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Wednesday, July 9, 2025
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रतन टाटा का निधन एक युग का अन्त है : नन्दी

रतन टाटा का निधन एक युग का अन्त है : नन्दी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने विश्व के प्रख्यात उद्योगपति टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन पद्मविभूषण से सम्मानित रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

जारी विज्ञप्ति में मंत्री नन्दी ने कहा कि टाटा समूह को देश के सफल व प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह के रूप में स्थापित करने वाले शीर्षतम उद्यमी के साथ ही अपने व्यक्तित्व से लोगों के दिलों में छाप छोड़ने वाले टाटा ग्रुप के मानद चेयरमैन रतन टाटा का निधन एक युग का अन्त है।

उन्होंने सफलता की यात्रा का आरम्भ अपनी ही कंपनी टाटा स्टील में एक सामान्य कर्मचारी के रूप में किया। अपनी लगन, मेहनत, समर्पण और दूरदर्शिता से टाटा समूह को उपलब्धियों के शिखर पर पहुंचा दिया।

उन्हीं की प्रेरणा से टाटा समूह व्यापार के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी है। समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का एहसास उनकी विशेषता थी और यही कारण था कि कारोबार से होने वाली आमदनी का 60 प्रतिशत सामाजिक सरोकारों हेतु दान कर दिया।

मंत्री नंदी ने कहा कि आज रतन टाटा के निधन से उद्योग जगत में एक शून्य उभरा है जिसकी भरपाई असंभव है! उन्होंने अपने पीछे जो समृद्ध विरासत छोड़ी है वह उनके नाम और काम को सदियों तक जिन्दा रखेगा

महानिशा पूजन कर सीएम योगी ने की लोकमंगल की प्रार्थना।

गोरखपुर। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री एवं योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार देर शाम शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी तिथि के मान में गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुसार विधि विधान से महानिशा पूजन व हवन किया। महानिशा पूजन अनुष्ठान से पूर्व उन्होंने वैदिक मंत्रों के बीच जगतजननी मां आदिशक्ति के अष्टम स्वरूप महागौरी माता की पूजा-अर्चना की।

शारदीय नवरात्र के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने अष्टमी तिथि के मान में गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में महानिशा पूजा का विशिष्ट अनुष्ठान पूर्ण कर लोकमंगल की प्रार्थना की।

गुरुवार पूर्वाह्न देवीपाटन शक्तिपीठ से गोरखपुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ मंदिर में गुरु गोरखनाथ का दर्शन पूजन करने के बाद अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधिस्थल पर जाकर शीश नवाया।

देर शाम वह महानिशा पूजा में सम्मिलित हुए। शुक्रवार पूर्वाह्न नवमी तिथि के मान में कन्या पूजन तथा शनिवार को दशमी तिथि पर श्रीनाथ जी के विशिष्ट पूजन और गोरक्षपीठ से निकलने वाले परंपरागत विजयादशमी शोभायात्रा तक सीएम योगी गोरक्षभूमि पर शक्ति की भक्ति में रत रहेंगे।

गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में महानिशा पूजा का अनुष्ठान गुरुवार देर शाम गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ।

दो घंटे से अधिक चले अनुष्ठान में गोरक्षपीठाधीश्वर ने गौरी गणेश पूजन, वरुण पूजन, पीठ पूजन, यंत्र पूजन, मां दुर्गा का विधिवत् पूजन, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता का षोडशोपचार पूजन, भगवान कृष्ण एवं गोमाता का पूजन, नवग्रह पूजन, विल्व पूजन,अधिष्ठात्री देवता पूजन, शस्त्र पूजन, द्वादश ज्योर्तिलिंग-अर्धनारीश्वर एवं शिव-शक्ति पूजन, वटुक भैरव, काल भैरव, त्रिशूल पर्वत पूजन किया।

साथ ही हवन की वेदी पर ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र और अग्नि देवता का आह्वान कर पूजन किया और शक्तिपीठ में स्थापित वेदी पर उगे जौ के पौधों को काटकर आदिशक्ति मां दुर्गा से लोकमंगल की प्रार्थना की।

महानिशा पूजा का अनुष्ठान गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा हवन करके पूर्ण किया गया। समस्त अनुष्ठान दुर्गा सप्तसती के पाठ एवं वैदिक मंत्रों के साथ संपन्न हुआ।

अंत में आरती एवं क्षमा याचना के बाद प्रसाद वितरित हुआ। इस अवसर पर मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी से आए महामंडलेश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा समेत बड़ी संख्या में गोरखनाथ मंदिर के भक्त उपस्थित रहे।

