटिक होता है, जो पेट के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यह पाचन में मदद करता है और पेट में एसिड के स्तर को संतुलित करता है। दही में मौजूद बैक्टीरिया पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। आप दही को सादा खा सकते हैं या इसे फलों और नट्स के साथ मिलाकर एक स्वादिष्ट स्नैक बना सकते हैं।

पपीता: पाचन के लिए सर्वोत्तम
पपीता: पाचन के लिए सर्वोत्तम

6. पपीता: पाचन के लिए सर्वोत्तम
पपीता एक और उत्कृष्ट फल है जो पेट की जलन से राहत दिलाने में मदद करता है। इसमें पपैन एंजाइम होता है, जो पाचन में सहायता करता है। पपीता खाने से पेट की जलन और एसिडिटी कम होती है। इसे सलाद या स्मूदी में शामिल किया जा सकता है, जिससे न केवल इसका स्वाद बढ़ता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।

पानी: हाइड्रेशन का महत्व
पानी: हाइड्रेशन का महत्व

7. पानी: हाइड्रेशन का महत्व
पेट की जलन को कम करने के लिए पर्याप्त पानी पीना अत्यंत आवश्यक है। हाइड्रेशन आपके शरीर के पाचन तंत्र को सुचारु रखने में मदद करता है और एसिड के स्तर को संतुलित करता है। कोशिश करें कि आप दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। पानी पीने से पेट में एसिड की अधिकता कम होती है और आपको जलन से राहत मिलती है।

संतुलित आहार: स्वस्थ जीवनशैली
संतुलित आहार: स्वस्थ जीवनशैली

8. संतुलित आहार: स्वस्थ जीवनशैली
एसिडिटी और पेट की जलन से बचने के लिए संतुलित आहार अपनाना आवश्यक है। तले-भुने, मसालेदार, और फैट युक्त खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि ये एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं। इसके बजाय, अपने आहार में ताजे फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज शामिल करें। नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन तकनीकें भी आपकी पाचन प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती हैं।

पेट की जलन और एसिडिटी एक आम समस्या है, लेकिन सही खाद्य पदार्थों का चुनाव करके आप इससे राहत पा सकते हैं। केले, अदरक, ओट्स, हर्बल चाय, दही, पपीता, और पानी जैसे खाद्य पदार्थ आपके पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप इस समस्या से लंबे समय तक निजात पा सकते हैं। यदि समस्या गंभीर है, तो विशेषज्ञ से परामर्श करना न भूलें।

यह भी पढ़ें –

“Mental health: “10 प्रभावी उपाय , चिंता और तनाव से निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य को सुधारें”

आलिया भट्ट की ‘जिगरा’ के ट्रेलर पर सितारों ने बरसाया प्यार, जान्हवी कपूर ने कहा ‘लेडी बच्चन’

आलिया भट्ट की 'जिगरा' के ट्रेलर पर सितारों ने बरसाया प्यार,
आलिया भट्ट की 'जिगरा' के ट्रेलर पर सितारों ने बरसाया प्यार

आलिया भट्ट और वेदांग रैना स्टारर फिल्म ‘जिगरा’ का दूसरा ट्रेलर रिलीज हो गया है। इस ट्रेलर पर जान्हवी कपूर, खुशी कपूर, नीतू कपूर समेत कई सितारों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। फिल्म 11 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस बहुप्रतीक्षित फिल्म का ट्रेलर भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित है और इसे वासन बाला ने निर्देशित किया है। 3 मिनट के इस ट्रेलर को दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। आलिया ने अपने इंस्टाग्राम पर ट्रेलर शेयर करते हुए लिखा, “सब तैयार है? #जिगरा थिएट्रिकल ट्रेलर आउट नाउ! लिंक इन बायो। मिलते हैं सिनेमाघरों में, 11 अक्टूबर को।”

आलिया भट्ट की 'जिगरा' के ट्रेलर पर सितारों ने बरसाया प्यार,
आलिया भट्ट की ‘जिगरा’ के ट्रेलर पर सितारों ने बरसाया प्यार

यह भी पढ़ें – 

World Rabies Day 2024: 5 छिपे हुए कारण जिनसे फैलता है रेबीज , जानें सुरक्षा के प्रभावी उपाय!


