राहुल गांधी महाकुंभ दौरा: क्या आस्था या चुनावी रणनीति का हिस्सा?

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राहुल गांधी महाकुंभ दौरा चर्चा का विषय बना हुआ है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रयागराज कुंभ में स्नान करने की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी इस दौरे की पुष्टि कर चुके हैं, लेकिन अभी तक तारीख को लेकर असमंजस बना हुआ है।
राम मंदिर उद्घाटन से दूरी, लेकिन महाकुंभ में स्नान क्यों?
जनवरी 2024 में अयोध्या में हुए राम मंदिर उद्घाटन समारोह से कांग्रेस और INDIA गठबंधन के नेताओं ने दूरी बना ली थी। राहुल गांधी ने भी इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था। हालांकि, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने परिवार समेत रामलला के दर्शन किए थे।
अब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का महाकुंभ में संगम स्नान करने की योजना एक बड़ा राजनीतिक संकेत दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस, हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है।
महाकुंभ स्नान पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने
राहुल गांधी महाकुंभ दौरा को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय राय ने कहा, “कुंभ आस्था का प्रतीक है। कांग्रेस नेता पहले भी कुंभ में जाते रहे हैं, प्रियंका गांधी भी स्नान कर चुकी हैं।”
वहीं, बीजेपी नेता और यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी महाकुंभ में स्नान कर लें, शायद उनकी गृहस्थी बस जाए और कांग्रेस को नया वारिस मिल जाए।”
क्या राहुल गांधी का महाकुंभ दौरा महज चुनावी रणनीति है?
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि राहुल गांधी का महाकुंभ दौरा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इससे कांग्रेस हिंदू मतदाताओं को साधने की कोशिश कर सकती है।
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने यह भी संकेत दिया है कि राहुल गांधी प्रयागराज में महाकुंभ भगदड़ में मारे गए लोगों के परिवारों से मिल सकते हैं। इससे कांग्रेस जनता के बीच अपनी संवेदनशील छवि पेश करने की कोशिश करेगी।
राहुल गांधी के महाकुंभ दौरे का संभावित असर
- हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश – राम मंदिर उद्घाटन से दूरी बनाने के बाद, कांग्रेस महाकुंभ के जरिए संत समाज और हिंदू वोटरों तक पहुंच बनाना चाहती है।
- बीजेपी को जवाब देने की रणनीति – बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हिंदू विरोधी राजनीति करने का आरोप लगाती रही है। महाकुंभ दौरा, कांग्रेस को इस धारणा से उबार सकता है।
- राजनीतिक संदेश – राहुल गांधी का यह दौरा यह संकेत देगा कि कांग्रेस भी धार्मिक आयोजनों में हिस्सा ले सकती है।
राहुल गांधी महाकुंभ दौरा केवल आस्था का मामला नहीं है, बल्कि इसका गहरा राजनीतिक अर्थ भी है। कांग्रेस, चुनाव से पहले धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस पर क्या रणनीति अपनाती है और क्या राहुल गांधी का यह कदम कांग्रेस के पक्ष में फायदेमंद साबित होगा या नहीं।
और पढ़ें: दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण: 20 फरवरी को ले सकते हैं शपथ, बीजेपी की तैयारियां तेज