मां सिद्धिदात्री की आराधना कर कन्या पूजन करेंगे सीएम योगी
गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर स्थित अपने आवास के शक्तिपीठ में शुक्रवार पूर्वाह्न शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि को देवी दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करेंगे।

उसके बाद कन्या पूजन का अनुष्ठान होगा। इस अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर कुंवारी कन्याओं के पांव पखारकर श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करेंगे। उन्हें भोजन कराएंगे और दक्षिणा, उपहार देंगे। इस दौरान परंपरा के अनुसार बटुक पूजन भी किया जाएगा।

ITBP Vacancy 2024: आईटीबीपी में नौकरी का सुनहरा मौका, सैलरी 81,100 रुपये तक

इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) ने 2024 में भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इस बार ITBP ने कुल 128 पदों पर भर्ती का ऐलान किया है, जिसमें कॉन्स्टेबल (ट्रांसपोर्ट/केनेलमैन) और हेड कॉन्स्टेबल (वेटरिनरी) के पद शामिल हैं। यह उन उम्मीदवारों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो इस बार आवेदन करने से चूक गए थे।

पदों की जानकारी

  1. हेड कॉन्स्टेबल (वेटरिनरी)
    • कुल पद: 20
    • सैलरी: 25,500 – 81,100 रुपये प्रति माह
  2. कॉन्स्टेबल (एनिमल ट्रांसपोर्ट)
    • कुल पद: 64
    • सैलरी: 21,700 – 69,100 रुपये प्रति माह
  3. कॉन्स्टेबल (केनेलमैन)
    • कुल पद: 44
    • सैलरी: 21,700 – 69,100 रुपये प्रति माह

आवेदन की प्रक्रिया

इच्छुक उम्मीदवार 29 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए उन्हें ITBP की आधिकारिक वेबसाइट recruitment.itbpolice.nic.in पर जाना होगा। यहाँ पर उन्हें एक फॉर्म भरना होगा और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज़

  1. आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र
  2. 10वीं कक्षा की मार्कशीट
  3. पेशेवर योग्यता (यदि हो)
  4. फोटो और सिग्नेचर

आयु सीमा

उम्मीदवारों की आयु 18 से 27 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आयु की गणना 29 सितंबर 2024 से की जाएगी।

चयन प्रक्रिया

ITBP में चयन प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं:

  1. लिखित परीक्षा: सबसे पहले उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा पास करनी होगी। यह परीक्षा सामान्य ज्ञान, गणित, हिंदी, और अंग्रेजी पर आधारित होगी।
  2. शारीरिक दक्षता परीक्षा (PET): इसके बाद उम्मीदवारों को शारीरिक दक्षता परीक्षा में भाग लेना होगा, जिसमें दौड़, ऊँचाई कूद और लंबी कूद शामिल होंगे।
  3. शारीरिक मानक परीक्षण (PST): इस चरण में उम्मीदवारों के शारीरिक मानकों का परीक्षण किया जाएगा।
  4. चिकित्सा परीक्षण: अंत में, चयनित उम्मीदवारों का मेडिकल टेस्ट होगा, जिसमें उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच की जाएगी।

सैलरी की विस्तृत जानकारी

हेड कॉन्स्टेबल (वेटरिनरी) के पद पर चयनित उम्मीदवारों को 25,500 रुपये से 81,100 रुपये तक का मासिक वेतन मिलेगा, जो उनके अनुभव और सेवा अवधि पर निर्भर करेगा। वहीं, कॉन्स्टेबल के पद पर चयनित उम्मीदवारों को 21,700 रुपये से 69,100 रुपये तक का वेतन मिलेगा।

आईटीबीपी में काम करने के लाभ

  1. सुरक्षित और स्थिर नौकरी: ITBP एक सरकारी नौकरी है, जो स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करती है।
  2. सामाजिक मान्यता: ITBP में काम करने से आपको समाज में सम्मान मिलता है, क्योंकि आप देश की रक्षा में योगदान दे रहे हैं।
  3. प्रमोशन की संभावनाएँ: आईटीबीपी में आपके प्रदर्शन के अनुसार पदोन्नति के अच्छे अवसर होते हैं।
  4. स्वास्थ्य और भलाई: आईटीबीपी कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाएँ और अन्य लाभ भी प्रदान करती है।

कैसे करें आवेदन

आवेदन करने की प्रक्रिया निम्नलिखित है:

