स्वाति मालीवाल बनाम अरविंद केजरीवाल: क्या बदले की राजनीति या जनता की आवाज़?

हाइलाइट्स:
- स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल के खिलाफ अपना अभियान तेज किया।
- दिल्ली में कूड़ा समस्या को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर किया प्रदर्शन।
- आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच बढ़ी राजनीतिक खींचतान।
स्वाति मालीवाल बनाम अरविंद केजरीवाल: क्या चल रही है सियासी जंग?
दिल्ली में राजनीतिक घमासान तेज हो चुका है। स्वाति मालीवाल बनाम अरविंद केजरीवाल की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। इस बीच, उन्होंने दिल्ली की गंदगी की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर कूड़ा फेंका, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
हिरासत में स्वाति मालीवाल, क्या यह बदले की राजनीति?
स्वाति मालीवाल बनाम अरविंद केजरीवाल की यह जंग तब शुरू हुई जब उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर मारपीट का आरोप लगाया था। 13 मई को स्वाति मालीवाल ने शिकायत दर्ज करवाई थी और 16 मई को दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की थी। इसके बाद से वह लगातार सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार को घेरती आ रही हैं।
स्वाति मालीवाल का कूड़ा प्रदर्शन
स्वाति मालीवाल ने हाल ही में विकासपुरी का दौरा किया और वहां की महिलाओं के साथ मिलकर सड़क पर फैले कूड़े को इकट्ठा किया। इसके बाद, तीन ट्रकों में भरकर वह केजरीवाल के आवास पर पहुंचीं और वहां कूड़ा डाल दिया। उनका कहना था कि दिल्ली में गंदगी की समस्या चरम पर है, लेकिन सरकार कोई कदम नहीं उठा रही।
केजरीवाल की चुप्पी, बीजेपी और कांग्रेस को फायदा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्वाति मालीवाल बनाम अरविंद केजरीवाल की इस लड़ाई का फायदा बीजेपी और कांग्रेस दोनों को हो सकता है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि स्वाति मालीवाल बीजेपी के इशारे पर काम कर रही हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
क्या केजरीवाल सरकार पर संकट गहराएगा?
स्वाति मालीवाल का यह कदम ऐसे समय में आया है जब आम आदमी पार्टी पहले ही कई विवादों में घिरी हुई है। अरविंद केजरीवाल को यमुना जल प्रदूषण मामले में चुनाव आयोग से नोटिस मिला हुआ है। इसके अलावा, विपक्ष लगातार उन पर हमलावर है।
क्या यह जनता के हक की लड़ाई है या राजनीतिक खेल?
स्वाति मालीवाल बनाम अरविंद केजरीवाल की यह लड़ाई केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं लग रही। सवाल यह है कि क्या यह आम जनता के मुद्दे उठाने की कोशिश है या फिर राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित? आने वाले दिनों में इस सियासी घमासान के और तेज होने की संभावना है।
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