विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day) हर वर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आंखों की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाना और आंखों की देखभाल को प्रोत्साहित करना है। इस वर्ष, 2024 में, यह दिन हमें याद दिलाता है कि 50 वर्ष की आयु तक हमारी आंखों की सेहत को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है। आइए, हम तीन प्रमुख आंखों की बीमारियों पर चर्चा करें, जो इस उम्र के बाद अधिक सामान्य हो जाती हैं, और उनके लक्षणों के बारे में जानें।
1. मोतियाबिंद (Cataract)
मोतियाबिंद क्या है?
मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख के लेंस में धुंधलापन आ जाता है, जिससे दृष्टि में कमी आती है। यह स्थिति उम्र बढ़ने के साथ अधिक सामान्य होती है।
खतरा:
50 वर्ष की आयु के बाद मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता है। यह तब होता है जब आंख के लेंस में प्रोटीन के अणु एकत्रित होकर एक धुंधली फिल्म बना लेते हैं।
लक्षण:
- दृष्टि में धुंधलापन
- रात में देखने में कठिनाई
- रंगों की पहचान में कठिनाई
- चमकदार रोशनी के चारों ओर हेरा-फेरी
- आंखों में नियमित रूप से चश्मा बदलने की आवश्यकता
रोकथाम और उपचार:
सही समय पर जांच और सर्जरी से मोतियाबिंद का प्रभावी उपचार संभव है। संतुलित आहार, धूप में चश्मा पहनना और धूम्रपान से बचना भी मददगार हो सकता है।
2. ग्लूकोमा (Glaucoma)
ग्लूकोमा क्या है?
ग्लूकोमा एक आंखों की बीमारी है जिसमें आंखों के भीतर दबाव बढ़ता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान होता है और दृष्टि की हानि होती है।
खतरा:
50 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों में ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और इसे ‘चुपके से दृष्टिहीनता’ कहा जाता है।
लक्षण:
- आँखों में दर्द या तनाव
- धुंधली दृष्टि
- आभा या हल्के रंगों की परिभाषा में कमी
- अचानक दृष्टि की हानि
रोकथाम और उपचार:
ग्लूकोमा की रोकथाम के लिए नियमित आंखों की जांच महत्वपूर्ण है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएँ और सर्जरी के माध्यम से इस स्थिति का प्रबंधन किया जा सकता है।
3. उम्र से संबंधित मॅकुलर डिजेनरेशन (Age-related Macular Degeneration – AMD)
मॅकुलर डिजेनरेशन क्या है?
यह एक आंखों की बीमारी है जो रेटिना के केंद्र को प्रभावित करती है, जिसे मॅकुला कहा जाता है। यह दृष्टि के केंद्र को कमजोर करती है, जिससे पढ़ने या देखे जाने वाली वस्तुओं की स्पष्टता में कमी आती है।
खतरा:
50 वर्ष की आयु के बाद मॅकुलर डिजेनरेशन होने का जोखिम बढ़ जाता है, खासकर उन लोगों में जो धूम्रपान करते हैं या जिनका पारिवारिक इतिहास होता है।
लक्षण:
- सीधे देखने में कठिनाई
- रंगों की पहचान में कमी
- दृष्टि के केंद्र में धब्बे या छायाएँ
- दृश्यता में परिवर्तन
रोकथाम और उपचार:
एक स्वस्थ जीवनशैली, जैसे संतुलित आहार, धूम्रपान से बचाव, और नियमित व्यायाम, मॅकुलर डिजेनरेशन के जोखिम को कम कर सकता है। उपचार में एंटी-एंजियोजन दवाएँ और लाइट थेरेपी शामिल हो सकते हैं।
आंखों की देखभाल के टिप्स
- नियमित जांच:
साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच करवाएँ, विशेष रूप से 50 वर्ष की आयु के बाद। - संतुलित आहार:
हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मछली, और फल शामिल करें। इनमें विटामिन C, E, और ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। - धूम्रपान छोड़ें:
धूम्रपान आंखों की बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है, इसलिए इसे छोड़ना सबसे अच्छा है। - UV सुरक्षा:
बाहर जाते समय धूप के चश्मे का उपयोग करें ताकि आंखों को UV किरणों से बचाया जा सके। - सकारात्मक जीवनशैली:
नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपनाएँ, जैसे योग और ध्यान। - सही रोशनी का उपयोग:
पढ़ते या काम करते समय उचित रोशनी का ध्यान रखें।
विश्व दृष्टि दिवस 2024 हमें याद दिलाता है कि आंखों का स्वास्थ्य हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, और मॅकुलर डिजेनरेशन जैसी बीमारियाँ समय पर पहचान और उपचार के माध्यम से प्रबंधित की जा सकती हैं। इसलिए, अपनी आंखों की देखभाल को प्राथमिकता दें और समय-समय पर जांच करवाएँ। स्वस्थ आंखें, स्वस्थ जीवन!
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