  1. वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले recruitment.itbpolice.nic.in पर जाएं।
  2. रजिस्ट्रेशन करें: वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के लिए अपने व्यक्तिगत विवरण भरें।
  3. फॉर्म भरें: आवेदन फॉर्म में सभी आवश्यक जानकारी भरें।
  4. दस्तावेज अपलोड करें: आवश्यक दस्तावेज जैसे फोटो, सिग्नेचर, और पहचान पत्र अपलोड करें।
  5. फीस का भुगतान करें: आवेदन फीस का भुगतान करें। यह फीस सामान्य और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 100 रुपये है, जबकि एससी/एसटी/महिला उम्मीदवारों के लिए कोई शुल्क नहीं है।
  6. फॉर्म सबमिट करें: सभी जानकारी जांचने के बाद फॉर्म को सबमिट करें और इसका प्रिंटआउट लें।

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BGT: रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के पहले टेस्ट से बाहर रह सकते हैं, आई नई जानकारी

इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) में भर्ती का यह अवसर उन सभी उम्मीदवारों के लिए है जो सरकारी नौकरी की तलाश में हैं। यह न केवल एक स्थिर नौकरी है, बल्कि यह आपको देश की सेवा करने का अवसर भी प्रदान करती है। यदि आप इस भर्ती के लिए आवेदन करने के इच्छुक हैं, तो समय का सही उपयोग करें और अपने दस्तावेजों को तैयार रखें।

उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे अपने फॉर्म को समय से भरें और सभी चरणों का पालन करें ताकि वे इस सुनहरे अवसर का लाभ उठा सकें।

BGT: रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के पहले टेस्ट से बाहर रह सकते हैं, आई नई जानकारी

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज की शुरुआत 22 नवंबर को पर्थ में होगी। इस सीरीज में भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा के पहले टेस्ट मैच से बाहर रहने की संभावना जताई जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, रोहित व्यक्तिगत कारणों से इस मुकाबले में भाग नहीं ले सकते और उन्होंने इस बारे में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सूचित कर दिया है।

सीरीज का कार्यक्रम सीरीज के पहले टेस्ट मैच के बाद दूसरा टेस्ट 6 से 10 दिसंबर के बीच एडिलेड में होगा। सूत्रों के मुताबिक, रोहित शर्मा के मामले में स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन अगर उनके व्यक्तिगत कारण सुलझ जाते हैं, तो वह सभी पांच टेस्ट मैच खेल सकते हैं।

हाल ही में बांग्लादेश के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में भाग लेने के बाद, रोहित अब न्यूजीलैंड के खिलाफ 16 अक्टूबर से शुरू होने वाली तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए तैयारी कर रहे हैं। यदि वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी भी टेस्ट में नहीं खेल पाते हैं, तो उनकी जगह फॉर्म में चल रहे अभिमन्यु ईश्वरन को मौका दिया जा सकता है। शुभमन गिल और केएल राहुल जैसे अनुभवी बल्लेबाज भी ओपनिंग जोड़ी के लिए विकल्प हो सकते हैं।

उपकप्तान का मुद्दा रोहित के बाहर होने की स्थिति में टेस्ट टीम का उपकप्तान कौन होगा, इस पर कोई स्पष्ट चर्चा नहीं हुई है। बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज के दौरान भी रोहित का कोई आधिकारिक डेप्यूटी नहीं था। अभिषेक नायर ने इस मुद्दे पर कहा था कि टीम में कई आईपीएल कप्तान मौजूद हैं, जैसे शुभमन गिल, ऋषभ पंत और यशस्वी जायवाल।

आने वाले दिनों में इस मामले में और जानकारी मिलने की उम्मीद है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि रोहित शर्मा की उपस्थिति का क्या असर पड़ेगा।

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Bollywood : राधिका मदान ने नेपोटिज्म पर कसा तंज , “स्टार किड्स को मिलते हैं कई मौके, हमें एक गलती पर निकाल दिया जाता है”

Bollywood : राधिका मदान ने नेपोटिज्म पर कसा तंज , “स्टार किड्स को मिलते हैं कई मौके, हमें एक गलती पर निकाल दिया जाता है”

Bollywood : अभिनेत्री राधिका मदान ने हाल ही में बॉलीवुड में फैले नेपोटिज्म पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में आने वाले स्टार किड्स को सीखने के लिए अक्सर 2-3 फिल्में मिल जाती हैं, जबकि बाहरी लोगों को एक गलती पर बाहर निकाल दिया जाता है।