नीतू कपूर ने आलिया के इस पोस्ट पर ताली वाले इमोजी के साथ प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “गूसबंप्स और इम्पेक्टफुल।” आलिया की मां सोनी राजदान ने भी कमेंट करते हुए लिखा, “आउटस्टैंडिंग,” और कई ताली और दिल वाले इमोजी बनाए। अनन्या पांडे ने दिल वाले इमोजी के साथ इसे “पागलपन” बताया, वहीं नेहा धूपिया ने इसे “अविश्वसनीय!!!!!” कहा।

जान्हवी कपूर ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर ट्रेलर शेयर करते हुए आलिया को ‘लेडी बच्चन’ कहा। इसके अलावा, वेदांग की रूमर्ड गर्लफ्रेंड और एक्ट्रेस खुशी कपूर ने भी ट्रेलर को अपनी स्टोरी पर शेयर करते हुए आंसूवाली और सफेद दिल वाली इमोजी बनाई। अर्जुन कपूर भी फिल्म देखने के लिए बेताब हैं; उन्होंने आलिया के ट्रेलर को शेयर करते हुए लिखा, “बस मुझे फिल्म दिखाओ दोस्तों।”

 

आलिया इस फिल्म में एक्शन करते हुए नजर आएंगी। ‘जिगरा’ में ढेर सारा एक्शन, ड्रामा और इमोशन दिखाया गया है। वेदांग रैना फिल्म में अंकुर नामक लड़के का किरदार निभा रहे हैं, जबकि आलिया उनकी प्रोटेक्टिव बहन सत्या का किरदार निभा रही हैं


यह भी पढ़ें –

“Mental health: “10 प्रभावी उपाय , चिंता और तनाव से निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य को सुधारें”

रिपोर्ट: साइबर अटैक का शिकार हो रहे भारतीय शिक्षण संस्थान

साइबर

नई दिल्ली: देश में साइबर हमलों में वृद्धि हो रही है। एक अध्ययन के अनुसार, पिछले छह महीनों में भारतीय शिक्षा क्षेत्र में साइबर हमलों की संख्या वैश्विक औसत को पार कर गई है। Check Point Software Technologies Ltd. द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय शिक्षा क्षेत्र में साइबर हमले में चौंकाने वाली वृद्धि हुई है, जिसमें प्रति सप्ताह 8,195 हमले हुए हैं, जो वैश्विक औसत 3,355 से दोगुने से अधिक है।

साइबर

शिक्षा क्षेत्र के बाद, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को 7,982 साप्ताहिक हमलों का सामना करना पड़ा, इसके बाद सरकारी/सैन्य क्षेत्र में 4,590 हमले और परामर्श क्षेत्र में 4,177 साप्ताहिक हमले हुए।

हमलों में वृद्धि का मुख्य कारण COVID-19 के दौरान दूरस्थ शिक्षा में तेज़ी से बदलाव और शिक्षा का निरंतर डिजिटलीकरण है। भारत में शैक्षणिक संस्थान व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी सहित संवेदनशील डेटा को छात्र भारी मात्रा में संग्रहित कर रहे हैं, जिससे वे साइबर अपराधियों के लिए प्रमुख लक्ष्य बन गए हैं।


यह भी पढ़े- विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों के लिए क्यों जरुरी है जीवन बीमा?


साइबर हमलों की बढ़ती आवृत्ति और उनकी जटिलता, साथ ही ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्मों की व्यापक स्वीकृति ने इन संस्थानों के डिजिटल फुटप्रिंट को बढ़ा दिया है, जिससे वे डेटा से समझौता के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं। साइबर अपराधी स्कूलों और विश्वविद्यालयों की कमजोर साइबर सुरक्षा को भुनाकर व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (PII) चुराने का प्रयास कर रहे हैं, जो अक्सर डार्क वेब पर बेची जाती है।

पिछले छह महीनों में भारत में संस्थाओं ने प्रति सप्ताह औसतन 3,244 साइबर हमलों का सामना किया है, जो वैश्विक औसत 1,657 हमलों से लगभग दोगुना है। यह अंतर स्पष्ट रूप से भारतीय संगठनों में बढ़ते साइबर खतरों के प्रति असंवेदनशीलता को उजागर करता है।

रिपोर्ट में फर्जी अपडेट, क्यूबॉट और फॉर्मबुक को भारत में सबसे प्रचलित मालवेयर के रूप में बताया गया है, जिसमें 54% हमले ईमेल के माध्यम से और 58% ईमेल द्वारा भेजे गए हमलों में .exe फ़ाइलों का उपयोग किया गया है। जानकारी का खुलासा करने वाली कमजोरियों ने भी 70% भारतीय संगठनों को प्रभावित किया है, जिससे महत्वपूर्ण डेटा खतरों के प्रति संवेदनशील हो गया है।

भारत में सबसे सामान्य मालवेयर में चार बॉटनेट्स, एक सूचना चुराने वाला (फॉर्मबुक) और एक डाउनलोडर (फर्जी अपडेट) शामिल हैं।

