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ToggleMaharashtra Election Result 2024: महायुति की जीत के फैक्टर, जिन्होंने MVA का किया सूपड़ा साफ
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति (भाजपा-शिवसेना-शिंदे-एनसीपी-अजित पवार) ने ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए 288 में से 220+ सीटों पर बढ़त बनाई है। वहीं, महाविकास आघाड़ी (एमवीए) महज 55 सीटों पर सिमट गई। इस प्रचंड जीत के पीछे कई महत्वपूर्ण फैक्टर हैं, जिन्होंने एमवीए का सूपड़ा साफ कर दिया। आइए, इस जीत के हर पहलू पर नज़र डालते हैं।
महायुति की ऐतिहासिक जीत: महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़
महायुति का प्रभाव: रुझानों में बंपर बहुमत
रुझानों के अनुसार, महाराष्ट्र में महायुति ने 220+ सीटों पर बढ़त बनाते हुए सत्ता में वापसी तय कर दी है। इस गठबंधन में बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) शामिल हैं। वहीं, महाविकास आघाड़ी (एमवीए) जिसमें कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) हैं, 50 सीटों पर ही सिमटते नजर आ रहे हैं।
किसने कहां से बनाई बढ़त?
- बीजेपी: 124 सीटों पर बढ़त और 7 सीटें जीत चुकी है।
- शिवसेना (शिंदे): मराठा क्षेत्रों में बड़ी जीत।
- एनसीपी (अजित पवार गुट): पश्चिमी महाराष्ट्र में प्रभावशाली प्रदर्शन।
महायुति की जीत के बड़े फैक्टर
लड़की बहिन योजना और टोल फ्री फैसले का असर
महायुति की सरकार ने चुनाव से पहले कई लोकलुभावन योजनाएं लागू कीं। लड़की बहिन योजना, जिसमें महिलाओं के बैंक खातों में नियमित धनराशि ट्रांसफर की जाती है, ने महिलाओं को प्रभावित किया।
इसके अलावा, टोल फ्री का फैसला पुरुष मतदाताओं के बीच लोकप्रिय रहा। महिलाओं और पुरुषों के इस समर्थन ने महायुति को अभूतपूर्व जीत दिलाई।
एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना महायुति के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ।
- शिंदे को मराठा सम्मान का प्रतीक माना गया।
- मराठा आंदोलन के बाद भी उन्होंने अपने नेतृत्व को बनाए रखा।
- ठाकरे परिवार के कमजोर होने से शिंदे ने मराठी जनता का भरोसा जीता।
भाजपा-शिवसेना का हिंदुत्व डीएनए
भाजपा और शिवसेना का गठबंधन हिंदुत्व की विचारधारा पर आधारित है। 2019 में उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से अलग होकर एमवीए का हिस्सा बनकर अपनी कोर वोटर बेस को नाराज कर दिया था। इस बार जनता ने शिवसेना (शिंदे गुट) को असली शिवसेना मानकर वोट दिया।
एमवीए का बिखरा हुआ गठबंधन
महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच समन्वय की कमी रही।
- सीट बंटवारे को लेकर असंतोष।
- छोटे दलों को उपेक्षित किया गया।
- मतदाताओं को संदेश गया कि एमवीए में स्थिरता नहीं है।
स्थानीय नेतृत्व पर फोकस
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने स्थानीय नेताओं को प्राथमिकता दी।
- देवेंद्र फडणवीस ने सबसे ज्यादा रैलियां कीं।
- बीजेपी ने पीएम मोदी को ज्यादा प्रचार में शामिल न कर स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दिया।
हिंदू-मुस्लिम समीकरण साधने की रणनीति
महायुति ने हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय को भी साधने का प्रयास किया।
- मदरसों के शिक्षकों की सैलरी बढ़ाई।
- मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर उनके प्रति विश्वास जगाया।
संघ का समर्थन और प्रचार रणनीति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने महायुति के पक्ष में जोरदार प्रचार किया। संघ के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर महायुति के लिए वोट मांगे।
- सामाजिक मुद्दों पर मतदाताओं को जागरूक किया।
- स्थानीय समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया।
महाराष्ट्र के नगर निगम चुनावों पर नजर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी की नजर देश के सबसे अमीर नगर निगम, बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) के चुनाव पर है।
- बीएमसी पर 1997 से बीजेपी-शिवसेना का कब्जा रहा है।
- शिवसेना (शिंदे गुट) अब बीएमसी को उद्धव ठाकरे गुट से लेने की कोशिश करेगी।
क्या होगी नई सरकार की प्राथमिकताएं?