राधिका का बयान
राधिका, जिन्होंने “अंग्रेजी मीडियम,” “सफीरा,” और “पटाखा” जैसी फिल्मों में काम किया है, ने इंडस्ट्री में भतीजावाद के मुद्दे पर कहा कि, “स्टार किड्स को अपनी पहली फिल्म में अच्छा प्रदर्शन न करने पर भी कई मौके मिलते हैं। उन्हें हर फिल्म में सुधार करने का मौका मिलता है और लोग उनकी पीठ थपथपाते हैं।”

बाहरी कलाकारों के साथ अलग व्यवहार
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग इंडस्ट्री से बाहर से आते हैं, उनके साथ अलग व्यवहार होता है। “हमें कहा जाता है, ‘तुम अभिनय नहीं कर सकते, हमने तुम्हें मौका दिया, तुम बाहर हो।'” राधिका ने स्पष्ट किया कि इंडस्ट्री में बाहरी लोगों को खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

अवसरों की कमी
राधिका ने यह भी कहा कि, “मेरी गलती होगी तो मुझे तुरंत निकाल दिया जाएगा। मुझे 2-3 फिल्मों में मौके नहीं मिलेंगे, जैसे स्टार किड्स को मिलते हैं।” उन्होंने सलाह दी कि बाहरी कलाकारों को पूरी तैयारी के साथ इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए, ताकि वे अपनी प्रतिभा को साबित कर सकें।

राधिका मदान का यह बयान न केवल इंडस्ट्री में चल रही चुनौतियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि बाहरी कलाकारों को अपनी जगह बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। उनके अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म की समस्या अभी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

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DELHI : नया वेब पोर्टल बताएगा आपका मानसिक स्वास्थ्य, सिर्फ 3 मिनट में

DELHI : नया वेब पोर्टल बताएगा आपका मानसिक स्वास्थ्य, सिर्फ 3 मिनट में

दिल्ली: मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए, एम्स के डॉक्टरों ने मेंटल हेल्थ फाउंडेशन (इंडिया) के सहयोग से एक नई वेब पोर्टल लॉन्च की है। यह पोर्टल, जिसका नाम happyfitindia.mhfindia.org है, महज तीन मिनट में उपयोगकर्ताओं के मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करेगा।

क्या है इस पोर्टल की खासियत?
उपयोगकर्ताओं को इस पोर्टल पर कुछ सवालों के जवाब देने होंगे और अपनी कुछ जानकारी प्रदान करनी होगी। वर्तमान में देश में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे तेजी से बढ़ रहे हैं, और यह पोर्टल उन लोगों के लिए एक समाधान पेश करेगा जो किसी कारण से परेशान हैं।

एआई उपकरण देगा रियल टाइम में जानकारी
इस पहल के तहत, एम्स के पूर्व डॉक्टर दीपक चोपड़ा ने एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित टूल विकसित किया है। यह टूल उपयोगकर्ताओं को मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट के बारे में तुरंत सूचित करेगा। इसके माध्यम से, यदि किसी व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य में समस्या महसूस होती है, तो यह टूल उन्हें बिना दवा के समाधान भी प्रदान करेगा और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से मिलने की सलाह देगा।

कई स्तरों पर किया जा रहा है काम
दीपक चोपड़ा ने बताया कि मानसिक रोगों से निपटने के लिए कई स्तरों पर काम किया जा रहा है। इस पोर्टल में मरीजों के सवालों का उचित जवाब दिया जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने एक स्मार्ट अंगूठी और अन्य डिवाइस का उल्लेख किया, जो रियल टाइम में मानसिक तनाव और अवसाद का संकेत देकर उपयोगकर्ताओं को अलर्ट कर सकती है।

जल्द ही शुरू होंगी सुविधाएं
इस पोर्टल पर जल्द ही अन्य सुविधाएं भी शुरू की जाएंगी, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेंगी। इस पहल से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों को सहारा मिलेगा और उन्हें उचित मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

इस वेब पोर्टल की सहायता से आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे और आवश्यक उपाय कर सकेंगे।

 

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Health tips : प्राकृतिक उपायों से टॉक्सिन्स को बाहर निकालें , 10 सरल तरीके आपकी सेहत के लिए!

Health tips : प्राकृतिक उपायों से टॉक्सिन्स को बाहर निकालें , 10 सरल तरीके आपकी सेहत के लिए!

