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Saturday, March 15, 2025

राजस्थान: कोटा में IIT-JEE की तैयारी के दौरान 19 साल के छात्र ने सुसाइड किया

कोटा में 19 साल के छात्र ने किया सुसाइड, IIT-JEE की तैयारी के दबाव से जुड़ा मामला

राजस्थान की शिक्षा नगरी से फिर आई दुखद खबर

IIT-JEE की तैयारी के दौरान कोटा में छात्र ने की आत्महत्या
IIT-JEE की तैयारी के दौरान कोटा में छात्र ने की आत्महत्या

राजस्थान के कोटा, जो भारत में शिक्षा की राजधानी के रूप में जाना जाता है, से एक और दुखद घटना सामने आई है। हरियाणा के 19 वर्षीय नीरज, जो IIT-JEE की तैयारी कर रहे थे, ने सुसाइड कर लिया। यह घटना कोटा के राजीव गांधी नगर क्षेत्र में हुई, जहां नीरज एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाई कर रहे थे। पुलिस ने मृतक के शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया है।

नीरज का एक साल का सफर: सपना और दबाव

नीरज एक साल पहले अपने सपनों को पूरा करने के लिए कोटा आए थे। जानकारी के अनुसार, वह हरियाणा के निवासी थे और IIT-JEE की परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। कोटा में रहकर पढ़ाई करना देश के लाखों छात्रों का सपना होता है, लेकिन यहां पढ़ाई का दबाव और अकेलापन कई बार छात्रों को गंभीर मानसिक स्थिति में डाल देता है।

2024 में कोटा में 29 छात्रों ने किया सुसाइड

कोटा में सुसाइड की घटनाएं चिंता का विषय बन चुकी हैं। साल 2024 में 19 छात्रों ने आत्महत्या की, जबकि साल 2023 में यह आंकड़ा 29 तक पहुंच गया था। इन घटनाओं ने कोटा के शिक्षा तंत्र और छात्रों पर पड़ रहे मानसिक दबाव को उजागर किया है।

छात्रों के लिए उठाए गए प्रशासनिक कदम

पिछले साल की घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए:

  1. हॉस्टल में एंटी-हैंगिंग डिवाइस: सभी हॉस्टलों में एंटी-हैंगिंग डिवाइस लगाए गए।
  2. हेल्पलाइन नंबर: छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया।
  3. मनोवैज्ञानिक परामर्श: कोचिंग सेंटरों में छात्रों के लिए काउंसलिंग सत्र आयोजित किए गए।

इन प्रयासों का उद्देश्य छात्रों को मानसिक तनाव से राहत दिलाना और सुसाइड के मामलों को कम करना था।

कामयाब कोटा अभियान: छात्रों से संवाद की पहल

कोटा के जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने “कामयाब कोटा” नाम से एक विशेष अभियान चलाया। इसके तहत वे छात्रों के साथ संवाद करते, उनके साथ डिनर करते, और उनकी परेशानियों को समझने का प्रयास करते थे।
डॉ. गोस्वामी ने कई हॉस्टल का दौरा भी किया और छात्रों को विश्वास दिलाया कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

छात्रों के लिए सकारात्मक बदलाव

यह अभियान छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ और कई छात्रों ने इसे मानसिक राहत का जरिया बताया। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि छात्रों को हर संभव मदद मिले।

कोटा में पढ़ाई का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य

IIT-JEE जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना छात्रों के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। कोटा जैसे शहर में जहां हर कोचिंग सेंटर सफलता का सपना दिखाता है, वहां छात्रों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।

दबाव के कारण

  1. पढ़ाई का बोझ: रोजाना लंबे घंटों की पढ़ाई।
  2. परिवार की उम्मीदें: माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव।
  3. अकेलापन: घर से दूर रहकर पढ़ाई करने का अनुभव।

मानसिक स्वास्थ्य का महत्व

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। कोचिंग सेंटरों को छात्रों के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

छात्रों और अभिभावकों के लिए सुझाव

छात्रों के लिए टिप्स

  1. पढ़ाई और आराम का संतुलन बनाए रखें।
  2. किसी भी समस्या के लिए काउंसलर या शिक्षक से बात करें।
  3. योग और मेडिटेशन को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं।

अभिभावकों के लिए टिप्स

  1. अपने बच्चों से लगातार संपर्क में रहें।
  2. उनके प्रदर्शन पर अत्यधिक दबाव न डालें।
  3. उनकी मानसिक स्थिति को समझने का प्रयास करें।

कोटा को सुसाइड फ्री बनाने की दिशा में प्रयास

IIT-JEE
IIT-JEE

कोटा प्रशासन और कोचिंग संस्थान छात्रों के बीच बढ़ते सुसाइड के मामलों को रोकने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं। इन प्रयासों में छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल और उनके लिए सकारात्मक माहौल बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

प्रशासन का कहना है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए और कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, कोचिंग सेंटरों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके संस्थान छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक स्थान बने।

कोटा में 19 वर्षीय छात्र नीरज की सुसाइड की घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या हम छात्रों को पढ़ाई का दबाव सहने के लिए पर्याप्त मानसिक समर्थन दे पा रहे हैं?
यह आवश्यक है कि छात्रों, अभिभावकों, कोचिंग सेंटरों और प्रशासन के बीच सामंजस्य हो ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

“कामयाब कोटा” जैसे प्रयास सकारात्मक दिशा में एक कदम हैं, लेकिन यह केवल शुरुआत है। छात्रों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”

 

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