मुख्यमंत्री का चयन:
सीएम पद के लिए अभी तक फैसला नहीं हुआ है।
- देवेंद्र फडणवीस का नाम बीजेपी में चर्चा में है।
- एकनाथ शिंदे को दोबारा सीएम बनाए जाने की संभावना है।
प्राथमिक मुद्दे:
- मराठा आरक्षण पर फैसला।
- टोल फ्री पॉलिसी को लागू रखना।
- महिला सशक्तिकरण योजनाओं का विस्तार।
महायुति ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में विपक्ष को पूरी तरह से मात देकर बड़ी जीत हासिल की है। बीजेपी, शिवसेना (शिंदे), और एनसीपी (अजित पवार) के गठबंधन ने न केवल सत्ता में वापसी की है, बल्कि राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। आने वाले दिनों में बीएमसी चुनाव और मुख्यमंत्री पद पर फैसला देखना दिलचस्प होगा
महायुति की जीत: 2024 में प्रचंड बहुमत का सफर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की जनता ने महायुति गठबंधन पर पूरा भरोसा जताया। 288 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में महायुति ने बड़ी बढ़त हासिल की। इस चुनाव परिणाम के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है।
‘लड़की बहिन योजना’ ने महिलाओं का दिल जीता
महायुति सरकार की ‘लड़की बहिन योजना’ को इस जीत का एक अहम फैक्टर माना जा रहा है। यह योजना सीधा महिलाओं के बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर कर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुई।
- इस योजना का असर इतना व्यापक था कि एमवीए के कोर वोटर्स के परिवारों की महिलाओं ने भी महायुति को वोट दिया।
- इसके अलावा, चुनाव से पहले राज्य के कई टोल प्लाजा को टोल फ्री कर पुरुष मतदाताओं को भी अपने पक्ष में करने की कोशिश सफल रही।
मराठा प्राइड का प्रतीक बने एकनाथ शिंदे
भाजपा की रणनीति में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए रखना और उनकी छवि को भुनाना एक बड़ा दांव साबित हुआ। शिंदे ने मराठा प्राइड को मजबूत किया और मराठी जनता के लिए एक सम्मानजनक विकल्प बने।
- मराठा आंदोलन के बाद भी शिंदे ने अपनी पकड़ मजबूत रखी और महायुति को मजबूत किया।
- शिवसेना (उद्धव गुट) की बजाय शिंदे को असली मराठा नेता के रूप में देखा गया।
भाजपा-शिवसेना का एकजुट डीएनए
भाजपा और शिवसेना की विचारधारा हमेशा से ही हिंदुत्व के इर्द-गिर्द रही है।
- 2019 में उद्धव ठाकरे के एमवीए में जाने से शिवसेना के कोर वोटर नाराज हो गए थे।
- इस चुनाव में, मतदाताओं ने असली शिवसेना के तौर पर शिंदे गुट पर मुहर लगाई।
- भाजपा-शिवसेना के डीएनए ने महायुति को मजबूती दी और एमवीए को कमजोर किया।
एमवीए में सीटों के बंटवारे पर मची खींचतान
महाविकास अघाड़ी ने कई छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ा, लेकिन सीटों के बंटवारे ने उनकी एकता पर सवाल खड़े कर दिए।
- उदाहरण के तौर पर, अणुशक्ति नगर सीट पर एनसीपी (शरद पवार गुट) ने सपा के बजाय अपने उम्मीदवार को उतारा।
- इससे मतदाताओं के बीच यह संदेश गया कि एमवीए में जीत के बाद सीएम पद और मंत्रिमंडल के बंटवारे पर खींचतान हो सकती है।
- इस अव्यवस्था का फायदा महायुति को मिला।
भाजपा की नई रणनीति: स्थानीय नेताओं को मिली तरजीह
भाजपा ने चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी की बजाय स्थानीय नेताओं को आगे रखा।
- महाराष्ट्र में, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सबसे ज्यादा रैलियां और सभाएं कीं।