हमारा शरीर प्रतिदिन कई प्रकार के टॉक्सिन्स (विषाक्त पदार्थ) का सामना करता है, जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं, जैसे कि अस्वस्थ भोजन, प्रदूषण, तनाव और अन्य कारक। यदि इन टॉक्सिन्स को समय पर बाहर नहीं निकाला जाता है, तो ये हमारी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इस लेख में हम कुछ प्रभावी और प्राकृतिक उपायों के बारे में चर्चा करेंगे, जिनसे आप अपने शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकते हैं।

1. जल का महत्व
जल एक महत्वपूर्ण घटक है जो शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर की सफाई होती है, किडनी बेहतर काम करती हैं और त्वचा में निखार आता है।

उपाय:

प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।
नींबू पानी या नारियल पानी का सेवन करें, यह शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ-साथ टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करता है।

2. स्वस्थ आहार का सेवन
एक स्वस्थ और संतुलित आहार से भी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है। फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज आपके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

उपाय:

हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक और मेथी का सेवन करें। ये शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होती हैं।
नींबू, संतरा और अन्य साइट्रस फल टॉक्सिन्स को खत्म करने में मदद करते हैं।
अदरक और हल्दी जैसे मसालों का सेवन करें, जो एंटी-इन्फ्लेमेटरी होते हैं और शरीर की सफाई में मदद करते हैं।

3. व्यायाम
व्यायाम करना केवल वजन कम करने के लिए नहीं है, बल्कि यह शरीर के अंदर मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में भी मदद करता है।

उपाय:

नियमित रूप से कार्डियो व्यायाम जैसे दौड़ना, साइकिल चलाना या तैराकी करें। ये गतिविधियाँ पसीने के माध्यम से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करती हैं।
योग और प्राणायाम का अभ्यास करें। ये मानसिक तनाव को कम करने के साथ-साथ शरीर के ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाते हैं।

 


4. नींद का महत्व
अच्छी नींद भी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब हम सोते हैं, तो शरीर अपने आप को ठीक करने और पुनः जीवित करने का कार्य करता है।

उपाय:

रात में 7-8 घंटे की नींद लेने का प्रयास करें।
सोने से पहले स्क्रीन टाइम को कम करें और एक शांत वातावरण बनाएं।

5. स्टीम बाथ और साफ़ सफाई
स्टीम बाथ लेने से पसीना निकलता है, जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।

उपाय:

हफ्ते में एक बार स्टीम बाथ लें।
हॉट टब में स्नान करना भी एक अच्छा विकल्प है।

6. फाइबर का सेवन
फाइबरयुक्त आहार खाना पाचन को बेहतर बनाता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।

उपाय:

साबुत अनाज, फल, सब्जियाँ और नट्स का सेवन करें।
दलिया, चिया बीज और फ्लैक्स सीड्स फाइबर का अच्छा स्रोत हैं।

7. ग्रीन टी और हर्बल चाय
ग्रीन टी और हर्बल चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की सफाई में मदद करते हैं।

उपाय:

प्रतिदिन 1-2 कप ग्रीन टी पिएं।
पुदीना, कैमोमाइल या अदरक की चाय भी लाभकारी होती हैं।

8. स्ट्रेस प्रबंधन
तनाव भी शरीर में टॉक्सिन्स के संचय का एक बड़ा कारण हो सकता है।

उपाय:

ध्यान और योग का अभ्यास करें।
अपनी पसंदीदा गतिविधियों में समय बिताएँ, जैसे किताबें पढ़ना, संगीत सुनना या यात्रा करना।

9. प्राकृतिक जूस
ताजे फलों का जूस पीने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और टॉक्सिन्स बाहर निकलने में मदद मिलती है।

उपाय:

गाजर, चुकंदर और पालक का जूस बनाकर पिएं। ये जूस शरीर के लिए बेहद लाभकारी होते हैं।

इन प्राकृतिक उपायों का पालन करके आप अपने शरीर से टॉक्सिन्स को प्रभावी रूप से बाहर निकाल सकते हैं। यह न केवल आपकी सेहत को बेहतर बनाएगा, बल्कि आपको ताजगी और ऊर्जा भी प्रदान करेगा।

सुझाव
इन उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और परिणाम देखें।
हमेशा एक डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श करें, खासकर यदि आप किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं।
संसाधनों की सही उपयोगिता और नियमितता से आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं और टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकते हैं।

इन उपायों के माध्यम से, आप न केवल अपने शरीर को साफ करेंगे, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाएंगे। स्वस्थ रहने का सफर शुरू करें और खुद को एक नई ऊर्जा से भरें!

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World Mental Health Day: मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से बचने के लिए आहार का महत्व

 

World Mental Health Day: मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से बचने के लिए आहार का महत्व

10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और इसके प्रति जागरूकता फैलाना है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती हैं, चाहे उसकी उम्र, लिंग, या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। इन समस्याओं का मुकाबला करने के लिए एक स्वस्थ आहार बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं: क्या हैं लक्षण?

