शारीरिक दंड पर प्रतिबंध: हिमाचल प्रदेश में नया आदेश

हिमाचल प्रदेश में स्कूलों में शारीरिक दंड पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। शिक्षा विभाग ने शारीरिक दंड के खिलाफ एक सख्त आदेश जारी किया है। यह कदम छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास को सही दिशा में बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
शारीरिक दंड पर प्रतिबंध का महत्व
शारीरिक दंड बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि शारीरिक दंड से बच्चों में गुस्सा, विद्रोह, और मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा, यह बच्चों के आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचा सकता है। शारीरिक दंड के बजाय बच्चों को सिखाने के लिए सकारात्मक तरीके अपनाए जाने चाहिए।
शिक्षा विभाग के सख्त दिशा-निर्देश
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने शारीरिक दंड पर प्रतिबंध लगाने के बाद सभी जिला शिक्षा उपनिदेशकों को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्कूल में शारीरिक दंड न दिया जाए। इस आदेश के उल्लंघन की स्थिति में स्कूल प्रमुखों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग ने इस आदेश के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि बच्चे सुरक्षित और सकारात्मक माहौल में अपनी शिक्षा पूरी करें।
उत्तर प्रदेश में भी शारीरिक दंड पर प्रतिबंध
हिमाचल प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश ने भी अपने स्कूलों में शारीरिक दंड पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग ने हाल ही में यह निर्देश जारी किया कि किसी भी शिक्षक को बच्चों के साथ शारीरिक दंड देने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, मानसिक दंड जैसे कि बच्चों को डांटना, दौड़ाना या चांटा मारना भी पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है।
शारीरिक दंड के खिलाफ शिक्षा विभाग के प्रयास
शारीरिक दंड से बचने के लिए शिक्षा विभाग ने कई उपायों पर जोर दिया है। शिक्षक और स्कूल प्रशासन को यह सिखाने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है कि बच्चों के साथ व्यवहार में सहानुभूति और समझदारी का पालन कैसे करें। बच्चों को अनुशासित करने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक विकास में कोई विघ्न न आये।
हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शारीरिक दंड पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय बच्चों के लिए एक सकारात्मक कदम है। इससे बच्चों को एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिलेगा, जिसमें वे अपनी शिक्षा पर फोकस कर सकेंगे। शारीरिक दंड के बजाय शिक्षक अब बच्चों को समझाने और सिखाने के नए तरीके अपनाएंगे, जो बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद होंगे।
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