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Thursday, January 23, 2025

नरेंद्र मोदी की जापानी पार्क रैली से बदली दिल्ली की सियासी तस्वीर

नरेंद्र मोदी की जापानी पार्क रैली और दिल्ली की सियासत

नरेंद्र मोदी की जापानी पार्क रैली
नरेंद्र मोदी की जापानी पार्क रैली

साल 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापानी पार्क में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था। यह रैली तब हुई थी जब दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी और आम आदमी पार्टी का चुनावी दखल बहुत कम था। 12 साल बाद, यह सवाल उठता है कि उस रैली के बाद से दिल्ली की सियासत में क्या बदलाव आया है। इस लेख में हम उस रैली से लेकर अब तक दिल्ली की सियासी तस्वीर में आए बदलावों पर चर्चा करेंगे।

 कांग्रेस का अंत और AAP का उदय

दिल्ली में 2013 में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन 12 साल में कांग्रेस का सियासी प्रभाव खत्म हो गया है। इस दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई और 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड जीत हासिल की। उस समय, दिल्ली में बीजेपी का मुख्य विपक्षी दल के रूप में उत्थान हुआ था, लेकिन सत्ता में वापसी के लिए उसे लंबा इंतजार करना पड़ा। आम आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस को मात दी और दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी बनी।

नरेंद्र मोदी की रैली से पहले और अब का राजनीतिक परिदृश्य

नरेंद्र मोदी की 29 सितंबर 2013 की जापानी पार्क रैली में बीजेपी ने ‘बदलो दिल्ली’ का नारा दिया था। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा में 32 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन बहुमत से दूर रही। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का समर्थन लिया और सरकार बनाई। लेकिन बीजेपी के लिए यह शुरुआत थी। 12 साल बाद, अब पार्टी ‘बदलकर रहेंगे दिल्ली’ का नारा लेकर फिर से चुनावी मैदान में है। इस नारे के साथ, बीजेपी ने दिल्ली में सत्तासीन होने के इरादे को स्पष्ट किया है।

दिल्ली की सियासत में बदलाव: बीजेपी और AAP की लड़ाई

दिल्ली में हर विधानसभा चुनाव के साथ राजनीतिक परिदृश्य बदलता गया। 2013 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन उसे सत्ता हासिल नहीं हुई। 2015 में AAP ने जबरदस्त जीत हासिल की और बीजेपी को केवल तीन सीटों तक सीमित कर दिया। 2020 में, आम आदमी पार्टी ने फिर से शानदार प्रदर्शन किया और 62 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी को केवल 8 सीटें मिलीं।

दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP की लगातार जीत और बीजेपी की हार, दोनों ही पार्टियों के रणनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत देती है। AAP का प्रदर्शन, खासकर अरविंद केजरीवाल का नेतृत्व, दिल्ली की सियासत में अहम बदलाव लेकर आया है।

लोकसभा चुनावों में बीजेपी की एकतरफा जीत

दिल्ली में लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 2014, 2019 और 2024 में कुल सातों सीटों पर जीत हासिल की है। इसके विपरीत, 2009 में कांग्रेस ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर कब्जा किया था। यह लोकसभा चुनावों में बीजेपी की एकतरफा जीत की कहानी रही है।
हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनावों में स्थिति बिल्कुल उलट रही है, लेकिन लोकसभा चुनावों में बीजेपी की सफलता दिल्ली की सियासी तस्वीर को प्रभावित करती है और बताती है कि दिल्ली में केंद्रीय सत्ता में बीजेपी का दबदबा है, फिर भी विधानसभा में उसकी पकड़ मजबूत नहीं हो पाई।

 AAP के नेताओं के खिलाफ आरोप और सत्ता की परीक्षा

अब 2024 में दिल्ली की सियासी तस्वीर एक अलग मोड़ पर खड़ी है। आम आदमी पार्टी के कई नेता, जिनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया शामिल हैं, भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। शराब घोटाले और अन्य आरोपों के बाद, यह चुनाव AAP के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है। पार्टी के नेताओं पर लगे आरोपों का जवाब, पार्टी के भविष्य को तय करेगा। दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP को इस मुद्दे पर घेरने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों सियासी खेल खेल रही हैं।

बीजेपी और कांग्रेस का चुनावी मोर्चा

बीजेपी और कांग्रेस चुनावी मैदान में AAP को घेरने के लिए लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हमला बोल रही हैं। इस चुनाव में कांग्रेस भी अपने पुराने जनाधार को वापस लाने की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी को दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए तीन दशक का लंबा इंतजार है।
इस चुनाव में बीजेपी के पास नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का फायदा उठाने का मौका है। मोदी ने अपनी जापानी पार्क रैली में दिल्ली की सियासत को प्रभावित किया था और अब उनका नेतृत्व दिल्ली के चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।

दिल्ली में चुनावी भविष्य: AAP, बीजेपी और कांग्रेस की चुनौती

दिल्ली के आगामी चुनावों में तीन प्रमुख दलों – AAP, बीजेपी और कांग्रेस – के लिए बड़ी चुनौती होगी। AAP के लिए यह चुनाव उसकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के आरोपों पर अपने पक्ष को साबित करने का मौका होगा। बीजेपी के लिए दिल्ली की सत्ता में वापसी की चुनौती है, जबकि कांग्रेस के लिए जनाधार की पुनः प्राप्ति का अवसर है।
यह चुनाव दिल्ली की सियासी तस्वीर को फिर से आकार देगा, जिसमें बीजेपी, AAP और कांग्रेस अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतरेंगी।


नरेंद्र मोदी की जापानी पार्क रैली से लेकर अब तक दिल्ली की सियासी तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। बीजेपी ने कई लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सातों सीटों पर कब्जा किया है, लेकिन विधानसभा चुनावों में AAP की लगातार जीत ने राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है। 2024 में दिल्ली की राजनीति में क्या बदलाव आएगा, यह चुनावी नतीजे तय करेंगे।

 

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