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में अवसाद, चिंता, तनाव, PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर), और अन्य विकार शामिल हैं। इनके लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • लगातार उदासी या चिंता
  • आत्म-सम्मान में कमी
  • सोने में कठिनाई या अत्यधिक नींद
  • सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना
  • ध्यान केंद्रित करने में समस्या

आहार और मानसिक स्वास्थ्य

संतुलित आहार मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। कुछ खाद्य पदार्थ मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, जबकि अन्य खाद्य पदार्थ समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद खाद्य पदार्थ

  1. ओमेगा-3 फैटी एसिड:
    • स्रोत: मछली (विशेषकर सैल्मन, सार्डिन), चिया बीज, अलसी के बीज।
    • लाभ: ये फैटी एसिड मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं और अवसाद को कम करने में मदद कर सकते हैं।

  1. फल और सब्जियाँ:
    • स्रोत: गाजर, पालक, ब्रोकोली, और जामुन।
    • लाभ: इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं और मानसिक तनाव को कम करते हैं।

  1. अनाज:
    • स्रोत: साबुत अनाज जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, और क्विनोआ।
    • लाभ: ये जटिल कार्बोहाइड्रेट्स मस्तिष्क के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं और सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाते हैं, जो मूड को बेहतर बनाता है।

नट्स और बीज:

    • स्रोत: बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज।
    • लाभ: इनमें विटामिन E, मैग्नीशियम और सेलेनियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
    • दही और प्रोबायोटिक्स:
      • स्रोत: दही, किमची, और अन्य किण्वित खाद्य पदार्थ।
      • लाभ: ये आपके आंत के स्वास्थ्य को सुधारते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़े हैं।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थ

  1. शर्करा और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ:
    • हानिकारक प्रभाव: अधिक शर्करा वाले स्नैक्स और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ मूड को अस्थिर कर सकते हैं और अवसाद को बढ़ा सकते हैं।
  2. कैफीन:
    • हानिकारक प्रभाव: अत्यधिक कैफीन का सेवन चिंता और नींद में समस्या उत्पन्न कर सकता है।
  3. आल्कोहल:
    • हानिकारक प्रभाव: अत्यधिक शराब पीने से अवसाद और चिंता बढ़ सकती है।
  4. जंक फूड:
    • हानिकारक प्रभाव: ये आमतौर पर पोषक तत्वों से रहित होते हैं और मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अन्य उपाय

  1. व्यायाम: नियमित व्यायाम मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह एंडोर्फिन रिलीज करता है, जो मूड को बेहतर बनाता है।
  2. योग और ध्यान: ये तनाव को कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
  3. पर्याप्त नींद: एक अच्छी नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। नींद की कमी से मूड में परिवर्तन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  4. सामाजिक संबंध: परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
  5. जागरूकता: मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना और समस्याओं को समय पर पहचानना महत्वपूर्ण है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर हो सकती हैं, लेकिन सही आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर, यह महत्वपूर्ण है कि हम मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और स्वस्थ विकल्पों को अपनाएं। याद रखें, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए आपको अपने आहार पर ध्यान देना होगा और उसे संतुलित रखना होगा। मानसिक स्वास्थ्य एक समग्र प्रक्रिया है, और सही कदम उठाकर हम इसे बेहतर बना सकते हैं।

 

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ट्रेकोमा: एक जानलेवा बीमारी और भारत की जीत।

ट्रेकोमा: एक जानलेवा बीमारी और भारत की जीत।

भारत ने एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के खिलाफ महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पुष्टि की है कि भारत से ट्रेकोमा रोग का पूरी तरह से खात्मा हो गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि ट्रेकोमा विश्व स्तर पर अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक रहा है और लंबे समय से यह सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय रहा है।

इस सफलता के साथ, भारत नेपाल और म्यांमार के साथ डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के 19 अन्य देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने ट्रेकोमा से मुक्ति प्राप्त कर ली है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने इस अवसर पर कहा, “भारत ने इस गंभीर और वैश्विक स्वास्थ्य समस्या का सफलतापूर्वक उन्मूलन कर लिया है।

यह उन लाखों लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए देश की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है जो इस बीमारी से पीड़ित थे।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस उपलब्धि को हासिल करने में डब्ल्यूएचओ ने भारत के साथ मिलकर काम किया।

 ट्रेकोमा

 