Check Point Software Technologies में भारत और SAARC के प्रबंध निदेशक सुंदर बालासुब्रमण्यम ने कहा- जीएम एआई के आगमन के साथ ये खतरे और भी गंभीर होने की संभावना है, खासकर सोशल इंजीनियरिंग और फ़िशिंग हमलों में वृद्धि के साथ। हमलों में वृद्धि कंपनियों के लिए अपने साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है। संवेदनशील डेटा की सुरक्षा और परिचालन अखंडता बनाए रखने के लिए मजबूत सुरक्षा और निरंतर निगरानी सहित निवारक उपाय आवश्यक हैं। ”

 

कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को सर्टिफिकेट तभी मिलेगा, जब…

कंगना रनौत

मुंबई: सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि अगर ऑडिट कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक अगर अभिनेत्री कंगना रनौत रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ में कट लगाए जाते हैं तो सर्टिफिकेट दिया जाएगा। मूल रूप से 6 सितंबर को रिलीज होने वाली यह फिल्म रिलीज सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने के बाद सेंसर के साथ विवाद में फंस गई है।

कंगना रनौत

अभिनेत्री कंगना रनौत ने फिल्म का निर्देशन और सह-निर्माण किया और दिवंगत पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की मुख्य भूमिका भी निभाई, ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) पर रिलीज में देरी के लिए प्रमाणन में देरी करने का आरोप लगाया।

शिरोमणि अकाली दल सहित कुछ सिख संगठनों और समुदायों ने फिल्म के ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप लगाते हुए आपत्ति जताए जाने के बाद पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की जीवनी पर बनी फिल्म पर विवाद छिड़ गया। वीसी ने तब कहा कि सेंसर बोर्ड निष्क्रिय नहीं रह सकता और उसे किसी न किसी तरह से अपना निर्णय लेना होगा, अन्यथा यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध होगा।


यह भी पढ़े- Bhool Bhulaiyaa 3: सेंसर बोर्ड से इस सर्टिफिकेट के साथ पास हुआ ‘भूल भुलैया 3’ का टीजर, इस दिन होगा रिलीज!


कोर्ट ने सीबीएफसी को 25 सितंबर तक फैसला लेने का निर्देश दिया है. फिल्म के सह-निर्माता जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने उच्च न्यायालय का रुख किया है और सीबीएफसी से कंगना रनौत द्वारा निर्देशित फिल्म ‘इमरजेंसी’ के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने की मांग की है।

गुरुवार को पीठ ने सीबीएफसी से पूछा कि क्या उसके पास फिल्म के बारे में कोई “अच्छी खबर” है। तब सीबीएफसी के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने कोर्ट को बताया कि निदेशक मंडल की ऑडिट कमेटी ने अपना फैसला ले लिया है. उन्होंने कहा, “समिति ने सुझाव दिया है कि प्रमाणपत्र जारी होने और फिल्म रिलीज होने से पहले कुछ कटौती की जानी चाहिए।”

ज़ी एंटरटेनमेंट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शरण जगतियानी ने यह तय करने के लिए समय मांगा कि कटौती की जा सकती है या नहीं। इसके बाद पीठ ने मामले को 30 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए भेज दिया। ज़ी एंटरटेनमेंट ने एक बयान में कहा कि सीबीएफसी ने पहले ही फिल्म के लिए सर्टिफिकेट तैयार कर लिया था, लेकिन इसे जारी नहीं किया था। पिछले हफ्ते, ज़ी एंटरटेनमेंट ने कहा कि राजनीतिक कारणों और हरियाणा में आगामी चुनावों के कारण प्रमाणपत्र वापस ले लिया गया है।

पीठ ने तब सवाल किया कि सत्तारूढ़ दल ने अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ कार्रवाई क्योंकि, जो खुद भाजपा सांसद है।

विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों के लिए क्यों जरुरी है जीवन बीमा?

