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Saturday, March 15, 2025

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला

संबल में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। हाईकोर्ट ने जिला अदालत की सुनवाई पर रोक लगा दी है और मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को तय की है। इस विवाद में दोनों पक्षों की ओर से तीखी दलीलें पेश की जा रही हैं।

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद
संभल मंदिर-मस्जिद विवाद

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है। इस विवाद में शाही जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने एक याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने जिला अदालत की सुनवाई पर रोक लगाते हुए सभी पक्षकारों से जवाब दाखिल करने को कहा है। इस फैसले ने मुस्लिम पक्ष को फौरी राहत प्रदान की है।

हाईकोर्ट ने सुनवाई पर क्यों लगाई रोक?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश शाही जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कमेटी ने जिला अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। सभी पक्षकारों को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करना होगा, जबकि मस्जिद कमेटी को दो हफ्ते में प्रत्युत्तर (रिज्वांइडर) दाखिल करने को कहा गया है।

संबल मंदिर-मस्जिद विवाद: क्या था जिला अदालत में चल रहा मुकदमा?

संभल के शाही जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की ओर से दाखिल याचिका में यह दावा किया गया था कि शाही जामा मस्जिद का स्थान पूर्व में एक मंदिर था। इस मामले में 19 नवंबर को हरिशंकर जैन और अन्य ने जिला अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। इस मुकदमे में मांग की गई थी कि मस्जिद के स्थान पर मंदिर था, जिसे वर्तमान में मस्जिद के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

सर्वे और हिंसा: क्या हुआ था 24 नवंबर को?

संबल की जिला अदालत ने इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सर्वे का आदेश दिया था। 24 नवंबर को जब सर्वे किया गया, तो उसके दौरान हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे। इस घटना ने पूरे मामले को और जटिल बना दिया और इसके बाद हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा।

हाईकोर्ट की सुनवाई की अगली तारीख: 25 फरवरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी 2025 तक के लिए स्थगित कर दी है। 25 फरवरी को मामले की सुनवाई एक नए केस के रूप में होगी। इस तारीख को कोर्ट सभी पक्षों के जवाबों पर विचार करेगा और उसके बाद अगला फैसला लिया जाएगा।

मुस्लिम पक्ष को मिली राहत: हाईकोर्ट का निर्णय

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने मुस्लिम पक्ष को फौरी राहत दी है। अब तक जिला अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगने से मस्जिद कमेटी को समय मिल गया है, ताकि वह अपने पक्ष को मजबूती से पेश कर सके। साथ ही, मस्जिद कमेटी को यह अवसर मिला है कि वह अदालत में अपने जवाब दाखिल कर सके और अन्य पक्षों के जवाबों पर प्रतिवाद (रिज्वांइडर) भी दाखिल कर सके।

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियाँ

संभल का मंदिर-मस्जिद विवाद अब सिर्फ एक कानूनी मुद्दा नहीं रह गया है। इस विवाद ने क्षेत्रीय राजनीति और समाज में भी हलचल मचा दी है। एक तरफ जहां हिंदू संगठनों ने इस मसले को धार्मिक आस्था से जोड़ा है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे एक ऐतिहासिक मुद्दा मानता है। इस विवाद का असर स्थानीय राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर पड़ सकता है।

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद पर प्रतिक्रियाएँ

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद पर दोनों पक्षों से विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं। हिंदू संगठनों का दावा है कि शाही जामा मस्जिद का स्थान पहले एक मंदिर था, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद ऐतिहासिक रूप से स्थापित है और इसे बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस विवाद ने न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को भी तूल दिया है।

मामला अदालत में लंबित: क्या होगा आगे?

इस समय मामला अदालत में लंबित है और 25 फरवरी को फिर से सुनवाई होगी। अदालत इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी और उसके बाद निर्णय लिया जाएगा। इस फैसले का प्रभाव सिर्फ संभल जिले में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में पड़ेगा, क्योंकि यह मुद्दा धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील है।

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण है। जिला अदालत की सुनवाई पर रोक लगाने से विवाद में फंसे पक्षों को समय मिला है, और अब अदालत में मामला लंबित रहेगा। इस विवाद का कानूनी समाधान बहुत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे न केवल संभल बल्कि उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी साम्प्रदायिक और सामाजिक तनाव को लेकर एक बड़ा संदेश जाएगा।

 

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