गनेशपुर की गद्दी को लेकर भिड़ गए दो किन्नर समुदाय।

वर्ष 2022 में थाने पर कई घंटे हुआ था हंगामा

बाराबंकी। थाना रामनगर अंतर्गत किन्नरों की गणेशपुर गद्दी का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। जानकारी के मुताबिक फिर एक बार उक्त गद्दी को लेकर दो पक्षों के किन्नर शुक्रवार को आपस में भिड़ गए। जिसमे गनेशपुर गद्दी धारी किन्नर ललिता ने शुक्रवार को स्थानीय कोतवाली में दिए गए शिकायती पत्र में कहां है कि उसकी गुरु खुशबू किन्नर ने एक मकान गणेशपुर में बनाया था। जिसमें पप्पू उर्फ मुनेश्वर निवासी ग्राम पीर खाना थाना कैसरगंज जनपद बहराइच कीनन के साथ बधाई आदि में ढोल बजाने का कार्य करता था। यहां की पूर्व में गद्दी रहे किन्नर की मृत्यु के बाद मैंने पप्पू की गरीबी को देखते हुए उसे गनेशपुर वाले घर को रहने के लिए दे दिया। यहां फिर मेरी अनुपस्थिति में बधाई आदि मांगने का कार्यकर्ता था जबकि किन्नर समाज के पंचों ने मुझे गनेशपुर की गाड़ी का कार्यभार सौंपा है। उक्त मकान पर पप्पू दामाद व पत्नी सहित विपक्षी किन्नर चांदनी व उसके सहयोगी निखिल जबरन कब्जा कर रहा है। विपक्षी अपराधिक प्रबति के हैं जिन पर कई मामले दर्ज हैं। जबकि पाप्पू के साथ मौजूद लोग किन्नर नही है। वही विपक्षियों में शामिल निखिल अपने आप को तथाकथित संपादक बताता है। वह कहता है कि मानवाधिकार संगठन का सदस्य होनें से वह उनपर फर्जी मुकदमे में फसाने की धमकी देता है। इसी बात से नाराज विपक्षी शुक्रवार देर शाम अचानक महादेव में निर्माणाधीन मकान पर पहुंचे। जहां बार-बार समझाने के बाद भी उन्होंने अपने साथियों समेत हम सभी की जमकर पिटाई कर दी। जिसमें लगभग आधा दर्जन किन्नरों को हल्की-फुल्की चोटे आई है। *(थाने पर हुआ था कई घंटे हंगामा)*कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाहत कभी-कभी आपको गलत रास्ते की ओर भी ले जाती है। ऐसा ही एक वाक्या थाना रामनगर की गणेशपुर का है। जहां पड़ोसी जनपद बहराइच के कैसरगंज का निवासी एक शातिर व्यक्ति पप्पू पैसों की भूख मिटाने के लिए पहले किन्नरों का ढोलकिया बना फिर धीरे-धीरे तत्कालीन गद्दारी किन्नर की मृत्यु के बाद वह लखनऊ से अन्य किन्नरों को बुलाकर आसपास के क्षेत्र में अलग से बधाई आदि मांगने लगा। जिसको लेकर बीते वर्ष 2022 की 16 जुलाई को पप्पू के बुलावे पर लखनऊ से आए किन्नर और मौजूदा गद्दीधारी ललिता किन्नर के समर्थकों ने कोतवाली कई घंटों तक पर जमकर हंगामा किया था। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच लिखित समझौता करवाया गया जिसमें ललित किन्नर को गणेशपुर की गद्दी सौंप गई।

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