- स्थानीय राजनीति को महत्व देने की यह रणनीति भाजपा के पक्ष में गई।
हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कुशलता
महायुति ने अपने प्रचार में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों को साथ लेकर चलने की रणनीति अपनाई।
- हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने के लिए ‘बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारों का सहारा लिया।
- वहीं, मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए मदरसा शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने जैसे फैसले लिए।
- एनसीपी (अजित पवार गुट) के मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर यह संदेश दिया गया कि महायुति मुस्लिम विरोधी नहीं है।
संघ के साथ ने भाजपा को दिलाई मजबूती
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के समर्थन ने भाजपा को घर-घर तक पहुंचाने का काम किया।
- संघ के कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं को भाजपा नेतृत्व वाली महायुति को वोट देने की अपील की।
- लोगों को जागरूक किया गया कि एकजुट होकर वोट करना राज्य और देश दोनों के लिए जरूरी है।
- आरएसएस का जमीनी नेटवर्क महायुति की जीत में सहायक बना।
महाराष्ट्र के नगर निगम चुनावों पर नजर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी की नजर देश के सबसे अमीर नगर निगम, बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) के चुनाव पर है।
- बीएमसी पर 1997 से बीजेपी-शिवसेना का कब्जा रहा है।
- शिवसेना (शिंदे गुट) अब बीएमसी को उद्धव ठाकरे गुट से लेने की कोशिश करेगी।
क्या होगी नई सरकार की प्राथमिकताएं?
मुख्यमंत्री का चयन:
सीएम पद के लिए अभी तक फैसला नहीं हुआ है।
- देवेंद्र फडणवीस का नाम बीजेपी में चर्चा में है।
- एकनाथ शिंदे को दोबारा सीएम बनाए जाने की संभावना है।
प्राथमिक मुद्दे:
- मराठा आरक्षण पर फैसला।
- टोल फ्री पॉलिसी को लागू रखना।
- महिला सशक्तिकरण योजनाओं का विस्तार।
महायुति की जीत से क्या संदेश मिला?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने यह साबित किया है कि एक सशक्त और संगठित गठबंधन कैसे जीत दर्ज कर सकता है।
- जनता ने यह संदेश दिया है कि योजनाएं, स्थानीय नेतृत्व और एकजुटता चुनाव जीतने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- वहीं, विपक्षी दलों की आपसी खींचतान और मतभेद उन्हें कमजोर बनाते हैं।
नतीजों का राजनीतिक प्रभाव
महायुति की यह जीत न सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी भाजपा के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाएगी।
- इस जीत ने महाविकास अघाड़ी को बड़ा झटका दिया है।
- साथ ही, महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा-शिवसेना का दबदबा और मजबूत हुआ है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति की जीत ने यह दिखा दिया कि सही रणनीति, संगठनात्मक मजबूती और योजनाओं का प्रभाव ही जीत की कुंजी है।
- ‘लड़की बहिन योजना’, स्थानीय नेतृत्व, और संघ का समर्थन जैसे फैक्टरों ने महायुति को जनता का समर्थन दिलाया।
- इस ऐतिहासिक जीत से यह भी स्पष्ट हो गया कि जनता संगठित और स्थिर सरकार चाहती है।
महायुति की जीत 2024 के चुनावी नतीजों को ऐतिहासिक बना देती है और यह गठबंधन आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहेगा।
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