भारतीय शेयर बाजार में इन दिनों SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा शॉर्ट-सेलिंग पर पाबंदियों को कम करने की चर्चा हो रही है। इससे निवेशकों के लिए नए अवसर पैदा हो सकते हैं और बाजार में लिक्विडिटी बढ़ सकती है। ट्रेडर्स के पास अब और अधिक विकल्प होंगे।

शॉर्ट-सेलिंग क्या है?
किसी शेयर को उधार लेकर बेचना, जब आपको लगता है कि उसकी कीमत भविष्य में गिरने वाली है। यदि कीमत गिरती है, तो आप उसे सस्ती कीमत पर खरीदकर मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि, यह एक जोखिमपूर्ण रणनीति है, लेकिन सही समय पर इसका इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है।
SEBI ने जनवरी 2024 में शॉर्ट-सेलिंग पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा था, जिससे बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना था। अब, SEBI की सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी (SMAC) ने इस पर पुनर्विचार किया है। नए प्रस्ताव के अनुसार, ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) सेगमेंट में आने वाले स्टॉक्स को छोड़कर बाकी सभी स्टॉक्स में शॉर्ट-सेलिंग की अनुमति मिल सकती है। इस निर्णय से ट्रेडर्स में उत्साह है। ब्रोकर फर्म्स अब इस नए प्रस्ताव के लागू होने का इंतजार कर रही हैं, ताकि वे अपने ग्राहकों को अधिक ऑप्शंस और अवसर प्रदान कर सकें।
T2T (Trade-to-Trade) सेगमेंट के शेयरों में इंट्राडे और BTST ट्रेडिंग पर प्रतिबंध होता है। यहां हर ट्रांजेक्शन में शेयरों की डिलीवरी जरूरी होती है। इस सेगमेंट में शेयरों की लिक्विडिटी कम होती है और इन्हें लंबी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त माना जाता है। इनकी ट्रांजेक्शन पर अधिक ब्रोकरेज शुल्क लग सकता है।
SEBI के इस संभावित निर्णय से भारतीय शेयर बाजार की दिशा में बदलाव आ सकता है। निवेशकों के लिए यह सही समय है कि वे अपनी रणनीतियों का पुनर्विचार करें और इस नए अवसर का पूरा लाभ उठाने की योजना बनाएं।
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