प्याज की कीमत: बढ़ती महंगाई के पीछे के कारण और समाधान
भारत में प्याज न केवल रसोई का एक आवश्यक हिस्सा है, बल्कि यह आम लोगों की जेब पर भी गहरा असर डालता है। हाल ही में प्याज की कीमतों में हुई बढ़ोतरी ने सभी को चिंता में डाल दिया है। देश में प्याज का उत्पादन भरपूर होने के बावजूद, इसकी कीमतें 70-80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं। चेन्नई जैसे शहरों में तो प्याज 100-110 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है। आइए जानते हैं, प्याज की बढ़ती कीमतों के कारण और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में।
भारत में प्याज की खेती और उत्पादन
भारत में प्याज की खेती लगभग सभी राज्यों में होती है। इसे मुख्यतः रबी और खरीफ सीजन में उगाया जाता है।
- 2023-24 के उत्पादन आंकड़े:
इस साल कुल 242 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20% कम है। - प्रमुख उत्पादक राज्य:
महाराष्ट्र भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है और यहां के नासिक जिले का लासलगांव एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है। महाराष्ट्र अकेले देश के 43% प्याज का उत्पादन करता है। इसके अलावा, कर्नाटक और गुजरात क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण
प्याज की कीमतों में आई तेज़ी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं।
- मौसम का प्रभाव:
खरीफ सीजन में अत्यधिक बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे प्याज की कटाई में देरी हुई। - उत्पादन में गिरावट:
2023-24 में प्याज के उत्पादन में कमी आई, जिसके कारण मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर पैदा हुआ। - बढ़ती मांग:
प्याज की मांग में बढ़ोतरी और आपूर्ति में कमी ने कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया। - भंडारण और आपूर्ति समस्याएं:
भंडारण की कमी और मंडियों में समय पर आपूर्ति न होने से भी कीमतों में तेजी आई।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
- सरकारी दुकानों पर प्याज की बिक्री:
सरकार ने 35 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज बेचने का निर्णय लिया। - विशेष ट्रेन सेवाएं:
प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए विशेष ट्रेन सेवाएं चलाई जा रही हैं। - निर्यात पर प्रतिबंध:
घरेलू कीमतों को स्थिर रखने के लिए प्याज के निर्यात पर अस्थायी रोक लगाई गई है। - भंडारण सीमा:
प्याज पर स्टॉक लिमिट लगाने का निर्णय लिया गया है ताकि जमाखोरी पर रोक लगाई जा सके।
प्याज की बढ़ती कीमत और वैश्विक भूमिका
भारत दुनिया में प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक है।
- निर्यात आंकड़े:
2022-23 में भारत ने 2.5 मिलियन टन प्याज का निर्यात किया, जिससे 4,525.91 करोड़ रुपये की कमाई हुई। - निर्यात पर रोक का असर:
निर्यात पर रोक लगने से घरेलू बाजार में आपूर्ति तो बढ़ी है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की भूमिका कमजोर हो सकती है।
महंगाई से निपटने के लिए समाधान
विशेषज्ञों का मानना है कि प्याज की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है।
- उत्पादन बढ़ाने की रणनीति:
किसानों को बेहतर तकनीक और बीज उपलब्ध कराए जाएं ताकि उत्पादन में बढ़ोतरी हो। - भंडारण सुविधाओं में सुधार:
भंडारण की आधुनिक सुविधाएं विकसित करने की जरूरत है ताकि फसलें खराब न हों। - सप्लाई चेन का सुदृढ़ीकरण:
आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु बनाने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना चाहिए। - जमाखोरी पर नियंत्रण:
जमाखोरी पर सख्ती से रोक लगाने से कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्याज की बढ़ती कीमतें आम लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गई हैं। हालांकि, सरकार ने इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन यह समस्या केवल अस्थायी उपायों से हल नहीं होगी। दीर्घकालिक समाधान के लिए उत्पादन, भंडारण और आपूर्ति चेन में सुधार जरूरी है। इसके अलावा, निर्यात और घरेलू बाजार के बीच संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक है।
प्याज की कीमत पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि यह आम आदमी की पहुंच में बना रहे।
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