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Toggleसीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती को बढ़ावा, किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी
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बहराइच। भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार नई योजनाओं पर काम कर रही है। हाल ही में आयोजित एक अंतर्जनपदीय औद्यानिक गोष्ठी में विशेषज्ञों और किसानों ने खेती के नए तरीकों पर चर्चा की। इस पहल से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनकी फसलों को विदेशी बाजारों तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है।
हाईलाइट्स:
- सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती के विस्तार पर जोर।
- किसानों को फलों, शाकभाजी, औषधीय और पुष्पीय फसलों की खेती के लिए अनुदान।
- वैज्ञानिक तरीकों से खेती कर आय में वृद्धि के सुझाव।
- नेपाल और अन्य देशों में भारतीय फसलों के निर्यात की संभावनाओं पर चर्चा।
सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती पर जोर
प्रदेश के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उद्यान, कृषि विपणन और कृषि निर्यात दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में औद्यानिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक फल, फूल, मसाले और शाकभाजी की खेती करें, जिससे उनकी आय में गुणात्मक वृद्धि हो सके।
किसानों को मिलेगी सरकारी सहायता
गोष्ठी में मौजूद उद्यान निरीक्षक पंकज वर्मा ने बताया कि सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को वर्मी कंपोस्ट, पॉली हाउस, शेडनेट और ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों पर सब्सिडी मिलेगी। इसके अलावा, स्प्रे मशीन, गार्डेन ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों पर भी अनुदान दिया जाएगा।
नेपाल को होगा निर्यात, किसानों की बढ़ेगी आय
सीमावर्ती जिलों में उगाई गई केला, स्ट्रॉबेरी और हल्दी जैसी फसलें नेपाल में ऊंची कीमतों पर बिक सकती हैं। गोष्ठी में बताया गया कि सरकार किसानों को सीधे निर्यात की सुविधा देने के लिए नीतियां तैयार कर रही है। इससे सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती से किसानों को अधिक लाभ होगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने पर जोर
गोष्ठी में कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती को और अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। ड्रिप सिंचाई, उन्नत बीज, जैविक खेती और परागण विधियों का उपयोग करने से उत्पादन कई गुना बढ़ सकता है।
सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक खेती किसानों की आय बढ़ाने का एक प्रभावी जरिया बन सकता है। सरकार की योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाकर किसान अपनी खेती को और अधिक उन्नत बना सकते हैं। जल्द ही इन फसलों को विदेशी बाजारों तक पहुंचाने की नीति तैयार की जाएगी, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
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