ट्रेकोमा क्या है?
ट्रेकोमा एक संक्रामक आंखों की बीमारी है, जो कि चश्मे में होने वाले संक्रमण के कारण होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से चश्मे में इन्फ्लूएंजा द्वारा फैलती है, जिसे Chlamydia trachomatis नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। ट्रेकोमा का मुख्य कारण उचित स्वच्छता और साफ पानी की कमी है। यह बीमारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में माना गया है, खासकर विकासशील देशों में।

ट्रेकोमा का इतिहास
भारत ने 2023 में ट्रेकोमा के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जब देश ने इस बीमारी को समाप्त करने के लिए कई उपाय किए। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि ट्रेकोमा ने भारत में लाखों लोगों को प्रभावित किया है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में। भारत की सरकार ने WHO के “SAFE” दृष्टिकोण (सर्जरी, एंटीबायोटिक्स, सफाई, और पर्यवेक्षण) को अपनाते हुए इस बीमारी के खिलाफ जंग छेड़ी है।

ट्रेकोमा के लक्षण
ट्रेकोमा के लक्षण आमतौर पर निम्नलिखित होते हैं:

आंखों में जलन: शुरुआती लक्षणों में आंखों में खुजली और जलन महसूस होती है।
पलकों की अंदरूनी तरफ झुर्रियाँ: लगातार संक्रमण के कारण पलकों के अंदर झुर्रियाँ आ जाती हैं, जिससे आंखों पर दबाव पड़ता है।
पार्श्व दृष्टि की कमी: बीमारी के बढ़ने पर, दृष्टि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अंधापन: यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो ट्रेकोमा स्थायी अंधापन का कारण बन सकता है।

ट्रेकोमा का प्रसार
ट्रेकोमा मुख्य रूप से निम्नलिखित तरीकों से फैलता है:

सीधी संपर्क: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह फैल सकता है।
गंदगी और अस्वच्छता: गंदे हाथों, तौलिये, या बेडशीट के माध्यम से भी संक्रमण फैल सकता है।
मच्छरों और कीड़ों के माध्यम से: कुछ मामलों में, यह कीड़ों के माध्यम से भी फैल सकता है।
ट्रेकोमा के कारण
स्वच्छता की कमी: गंदगी और स्वच्छता की कमी ट्रेकोमा के मुख्य कारणों में से एक है।
जल की कमी: साफ पानी की अनुपस्थिति भी इस बीमारी को बढ़ावा देती है।
अस्वच्छ वातावरण: अस्वस्थ वातावरण में रहने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

ट्रेकोमा का उपचार

ट्रेकोमा का उपचार समय पर किया जाना आवश्यक है। उपचार के मुख्य तरीके निम्नलिखित हैं:

एंटीबायोटिक्स: डोक्सीसाइक्लिन, एरिथ्रोमाइसिन और ऐज़िथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है।
सर्जरी: गंभीर मामलों में, सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है।
स्वच्छता शिक्षा: समुदायों में स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है।

भारत में ट्रेकोमा की स्थिति

भारत ने ट्रेकोमा के खिलाफ जंग में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:

जागरूकता अभियान: लोगों को ट्रेकोमा और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियान चलाए गए हैं।
स्वास्थ्य कार्यक्रम: स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा नियमित जांच और उपचार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
स्वच्छता कार्यक्रम: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और साफ पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं।

ट्रेकोमा के दीर्घकालिक प्रभाव

यदि ट्रेकोमा का उपचार न किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है:

दृष्टि हानि: लगातार संक्रमण के कारण दृष्टि की हानि हो सकती है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव: अंधापन और दृष्टि हानि व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव: दृष्टि हानि के कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक नुकसान हो सकता है।

ट्रेकोमा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन भारत ने इस पर महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। उचित स्वच्छता, जल उपलब्धता, और जागरूकता के माध्यम से, भारत ने ट्रेकोमा को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह जरूरी है कि सभी समुदाय इस बीमारी के प्रति जागरूक रहें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने से हम न केवल ट्रेकोमा, बल्कि अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ भी अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। भारत का यह प्रयास न केवल देश के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है।

World Sight Day 2024: आंखों की तीन प्रमुख बीमारियाँ और उनके लक्षण।

विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day) हर वर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आंखों की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाना और आंखों की देखभाल को प्रोत्साहित करना है। इस वर्ष, 2024 में, यह दिन हमें याद दिलाता है कि 50 वर्ष की आयु तक हमारी आंखों की सेहत को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है। आइए, हम तीन प्रमुख आंखों की बीमारियों पर चर्चा करें, जो इस उम्र के बाद अधिक सामान्य हो जाती हैं, और उनके लक्षणों के बारे में जानें।