उच्च शिक्षा
  • विदेश में लगभग 1.33 मिलियन भारतीय छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

  • महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है भारतीय छात्रों के लिए जीवन बीमा।

  • कम प्रीमियम पर भारतीय छात्र ले सकते है जीवन बीमा का लाभ।


नई दिल्ली: विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करना कई भारतीय छात्रों का एक स्वर्णिम स्वप्न होता है, जिसके लिए वर्षों की लगातार मेहनत और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। यह आकर्षण केवल बेहतर उच्च शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशी संस्कृति को अपनाने और उसमें पूरी तरह से शामिल होने का अवसर भी प्रदान करता है। इसके अलावा एक विकसित राष्ट्र में सफल करियर और बेहतर जीवन गुणवत्ता का वादा भी है। इस कारण से, एक महत्वपूर्ण संख्या में युवा भारतीय उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का लक्ष्य रखते हैं।

उच्च शिक्षा

आमतौर पर, अधिकांश छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते समय शिक्षा ऋण लेते हैं। हालाँकि जैसा कि हम जानते हैं, जीवन अप्रत्याशित है और यदि छात्र की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु होती है, तो न केवल परिवार को अपूरणीय क्षति को सहन करना पड़ता है, बल्कि उन्हें ऋण चुकाने का बोझ भी सहना पड़ता है। इसलिए छात्रों के लिए यह एक समझदारी की बात है कि वे विदेश में उच्च शिक्षा की योजना बनाते समय जीवन बीमा का विकल्प चुनें।

उच्च शिक्षा

तथ्य यह है कि युवा उम्र में अपेक्षाकृत कम प्रीमियम पर जीवन बीमा लिया जा सकता है, छात्रों के लिए जीवन बीमा का चयन करने का यह एक और कारण है। विदेश मंत्रालय द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार, वर्तमान में लगभग 1.33 मिलियन भारतीय छात्र विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वे जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे बढ़ते भू-राजनीतिक संघर्षों, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ गई हैं, जिसने कई भारतीय छात्रों को यूक्रेन से निकासी के लिए मजबूर किया है।


यह भी पढ़े- शक्तिशाली देशों की सूची में टॉप-3 में भारत


इसके अलावा, विभिन्न देशों में उच्च स्वास्थ्य देखभाल खर्च भी एक महत्वपूर्ण बोझ साबित हुआ है। इन बाधाओं के बावजूद, भारतीय छात्रों की विशेष आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए बीमा योजनाओं की कमी है जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं। इस कारण से, बीमा कंपनियाँ अब इसे एक आशाजनक बाजार के अवसर के रूप में पहचान रही हैं। बीमा प्रदाता या जीवन बीमा उत्पाद का चयन करने से पहले, प्रारंभिक अनुसंधान करना और ग्राहक की समीक्षाएँ देखना निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद कर सकता है।

बीमा कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली गंभीर बीमारियों, समाप्ति बीमारियों, आकस्मिक मृत्यु, आकस्मिक पूर्ण या स्थायी विकलांगता के लिए अतिरिक्त राइडर्स या कवरेज की खोज करना अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए कवरेज को बढ़ा सकता है। कृपया ध्यान दें कि ऐसे लाभ हमेशा विदेशी प्रदाताओं से प्राप्त बीमा नीतियों में शामिल नहीं होते हैं। इसके अलावा, अंतिम खरीद निर्णय लेने से पहले, दावों के निपटान का अनुपात, कवरेज की सीमा, भुगतान की शर्तें और नीति की शर्तों जैसे कारकों पर विचार करें।


यह भी पढ़े- विनिर्माण के क्षेत्र में चीन के दबदबे को ख़त्म कर रहा है भारत!


विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना देखने वाले भारतीय छात्रों के लिए जीवन बीमा एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है। जीवन बीमा न केवल वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि यह मानसिक शांति भी सुनिश्चित करता है।

आर्थिक सुरक्षा: यदि किसी अप्रत्याशित स्थिति में छात्र को कोई समस्या होती है, तो जीवन बीमा पॉलिसी उनके परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह उनके अध्ययन के दौरान आने वाली कठिनाइयों को कम कर सकती है।

ऋण प्रबंधन: कई छात्र अपनी उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण लेते हैं। यदि छात्र किसी कारणवश कार्य नहीं कर पाते हैं, तो जीवन बीमा उनकी ऋण की जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद कर सकता है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा: विदेश में रहकर छात्रों को कई स्वास्थ्य और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जीवन बीमा पॉलिसी के जरिए वे सुरक्षित महसूस कर सकते हैं, knowing कि उनके पास एक सुरक्षा नेटवर्क है।

अवसरों का लाभ: जीवन बीमा की पॉलिसी होने से छात्र बेहतर मानसिक स्थिति में रहते हैं, जिससे वे अपनी पढ़ाई और करियर के अवसरों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इसलिए, विदेश में उच्च शिक्षा लेने वाले भारतीय छात्रों को अपनी सुरक्षा के लिए जीवन बीमा पॉलिसी पर विचार करना चाहिए। यह न केवल एक आवश्यक कदम है बल्कि यह उनके भविष्य को सुरक्षित करने का एक स्मार्ट निर्णय भी है।