भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से कई पाकिस्तानी आतंकियों को ढेर किया था। पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकवादी ठिकानों और उनके मुख्य एवं लॉन्च पेड्स को निशाना बनाया था। भारत की जवाबी कार्रवाई में करीब 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे। इस दौरान कोलंबिया ने पाकिस्तान के प्रति सवेंदना जताई थी, साथ ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को गलत बताते हुए पाकिस्तान का समर्थन किया था। हालांकि अब ऑपरेशन सिंदूर का विरोध जताने वाले कोलंबिया के सुर बदल गए हैं और उसने पाकिस्तान के समर्थन वाला बयान वापस ले लिया है। जी हां.. इसे भारत की कूटनीति और शशि थरूर के आक्रामकता की जीत बताई जा रही है। तो चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
ऐसा क्या हुआ जो बदल गया कोलंबिया?
दरअसल, बात यह है कि सर्वदलीय शिष्टमंडल मॉडल का नेतृत्व करने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कोलंबिया के संवेदना वाले बयान पर निराशा जाहिर की थी। गौरतलब है कि, 22 अप्रैल को पहलगाम में अचानक हमले में हुए करीब 26 पर्यटकों की जान ले ली गई थी जिसमें कई लोग घायल हुए थे। इसी का जवाब देने के लिए भारतीय सैन्य की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर की पहल की गई और इसके माध्यम से कई पाकिस्तानी आतंकवादियों को खत्म कर दिया। इस पर कोलंबिया ने पाकिस्तान का साथ दिया था और ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना की थी, लेकिन अब कोलंबिया अचानक से बदल गया है।
क्या बोले शशि थरूर?
इस बात का खुलासा खुद शशि थरूर ने किया। दरअसल उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कोलंबिया के बारे में बात की। उन्होंने अपने बयान में कहा कि, “कोलंबिया की उप विदेश मंत्री रोजा योलांडा ने बहुत ही गरिमामय तरीके से इस बात का जिक्र किया कि हमारी ओर से चिंता जाहिर करने के बाद पाकिस्तान के प्रति संवेदना जताने वाले बयान को कोलंबिया ने वापस ले लिया है। इस पूरे मामले पर कोलंबिया अब हमारे रुख को पूरी तरह से समझता है। यह वास्तव में बहुत महत्व रखता है।”
शशि थरूर ने कहा कि, “हम अपने कोलंबियाई मित्रों से कहना चाहेंगे कि जो आतंकवाद फैलाते हैं और जो उसका प्रतिरोध करते हैं, उनके बीच कोई समानता नहीं हो सकती। जो हमला करते हैं और जो रक्षा करते हैं, उनके बीच कोई तुलना नहीं हो सकती। हम केवल आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं, और यदि इस पर कोई गलतफहमी है, तो हम उसे दूर करने के लिए तैयार हैं।”
डेलिगेशन के लिए शशि थरूर को ही क्यों चुना?
बता दें, पहलगाम में 26 लोगों की हत्या और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच तनातनी का माहौल है। भारत का दृष्टिकोण विश्व के सामने रखने और आतंकवाद के खिलाफ नो टॉलरेंस की नीति को स्पष्ट करने के लिए ही भारत सरकार प्रमुख साझेदार देशों में प्रतिनिधिमंडल भेज रही है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि भारत की स्थिति को पूर्ण रूप से स्पष्ट किया जाए। ऐसे में सरकार ने विपक्षी पार्टियों से प्रतिनिधि मंडल के लिए नेताओं के नाम मांगे थे। इनमें से एक शशि थरूर का नाम चुना गया।
कूटनीति के बड़े जानकार शशि थरूर
संयुक्त राष्ट्र में काम करने का लंबा अनुभव रखने वाले शशि थरूर का नाम अक्सर सुर्खियों में रहा है। शशि थरूर कूटनीति के बड़े जानकार कहे जाते हैं। ऐसे में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने में उनका एक अहम रोल हो सकता है। इसके अलावा भी शशि थरुर को इसमें शामिल करने के कई कारण है। शशि थरूर को लेकर अक्सर ये कहा जाता है कि वह कूटनीति के अच्छे जानकार है, वह भलीभांति इस बात को जानते हैं कि किस देश की क्या फितरत है और उसे कैसे जवाब दिया जा सकता है। शशि रूस यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर मोदी सरकार की कूटनीति की भी तारीफ कर चुके हैं। ख़ास बात ये है कि, अब इसका असर दिख भी रहा है।