1. मोतियाबिंद (Cataract)

मोतियाबिंद क्या है?
मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख के लेंस में धुंधलापन आ जाता है, जिससे दृष्टि में कमी आती है। यह स्थिति उम्र बढ़ने के साथ अधिक सामान्य होती है।

खतरा:
50 वर्ष की आयु के बाद मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता है। यह तब होता है जब आंख के लेंस में प्रोटीन के अणु एकत्रित होकर एक धुंधली फिल्म बना लेते हैं।

लक्षण:

  • दृष्टि में धुंधलापन
  • रात में देखने में कठिनाई
  • रंगों की पहचान में कठिनाई
  • चमकदार रोशनी के चारों ओर हेरा-फेरी
  • आंखों में नियमित रूप से चश्मा बदलने की आवश्यकता

रोकथाम और उपचार:
सही समय पर जांच और सर्जरी से मोतियाबिंद का प्रभावी उपचार संभव है। संतुलित आहार, धूप में चश्मा पहनना और धूम्रपान से बचना भी मददगार हो सकता है।

2. ग्लूकोमा (Glaucoma)

ग्लूकोमा क्या है?
ग्लूकोमा एक आंखों की बीमारी है जिसमें आंखों के भीतर दबाव बढ़ता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान होता है और दृष्टि की हानि होती है।

खतरा:
50 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों में ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और इसे ‘चुपके से दृष्टिहीनता’ कहा जाता है।

लक्षण:

  • आँखों में दर्द या तनाव
  • धुंधली दृष्टि
  • आभा या हल्के रंगों की परिभाषा में कमी
  • अचानक दृष्टि की हानि

रोकथाम और उपचार:
ग्लूकोमा की रोकथाम के लिए नियमित आंखों की जांच महत्वपूर्ण है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएँ और सर्जरी के माध्यम से इस स्थिति का प्रबंधन किया जा सकता है।

3. उम्र से संबंधित मॅकुलर डिजेनरेशन (Age-related Macular Degeneration – AMD)

मॅकुलर डिजेनरेशन क्या है?
यह एक आंखों की बीमारी है जो रेटिना के केंद्र को प्रभावित करती है, जिसे मॅकुला कहा जाता है। यह दृष्टि के केंद्र को कमजोर करती है, जिससे पढ़ने या देखे जाने वाली वस्तुओं की स्पष्टता में कमी आती है।

खतरा:
50 वर्ष की आयु के बाद मॅकुलर डिजेनरेशन होने का जोखिम बढ़ जाता है, खासकर उन लोगों में जो धूम्रपान करते हैं या जिनका पारिवारिक इतिहास होता है।

लक्षण:

  • सीधे देखने में कठिनाई
  • रंगों की पहचान में कमी
  • दृष्टि के केंद्र में धब्बे या छायाएँ
  • दृश्यता में परिवर्तन

रोकथाम और उपचार:
एक स्वस्थ जीवनशैली, जैसे संतुलित आहार, धूम्रपान से बचाव, और नियमित व्यायाम, मॅकुलर डिजेनरेशन के जोखिम को कम कर सकता है। उपचार में एंटी-एंजियोजन दवाएँ और लाइट थेरेपी शामिल हो सकते हैं।

आंखों की देखभाल के टिप्स

  1. नियमित जांच:
    साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच करवाएँ, विशेष रूप से 50 वर्ष की आयु के बाद।
  2. संतुलित आहार:
    हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मछली, और फल शामिल करें। इनमें विटामिन C, E, और ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
  3. धूम्रपान छोड़ें:
    धूम्रपान आंखों की बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है, इसलिए इसे छोड़ना सबसे अच्छा है।
  4. UV सुरक्षा:
    बाहर जाते समय धूप के चश्मे का उपयोग करें ताकि आंखों को UV किरणों से बचाया जा सके।
  5. सकारात्मक जीवनशैली:
    नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपनाएँ, जैसे योग और ध्यान।
  6. सही रोशनी का उपयोग:
    पढ़ते या काम करते समय उचित रोशनी का ध्यान रखें।

विश्व दृष्टि दिवस 2024 हमें याद दिलाता है कि आंखों का स्वास्थ्य हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, और मॅकुलर डिजेनरेशन जैसी बीमारियाँ समय पर पहचान और उपचार के माध्यम से प्रबंधित की जा सकती हैं। इसलिए, अपनी आंखों की देखभाल को प्राथमिकता दें और समय-समय पर जांच करवाएँ। स्वस्थ आंखें, स्वस्थ जीवन!

 

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