पुतिन की नई न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन पर बड़ा कदम
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी नई न्यूक्लियर पॉलिसी के तहत अमेरिका और पश्चिमी देशों को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर रूस पर किसी परमाणु संपन्न देश द्वारा हमला होता है या ऐसा हमला किसी अन्य देश की मदद से किया जाता है, तो इसे संयुक्त हमला माना जाएगा। रूस इसके जवाब में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने पर विचार कर सकता है।
बाइडन के कदम से बढ़ा तनाव
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति दी है। इस फैसले ने रूस और अमेरिका के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। पुतिन ने इसे रूस की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताते हुए नई पॉलिसी पर हस्ताक्षर किए हैं।
रूस की नई परमाणु नीति के मुख्य प्रावधान
- अगर रूस पर पारंपरिक मिसाइल, ड्रोन या विमान से हमला होता है, तो इसे परमाणु हमले के तौर पर देखा जाएगा।
- रूस जवाबी कार्रवाई में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
- यह कदम पश्चिमी देशों को कड़ा संदेश देने के लिए उठाया गया है।
क्या न्यूक्लियर पॉलिसी से बढ़ेगा विश्व युद्ध का खतरा?
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन की नई पॉलिसी से वैश्विक तनाव बढ़ सकता है। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को सैन्य सहायता देना रूस के लिए सीधा चुनौतीपूर्ण कदम है। अगर यह तनाव बढ़ता है, तो दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध का सामना करना पड़ सकता है।
परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का बढ़ता खतरा
रूस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। पुतिन के इस कदम का उद्देश्य पश्चिमी देशों को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करना है।
रूस और अमेरिका के बीच संबंधों में गिरावट
रूस और अमेरिका के बीच कूटनीतिक संबंध पहले से ही कमजोर हैं। पुतिन की इस नई नीति ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। अगर यह तनाव जारी रहा, तो यह पूरे विश्व के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
पश्चिमी देशों को पुतिन का संदेश
नई न्यूक्लियर पॉलिसी से पुतिन ने यह संदेश दिया है कि रूस किसी भी सूरत में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा। यह नीति पश्चिमी देशों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि अगर उन्होंने रूस के खिलाफ कोई कदम उठाया, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
पुतिन की नई न्यूक्लियर पॉलिसी ने वैश्विक राजनीति में भूचाल ला दिया है। अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव से परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दुनिया के अन्य देश इस स्थिति को कैसे संभालते हैं।
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